पहले भाग में आपने पढ़ा कि प्रणय जोकि एक मानसिक रोग से ग्रस्त युवक है उसे तरह-तरह भ्रम होते रहते हैं उसे अजीब चीजें जो कहीं भी नहीं होती वो तक दिखाई देती हैं। उसकी यह हालत गौरी जोकि उसकी सबसे अच्छी दोस्त है,बखूबी समझती है। जब प्रणय ने उसे एक अजनबी मगर मरी हुई लड़की के बारे में बताया तो गौरी उसे प्यार से समझाते हुए अपना दिमाग व्यस्त रखने को कहती है। प्रणय भी इसे वहम स्वीकार कर लेता है।
अब आगे –
वाकई वो लड़की मेरा वहम है मुझे उस पर ज्यादा नहीं सोचना चाहिए , मैं अपनी किताब में ही अपना दिमाग लगता हूँ , फिर प्रणय कुछ सोचने लगा , नहीं शाम हो गई है बालों को थोड़ा ताजी हवा खिला लाता हूँ.. मम्मी थोड़ा पानी गरम कर दो, उसने वाशरुम की तरफ जाते हुए तेज आवाज़ में कहा।
walk करते हुए प्रणय की ये खास आदत है पूरे रास्ते वो अपने बालों को हवा में 5-7 बार लहराता जरूर है। मुस्कुराते हुए, गुनगुनाते हुए वो हलके कदमों से ही चलने का मज़ा लेता है। एक और विशेष आदत है उसकी, वो कभी भी चलते समय हेडफोन,ईयरफोन जैसे किसी भी चीज़ को कानों में नहीं लगता है । गौरी के साथ जब भी टहलने जाता है और वो उसे कुछ कान में लगाने को बोलती है तो कह देता है सुबह का ये हल्का मीठा शोर सुनने का भी अपना एक अलग ही मज़ा है। शाम को जब टहलने निकलता है तब भी हेडफोन क्यूँ नहीं use करता ये तो राम जाने या वो खुद।
जरा रुकिए..!प्रणय चल ही रहा था कि उसे पीछे से एक लड़की की आवाज़ सुनाई दी। मगर प्रणय रुका नहीं बल्कि कदम और भी तेज चला दिए।
प्रणय सिर्फ एक बार मुझे सुन लीजिए। प्रणय अब भी नहीं रुका बस मन में ही कहा इस वहम को दूर रखूँ तभी ठीक है। सिर्फ थोड़ा सा वक्त चाहिए मुझे आपका। अबकी प्रणय को रुकना पड़ा क्योंकि वो उसके सामने आकर खड़ी हो गई। वो थोड़ा रुका तो जरूर अचानक से ,लेकिन ना उसकी तरफ देखा ना कुछ कहा तुरन्त उसके बगल से निकल गया क्योंकि गौरी ने उसे ऐसे ही करने को बोला था। एक बार इग्नोर करके वो आगे बढ़ा लेकिन जब वो दोबारा सामने आ गई तो प्रणय झल्ला गया।
तुम चाहती क्या हो मुझसे ? क्यों मुझे तंग करती रहती हो? तुम्हें अपनी औकात भी पता है ? मैं चाहूं तो तुम्हें एक मिनट में बर्बाद कर दूँ , खत्म कर दूँ तुम्हें क्योंकि सिर्फ मेरी सोच हो इस के सिवा कुछ नहीं। मैं तुम्हें मिटा दूँगा जो दोबारा मुझे मिली कभी तो..। कहता हुआ प्रणय आगे बढ़ा ही था कि वो लड़की बोल पड़ी, मिटे हुए को क्या मिटाएगा प्रणय जी मैं तो सालभर पहले ही मिट चुकी हूँ। तुम अपनी बेहूदा बकवास बंद कर दो वरना मैं लड़कियों की बहुत इज्ज़त करता हूँ लेकिन फिर भूल जाऊंगा…. हाथ उठाने का तो नहीं सोच रहें हैं मुझ पर , वो प्रणय की आँखों में आँखे डालकर बोली। प्रणय थोड़ा असहज हो गया लेकिन शान्त नहीं , अगर तुम नहीं मानी तो हाथ भी उठाना पड़ सकता है । मार पाओगे मुझे ..नहीं क्योंकि चोट शरीर को दी जाती है आत्माओं को नहीं, आत्माएं सिर्फ भटकने का काम करतीं हैं ये मार-पिटाई , ये जख्म , शरीरों के लिए ही बचा कर रख लीजिये आप।
फिर वहीं ड्रामा कहा न you are only my imagination nothing else.
मैं कैसे यकीं दिलाऊं , मुझे तो लगता हैं कि जब तक आपको यकीन दिलाऊंगी तब तक मेरी रूह की मियाद पूरी हो चुकी होगी, मेरी ख्वाहिश अधूरी रह जाएगी और मेरा एडी पागल हो चुका होगा। वो भरी-भरी आँखे लिए सामने लगी बैन्च पर बैठ गई , उसकी सांसें तेज चलने लगी और वो तेजी से सिसकने लगी। प्रणय ने चारों तरफ देखा ,लोग हँस रहें थे, बात कर रहें थें , कोई cycle चला रहा था तो कोई योग कर रहा था लेकिन कोई उस रोती हुई लड़की को नहीं देख रहा था , या देख ही नहीं पा रहा था , वो सिर्फ प्रणय को ही दिख रही है और प्रणय उसे रोता हुआ देख भी रहा है,चुपचाप बुत बना भावहीन , शून्य। वो थोड़ी देर तो ऐसे ही खड़ा रहा फिर अचानक घर की तरफ भागा,हाँ वो भागा ही था जो जिस हिसाब से चल रहा था उसे भागना ही कहा जाएगा।उसने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अब आगे क्या होगा ? क्या वो लड़की सच कह रही है ?क्या प्रणय को पछ्तावा होगा अपने बर्ताव पर या वो खुश होगा? और कौन एडी है जिसकी फ़िक्र में वो लड़की मरने के बाद भी भटक रही है? सब पता चलेगा आपको लेकिन उसके लिए आपको कहानी के अगले भाग का इंतजार करना होगा और हाँ मेरी वेबसाइट को follow भी करना होगा ताकि स्टोरी पहुंचे सबसे पहले आप के पास।
You really make it seem so easy with your presentation however I
to find this topic to be actually one thing which I think I
would by no means understand. It kind of feels too
complex and very huge for me. I am having a look
forward for your next submit, I will try to get the dangle of it!
Najlepsze escape roomy