हिंदी के लेखक आलोक धन्वा की एक बहुत मशहूर कविता, जोकि अंतराष्ट्रीय स्तर भी काफी प्रसिद्ध हुई जिसका नाम था “भागी हुई लड़कियां ।” इस कविता में एक अटल सत्य से भरी हुई पंक्ति आती है, ” वह कोई पहली लड़की नहीं है जो भागी है और ना वह अंतिम लड़की होगी।” इसी एक लाइन में लगता है सदियों का फासला तय किया गया हो। लेकिन इस अंतराल में भी वजहें जैसे बदली ही नहीं। जिन वजहों से लड़कियां पहले भागती थीं , आज भी उन्हीं वजहों से भागती हैं और शायद आगे भी उन्हीं वजहों से वे भागती रहेंगी।
कितनी ही लड़कियां भागती हैं मन ही मन। अपने रतजगे , अपनी डायरी में…. सचमुच में भागी हुई लड़कियों से उनकी आबादी बहुत अधिक है। – आलोक धन्वा
मुझे लगता है कि लड़कियों के घर से भागने के सिर्फ तीन कारण होतें हैं। कुछ लड़कियां प्रेम के लिए भागती हैं ,कुछ लड़कियां सपने के लिए घर से भागती हैं और कुछ भागती हैं डर से,शोषण से बचने के लिए। लेकिन हम सारी लड़कियों के भागने को बस एक ही नजरिये से देखते हैं “लड़के के चक्कर में भागी होगी और क्या!” हमें इसके सिवा बाकी दो ऑप्शन नज़र नहीं आते हैं। हमने ये अरसे पहले ही तय कर लिया है कि दुनिया की सबसे खूबसूरत से लेकर सबसे बदसूरत तक , अमीर लड़की से लेकर गरीब लड़की तक , पढ़ने वाली लड़की से लेकर अनपढ़ तक कोई भी लड़की कहीं भी भागी है तो वो भागी है किसी लड़के के साथ ही। ” अगर एक लड़की भागती है , तो हमेशा जरुरी नहीं कि कोई लड़का भी कहीं भागा हो!”– भागी हुई लड़कियां।
हम मानने को ही तैयार नहीं होतें कि लड़कियों के भी कुछ सपने होते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए वे घर और समाज से लड़ने में ज़रा भी हिचक नहीं रखेंगी। मेरे हिसाब से लगभग 30% लड़कियां अपने किसी सपने के लिए , ऊंची पढ़ाई के लिए घर से भागती हैं, अपने पैरों पे खड़ा होने के लिए उन्हें घर से भागना पड़ता है। ऐसा वें तब करती हैं जब घर वाले उनके सपने की कदर ना कर रहें हो या उन पर शादी का दबाव बना रहें हो। भागते वक्त वे ये सोच कर निकलती हैं कि जब कुछ बन के वापस आऊँगी तो आप ही सब लोग माफ़ कर देंगें और निकल के चल देती है अपने सपनों की तरफ किसी को ऐक्ट्रेस बनाना होता है, कोई airhostes बनाना चाहती है, कोई मॉडलिंग करना चाहती है तो कोई बिजनेस वुमन बनाना चाहती है। लेकिन इनमें से सभी सफल नहीं हो पाती कोई किसी ऐसे चंगुल में फंस जाती हैं कि जिन्दगी भर चाहकर भी निकल नहीं सकती। कोई अपने सपने पे give up कर कोई दूसरा सपना जीना शुरू कर देती हैं। लेकिन फिर भी 30% में से 20% जरूर सफलता प्राप्त करती हैं। ये आंकड़ा 20%से 27%- 28% भी हो सकता था अगर घरवालें भी साथ देतें, ये समझते की सपने देखना और उन्हें पूरा करना जिंदा होने की निशानी है,इंसान होने की निशानी है, उनकी बेटी कोई जानवर या रोबोट नहीं है। कुछ लड़कियां अपने सपनों से समझौता कर भी ले लेकिन जिद्दी और विद्रोही किस्म की लड़कियां कभी ऐसा नहीं करती क्योंकि वो जानती हैं कि सारी जिन्दगी उनके साथ कोई नहीं रहने वाला सिवाय उनके सपनों के। इसीलिए वे अपने पीछे सब कुछ छोड़ते हुए अपने सपनों का पीछा करतीं हैं।
इन सब के साथ ही लड़कियों का एक वर्ग प्रेम के लिए कुछ भी करने को तत्पर रहता है। ऐसा नहीं है कि मैं ये मानती हूँ कि लड़कियां अपने प्रेमियों के साथ नहीं भागती हैं या कम भागती हैं यह तो ऐसा होगा कि सूरज के सामने मैंने आँख बंद कर ली और मान लिया कि अब सब कहीं अँधेरा हो गया। घर से भागने वाली लड़कियों में 60% लड़कियां अपने प्रेमी के साथ भागती हैं। लेकिन यहाँ उनका भागना मायने नहीं रखता उन्हें भागने को मजबूर करने वाली वजह महत्वपूर्ण होती है, जोकि यह है कि उनके परिवार ने उनके प्रेम को स्वीकृति नहीं दी और उनसे कहा कि वे अपने प्यार को भुला दें। क्या इतना आसान होता है किसी को एक पल में भुलाना जिसके साथ आपने जनम-जनम साथ रहने की कसमें खायी हो? नहीं ये काफी कठिन होता है इतना कठिन कि लड़कियों को घर से भागना उससे कई गुना आसान लगता है। कभी-कभी लड़कियों पर पाबन्दी लगा दी जाती है नजरबंद कर दिया जाता है उन्हें घर में इस डर से कि कहीं वो लड़के के साथ भाग ना जाए। लेकिन इतना नहीं समझा जाता जवान लड़की और जवान नदी कहीं ना कहीं से निकलने का रास्ता खोज ही लेती हैं। आप भागने के डर से जोर-जबरदस्ती से उनकी शादी करा देते है ये सोचकर की अब सब ठीक हो जाएगा। लेकिन कभी-कभी ये दांव उलटा पड़ जाता है और विवाहेतर सम्बन्ध जन्म ले लेते हैं , और लड़की वहाँ से भाग जाती है। तब आपकी ज्यादा बेज्जती होती है। लेकिन शायद आप तब भी नहीं मानते कि इसमें गलती आप की भी थी। कभी-कभी तो जो लड़कियां घर से भागती है वें गलत हाथों में पड़ जाती हैं। लेकिन वे जानती हैं कि अगर वें वापस आएँगी तो उन्हें परिवार, समाज स्वीकार नहीं करेगा हो सकता है कि उनकी जान भी ले ली जाए इसीलिए वे हिम्मत करके भी वापस नहीं आ पातीं और किसी घोर अँधेरे में खो जाती हैं।
दो-चार दिन में लौट आती है लड़की घर में बढ़ जाता है तनाव कहीं कोई ख़ुशी नहीं मर क्यों नहीं गई। मर ही जाती.. लौट कर क्यों आ गई यह लड़की? – महेन्द्र चन्द्र पूनेठा
प्रेमियों के साथ भागी हुई लड़कियों पर एक चीज़ का सख्त खतरा मंडराता रहता है वो नहीं जानती कि कब किस गली,किस चौराहे पर उसके पिता-चाचा, भाई मिलेंगे और कब वो या उसके प्रेमी एक दूसरे को अंतिम बार प्यार से देख रहें होंगे। प्रेमियों के साथ भागी हुई इन 60% लड़कियों में से सिर्फ 30% लड़कियों को ही प्यार , परिवार और खुद का संसार नसीब होता है। बाकी 30%की जिन्दगी उनके खुद के प्रेमी या खुद के ही परिवार वाले बर्बाद कर देतें हैं। ये 30% आपको कभी नहीं दिखती ना किसी आंकड़े में , ना किसी खबर में ना किसी मेला या हाट में।
लड़कियों के भागने का 10% वर्ग और भी है जो ना सपने के लिए भागता हैं ना प्रेम के लिए, वो भागता है सिर्फ कुछ साँसों के लिए। दिल्ली के किसी बड़े घर में बंद लड़की सोचती हैं कि काश कोई खिड़की धोखे से खुल जाए और वो किसी मैना की तरह फुर्र से उड़ जाए कहीं दूर जहां उस पर ना उसके मामा की नज़र हो ना चाचा की जहाँ कोई उसके बदन पर गर्म चिमटा दागते हुए ये ना कहे की आज रोटी जली बनी थी।जहाँ उसे उसके मासी के तानों से फुर्सत हो,जहाँ आँखे ततेरती भाभी की निगाहें उस तक ना पहुँचे। भले समाज कुछ कहे , भले पास पड़ोसी गलत समझें , लेकिन जहां भी जाना होगा शायद वहाँ उम्मीद की नई किरण मिले। कोई दूर से उठती आशा इन्हें अपनी तरफ बुलाती है ये नहीं जानती की बाहर की दुनिया कैसी होगी? ये वहाँ क्या करेंगी? लेकिन फिर भी वहाँ से भाग जाती हैं क्योंकि इन्हें इतना पता रहता है कि इन्हें बस जीना है। इन्हें महसूस करना होता है की इनके सीने में भी सांसें आती-जाती हैं। ये मानकर चलती है कि अगर बाहर कुछ बुरा भी होता है उनके साथ तो जो अब तक उनके साथ होता आया उससे तो अच्छा ही होगा।
👌👌👌🍫🍫🍫❤️❤️
Samaj ka liyai ek aina hai
awesome