आप ने “तो वो कौन है…. ?” के दो भाग पढ़ लिए हैं अब तीसरा भाग भी आप लोगों के सामने आ चुका है। पिछले भाग में आपने जाना कि सिद्धांत रश्मि के घर पहुँच चुका था और उसके बँगले की खूबसूरती देखते ही वो बस उसी में खो जाता हैं। lown में चलते हुए उसे एक लड़की दिखती है बाद में पता चलता है कि वो रश्मि की बहन है जिसके साथ रश्मि की बिलकुल नहीं बनती। रश्मि के डैड मिस्टर सिंह सिद्धांत को पसंद तो कर लेतें हैं मगर शादी के लिए हाँ नहीं कहतें थोड़ा वक्त देतें हैं उसे। अब आगे-
डैड ने क्या कहा ? ठंडी सी शाम में टैरिस पर सिड के कन्धे पे सर टिकाए बैठी रश्मि उससे अपने डैड का जवाब जानने के लिए पूछती है।
कुछ नहीं । सिड ने बहुत हलके अंदाज़ में कहा ।
मतलब ?रश्मि हैरान होकर अपना सर उसके कंधे से उठा उसका चेहरा देखने लगती हैं।
अरे बाबा तुम तो जरा-जरा सी बात पर परेशान हो जाती हो , उन्होंने सिर्फ इतना कहा है कि जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं होगा पहले हम दोनों एक दूसरे को जान ले फिर आगे बात बढ़ेगी जैसा हम कहेंगे उसके हिसाब से। एक ही मुलाकात में हम एक दूसरे के बारे में हर चीज़ जान गए हो ये जरुरी तो नहीं? सिड ने प्यार से उसके सर पर हाथ फिराते हुए कहा।
यार इसमें क्या जानने को रह गया है भला , मैंने अपने बारे में तुम्हें बता ही दिया सब और मेरे बारे में तो तुम सब जानते ही हो। फिर अच्छा character ,impressive personality , perfect body इतना ही काफी है मेरे लिए ।
मेरा करेक्टर अच्छा है ये तुम कैसे कह सकती हो?
क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो उस दिन पार्टी में मैं तुम्हारे पास चल कर नहीं आती तुम मेरे पास चलकर आते। मैंने देखा था उस दिन कितनी लडकियां आगे पीछे थी तुम्हारे और तुम अकेले ही कोने में बैठके शैम्पेन पी रहें थें।
सिर्फ इतना ही काफी नहीं होता यार किसी रिश्ते में आने से पहले सामने वाले का पास्ट , सामने वाले के सपने , सामने वाले की हिम्मत और उसका माइंडसेट भी जानना जरुरी होता है वरना बाद में फिर दिक्कत होतीं हैं।
तुम्हारा मतलब मैं तुम्हें बाद में दिक्कत दूंगी? रश्मि तुरंत सिद्धांत से दूर हो गुस्से में बोली। सिद्धांत समझ गया की बात उसने उल्टा ही ले ली हैं अब उसे न समझाना ही बेहतर है।
मैंने ऐसा तो नहीं कहा मेरा मतलब तो बस इतना था कि इतनी जल्दी शादी करोगी तो तुम्हारा कोई सपना न अधूरा रह जाए , अधूरे सपने बहुत तकलीफ देतें है और मैं नहीं चाहता तुम्हें कोई तकलीफ हो। सिड ने रश्मि के चेहरे को अपनी दोनों हथेलियों में भर लिया।
ऐसा कुछ नहीं है, मैं बस श्री जैसा होने से डरती हूँ अगर उसे सही उम्र में सही सहारा मिल गया होता तो वो आज जैसी है वैसी नहीं होती। मुझे तो शक है कि ये मेरी शादी होने भी नहीं देगी मैं इसके सामने से हमेशा हमेशा के लिए हटना चाहती हूँ ताकि जलन में आकर ये और न बर्बाद कर ले खुद को । मैं लीना का चेहरा भी नहीं देखना चाहती उसे देखती हूँ तो खुद पर गुस्सा आती है मुझे बचाने के लिए उसे जो कीमत चुकानी पड़ी….. मैंने उसकी जिन्दगी…. वो जब सामने आती …. मैं उससे बात भी नहीं क्….. रश्मि सिसक सिसक के रोने लगी। ऐसे बच्चों की तरह नहीं रोया जाता पागल सिड ने उसके आंसू पोछते हुए उसे अपने सीने से लगा लिया।
मेरा इरादा तुम्हारा दिल दुखाने का नहीं था I am sorry , सिड ने उसे सहलाते हुए कहा।
नहीं मैं तुम्हारी बातों से नहीं रोई बस दिल में कभी कभी कुछ चीजें भर जाती है उन्हें उगलना भी बहुत जरुरी होता है वरना फिर अंदर ही अंदर नासूर बन जाती है।
हूँ , सही कहती हो और भी जो हो दिल में वो सब कह दो मैं सुनूंगा।
नहीं मुझे कुछ नहीं कहना तुम्हें कुछ कहना है?
मैं क्या कहुँ मेरे दिल में ऐसी बड़ी बड़ी बातें नहीं आती जो अंदर से हूँ वहीं बाहर से।
फिर भी कुछ तो होगा जो मैं नहीं जानती होउंगी शायद पहला प्यार! ऐसा नहीं कह सकते कि तुम्हें मुझसे पहले कोई नहीं पसंद आया जिस हिसाब से उस दिन तुम्हें देखा था लग रहा था कि ताज़ा ताज़ा ब्रेकअप हुआ हो। रश्मि इतना कहते ही मुस्कुरा दी हौले से। लेकिन सिड ने सर झुका लिया आँखे भर आयी उसकी । जब रश्मि ने ये नोटिस किया तो बहुत पछतावा हुआ उसे वो माफ़ी मांगने लगी।
मेरा भी इरादा ऐसा नहीं था मैंने तो मजाक मे पूछा था नहीं जानती थी कि तुम्हें रुला दूंगी माफ़ कर दो मुझे प्लीज….
विन्नी …. विन्नी नाम था उसका मेरा पहला प्यार , मुझसे बहुत प्यार करती थी और मैं उससे कॉलेज से जॉब तक दोनों हर वक्त साथ रहते थे। उसके पापा काफी बड़े आदमी थे और मैं छोटी जॉब करने वाला लड़का , वो चाहती तो हर चीज़ उसे बिस्तर पर ही मिल जाती लेकिन मुझसे रोज़ मिलने के लिए उसने जॉब की थी जब उसने अपने पापा को मेरे बारे में बताया …..इतना कहते-कहते सिड की आँखों से आंसू निकल के उसके कपड़ो पर गिरने लगे उसने आँखे बंद कर ली और फिर बोलने लगा, ….उसके पापा नहीं माने तो एक रात वो अपना सारा सामान लेकर मेरे घर चली आयी। जब उन्हें पता चला तो उन्होंने उसे अपनी सारी जायदाद से बेदखल कर दिया जबकि विन्नी उनकी एकलौती संतान थी।विन्नी को छोड़कर उसके मम्मी पापा अमेरिका चलें गए…… उसने जायदाद छोड़ दी लेकिन मुझे नहीं …. एक सिसकी आकर फिर ठहर गई सिड की गर्दन में। वो बहुत खुश थी मेरे साथ हमने एक अलग ही दुनिया बना ली थी अपनी । रोज़ शाम अक्सर घर के पीछे वाले जंगल मे आराम करने चलें जाते थें। मैं उसका ध्यान रखने का पूरा ख्याल करता मैंने उससे कहा कि तुम सिर्फ आराम करो मैं तुम्हारा नौकर बनकर रहूंगा तुम्हारी एक आवाज पर तुम्हारे सामने तुम जॉब छोड़ दो … तो कहती मैं बड़े घर की बेटी हूँ नौकरों से प्यार नहीं करती और फिर खिलखिला के हँस पड़ती, फिर मुझे देखती कहती कि तुम्हारा सपना बड़ा आदमी बनने है अगर हम दोनों संग मिलकर मेहनत करेंगे तो ये सपना जल्दी पूरा होगा,और इठलाकर अपनी बाहें मेरी गर्दन में डाल देती….इतना कहते-कहते वो खामोश हो गया ना आंसू ना सिसकी बिलकुल खामोश । रश्मि ने थोड़ी देर तक उसके बोलने का इंतजार किया लेकिन जब वो नहीं बोला तो खुद ही पूछ बैठी, आगे क्या हुआ फिर….? वो कहाँ चली गयी तुम्हें छोड़कर….? अब कहाँ हैं…? रश्मि के पास ढेरो सवाल थे लेकिन सिड अब भी खामोश बैठा था एकदम निर्जीव।
बताओ न , रश्मि ने उसके कंधे झकझोरते हुआ कहा। हूँ…हाँ , एकदम से बोला जैसे अभी ध्यान टूटा हो और फिर से बोलना शुरू कर दिया।
तुम्हें पता है अगर मैं उसे उस दिन अपने साथ जंगल में घुमाने नहीं ले गया होता तो …तो तुम्हारी जगह पे आज वो मेरे साथ होती । उस दिन मैंने बहुत बड़ी गलती की थी बहुत बड़ी इतनी बड़ी कि मरने के बाद भी उसकी माफी नहीं मिलेगी मुझे । मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि दुनिया की सबसे प्यारी लड़की के साथ इतना बुरा हो सकता है। आज भी जब भी वो मंजर याद करता हूँ तो रूह अंदर से कांप जाती है पूरे घर में उसका नाम लेकर चीखते भागता हूँ काका सँभालते है मुझे। कभी-कभी जी करता है उसके साथ जो होता उस दिन उसका जिम्मेदार मैं हूँ मुझे भी मर जाना चाहिए…. बहुत अकेला हो गया था मैं उसके जाने के बाद अगर तुम ना मिलती तो किसी नदी में कूदकर मैं अपनी जान दे देता…. आज भी रोज़ उससे दिन में कई कई दफा माफ़ी मांगता हूँ …… कभी-कभी तो अपने लिए दुआ करके सोता हूँ कि सुबह नींद ही न खुले …. सिड सब एक ही आवाज में कहता चला जा रहा था , साँसे ऊपर चढ़ती ही चली जा रही थी आंसू बेतहाशा बहते ही जा रहें थे । जब तक खुद को रोक सका तो रोका फिर दोनों हथेलियों में मुँह छुपा फफक-फफक कर रोने लगा। रश्मि ने तुरंत उसे कस लिया और उसे दिलासा देने लगी… उसने तुम्हें माफ़ कर दिया होगा तुम भी खुद को माफ़ कर दो,क्योंकि तुमने गलती जानबुझकर नहीं की होगी और गलती से हुई गलती गलती नहीं मानी जाती ।
नहीं गलती मेरी ही है मैं ही उसे वहाँ ले गया था सब गलत….
चुप बिलकुल चुप! मैंने कहा न जो भी हुआ होगा उसमें तुम्हारी गलती नहीं थी कभी-कभी इंसान का लक भी खराब होता है।
नहीं नहीं गलती सब मेरी ही थी तुम्हें पता कहाँ है कि क्या हुआ उसके साथ वरना तुम भी मुझे ही दोषी ठहरतीं। अच्छा क्या हुआ था उस दिन बताओ । रश्मि ने पूछा तो सिद्धांत एक बार फिर उससे लिपट के रोने लगा।
क्या हुआ था उस दिन? ये सवाल रश्मि के मन में भी है और आप लोगों के भी लेकिन इसका जवाब आपको रश्मि के साथ ही अगले भाग में मिलेगा। तब तक आप अपने हिसाब से भले ही कुछ भी सोच के मुझे बता सकते है। तो इंतजार करिये अगले भाग का ,क्योंकि उसमें कुछ नई परते खुलने वाली है।