आज मैं बहुत बोल्ड टॉपिक ले कर आयी हूँ आप लोगों के सामने , जिस उम्र की मैं हूँ उस उम्र से कुछ ज्यादा ही संगीन , गंभीर और एडल्ट । मैं इस पर लिखना नहीं चाहती थी लेकिन क्योंकि ये स्त्रियों से जुड़ा मुद्दा था और ऐसा मुद्दा भी जो सामाजिक स्तर पर उठना भी जरुरी था सो मैं अपनी स्टडी से थोड़ा ब्रेक लेकर आप सभी लोगों के सामने आपकी राय जानने आ गई।
जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट में दो न्यायाधीशों के फैसले में अंतर देखने को मिला , और वो केस भी आप जानतें ही होंगे… वैवाहिक बालात्कार का । जिसमें जस्टिस राजीव शकधर ने निर्णय दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 को अनुच्छेद 14 ( C) का उल्लंघन है और इसे अमान्य किया जाना चाहिए । जबकि पीठ के दूसरे जस्टिस पी.हरि शंकर ने इसके विपरीत फैसला दिया कि यह प्रावधान किसी भी क़ानून का उल्लंघन नहीं है अतः यह अस्तित्व में रहेगा।
क्या है धारा 375 ?
यह धारा स्त्री के साथ पुरुष यौन सम्बन्धों को परिभाषित करती है। IPC की इस धारा के अनुसार कोई भी पुरुष जबरन किसी महिला के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है तो उसे रेप माना जाता है । इस क़ानून के अनुसार 6 परिस्थितियों में महिला के साथ बनाया सम्बन्ध रेप होगा –
- महिला की इच्छा के विरुद्ध सम्बन्ध बनाना।
- उसकी सहमति के बिना यौन सम्बन्ध स्थापित करना।
- महिला को उसकी या उसके परिचित की जान लेने की धमकी देकर रजामंदी हासिल करना।
- जब वह जानता हो कि वह स्त्री का पति नहीं है , पर स्त्री ने पति मानकर स्वीकृति दी हो।
- सहमति प्रदान करते वक्त स्त्री मानसिक रूप से स्वास्थ्य न हो , नशे में हो , या कोई नशीला पदार्थ दिया गया हो।
- महिला की आयु 16 वर्ष से कम हो ।
इन परिस्थितियों में महिला के साथ बनाया गया यौन सम्बन्ध रेप होता है । लेकिन इस धारा से बहस यह जन्मी है कि पति के द्वारा यदि पत्नी से जबरदस्ती सम्बन्ध स्थापित किया जाय तो क्या वह रेप नहीं माना जाएगा?
क्या है केंद्र सरकार का पक्ष?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शादी के बाद पति द्वारा जबरन सम्बन्ध बनाने को रेप मानने के लिए दायर याचिका पर कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि “विवाह एक संस्था हैं और इस तरह के क़ानून इस संस्था को कमज़ोर करने का काम करेंगे। इस क़ानून का उपयोग पतियों को परेशान करने के लिए किया जा सकता है।”
कितना भयानक होता है मैरिटल रेप (आंकड़ों में)-
अपना ‘महान’ भारत दुनिया के उन 34 देशों में शामिल है जहां पति “परमेश्वर” को पत्नी नामक गुलाम से रेप करने की पूरी आजादी है, बिना उसकी इच्छा के , उसके पीरियड होने पर भी , गर्भवती होने पर भी चाहे स्वास्थ्य की वो किसी भी गंभीर समस्या से गुजर रही हो अगर पति को खुश करने से मना करती है तो उसे पूरा हक़ है परमेश्वर से “हैवान” बनने का। इसी हैवानियत के कुछ आंकड़े जो रूह कांपा देने को काफी होंगे।
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-20) के अनुसार पंजाब के 67 % पुरुषों ने माना कि पत्नी के साथ जबर्दस्ती करना उनका हक़ है।
- पत्नियो के साथ यौन हिंसा में बिहार (98.1%),जम्मू कश्मीर (97.9%),आंध्रप्रदेश (96.6%),मध्यप्रदेश (96.1%) , उत्तरप्रदेश (95.9%) व हिमाचल प्रदेश (80.2%) के पति सबसे आगे हैं।
- यौन उत्पीड़न की शिकार शादीशुदा महिलाओंं से जब उत्पीड़ित करने वाले पहले पुरुष का नाम पूछा गया तो 93% महिलाओंं ने अपने पति का नाम लिया।
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2015-16 के अनुसार ) 99% यौन हिंसा के मामले दर्ज दर्ज ही नहीं होतें।
- यौन उत्पीड़न की शिकार 45% महिलाओ के शरीर पर किसी ना किसी प्रकार की चोट के निशान हैं।
- 17% महिलाओंं को बहुत गंभीर शारीरिक चोटें जैसे- गहरे घाव,हड्डियां तोड़ने व दांत तोड़ने जैसे जख्म है।
- 10% महिलाओंं को यौन सम्बन्ध के दौरान जलाया भी गया।
ऊपर के आंकड़े से आप खुद सोच सकते हैं कि इस तरह की हैवानियत करने वाले व्यक्ति को सज़ा मिलनी चाहिए या नहीं ।अनुच्छेद 375 का अपवाद-२ जो ये कहता है कि शादी के बाद अगर स्त्री के साथ उसका पति रेप करता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है , खत्म होना चाहिए या नहीं ।
लेकिन मेरे इस लेख का मकसद क़ानून पे सवाल उठाना बिलकुल भी नहीं है बल्कि आप लोगों की राय जानना है, समाज के उस नजरिये को बदलना है जो ये मानता है कि शादी के बाद औरत आदमी की जागीर हो जाती है । पति चाहे मारे- पीटे, रेप करें सब जायज है क्योंकि वो पति है और औरत के लिए पति ही भगवान् है । मेरा ये लेख उन औरतों के लिए है जो बदनामी के डर से या शादी टूट जाने के डर से किसी से कुछ नहीं बताती। (ऐसे जानवर के साथ जिन्दगी जीने से अच्छा है कि आप जंगल में रह ले यकिन करें वहाँ के जीव इतने जंगली नहीं होतें हैं। वैसे भी एक फेमस अमेरिकी लेखक ने कहा ही है “एक औरत के लिए सबसे असुरक्षित स्थान उसका घर होता है।”)
सोवियत संघ 1922 इसे अपराध घोषित करने वाला पहला देश बना था ।उसके बाद 1932 में पोलैंड ,…..अमेरिका 1993 में मैरिटल रेप को अपराध मान चुका हैं।185 देशों में से 150 से अधिक देशों ने (2019 तक) मैरिटल रेप को गैर कानूनी व अपराध घोषित किया है।
अब सवाल ये है मेरा कि हम लोग कब स्त्रियों के प्रति संवेदनशील होंगे , हमारे देश में कब ये क़ानून बनेगा? हमारे देश के पति कब समझेंगे कि No means No ?कब उन्हें अहसास होगा कि उनकी पत्नी भी इंसान है कोई सेक्स टॉय नहीं । औरतें कब समझेंगी कि उन्हें शक की बीमारी से जूझ रहे पति के सामने खुद की पवित्रता साबित करने की बजाय उसे किसी काउंसलर के पास भेजना उचित होगा ।
इन सब पितृसत्तात्मक खबरों के बीच बस एक फैसला राहत भरा था । जो कर्नाटक हाईकोर्ट ने दिया था । ” एक आदमी आदमी है , एक अधिनियम , अधिनियम है, बलात्कार, बलात्कार है, वो चाहे पुरुष द्वारा किया गया हो या पति द्वारा अपनी पत्नी पर।
Very nice good thinking my dear sister .
I saport you.
Sach me ankho me anshu aa gaye
Thanks dear brother.