तुम उस डायरी को जला नही सकती ना फाड़ ही सकती हो क्योंकि. …क्योकि अगर तुमने कुछ भी ऐसा किया तो तुम भी जिंदा नहीं बचोगी और मैं नहीं चाहता…नहीं चाहता की तुम्हें कुछ हो तुम्हें मैं सही-सलामत देखना चाहता हूँ क्योंकि. .. । सान्या एकदम शांत होकर दानिश को बोलते हुए देखती रही ऐसा लग रहा था की कोई पिक्चर चल रही हो, हकीकत हो ही नही ये। सान्या का दिमाग़ तर्क दे सकता था इस बात पर की दानिश का दिमाग़ ठीक नहीं है वो कुछ भी बोल दे रहा है , उसके दिमाग़ में कोई हॉरर कहानी चल रही होगी तभी।
लेकिन आज सान्या के दिमाग़ में विश्वास अविश्वास , तर्क-वितर्क जैसी कोई चीज नहीं थी , थी तो बस एक कोरी हकीकत जो दानिश बोल रहा था की वो लाल डायरी शापित है उसे जो भी नष्ट करने की कोशिश करेगा वो खुद बर्बाद हो जाएगा। विक्रांत की मौत उसके दिमाग़ में आईना बनकर घूम रही थी। काश उसने उसी वक्त समझ लिया होता ये सब तो उसके बाकी दोस्त तो सही सलामत रहते ।
मैं चाहता हूँ की तुम ठीक रहो क्योंकि. …मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो , क्योकि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ । इतनी परेशानियों के बावजूद प्यारा सा ये शब्द कहते हुए उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान तैर गयी। हाँ जानती हूँ । सान्या ने आँखों के आंसुओं पर काबू करते हुए जवाब दिया।
लेकिन फिर भी मुझसे प्यार नहीं करती है ना ? क्योंकि तुम्हें कबीर अच्छा लगता है !
मैं कैसे कहूँ तुम लोगों से की मेरी जिंदगी का मकसद कभी भी प्यार करना या शादी करना नही है, मैं कुछ अलग करना चाहती हूँ बहुत अलग ताकि बहुत सारा जी सकूं वो भी खुशी-खुशी, जिंदगी को बेइंतहा जीना ही मेरा मकसद है और वो किसी से प्यार करके पूरा नहीं हो पायेगा मेरी आज़ादी चली जाएगी इसीलिए तुम भी और कबीर भी विक्रांत की तरह मेरे सबसे अच्छे दो…. दानिश ! उसके सफ़ेद चेहरे और छत की तरफ गड़ी आँखें देख कर सान्या डर गयी और उसके शरीर को हिलाया, उसे आवाज दी लेकिन……
दानिश की मौत पे सान्या टूटी नही चीखी नहीं जैसे पहले से ही तैयार होकर आयी थी दानिश की मौत के लिए । उसे डर तो बस तब लगा जब उसके फोन का जवाब ना उर्वी ने दिया और न कबीर ने । वो समझ गयी की शायद वो दोनों किसी बहुत बड़ी मुसीबत में फंस चुके है जहाँ से निकलना उन दोनों के बस की बात नहीं । अब उसे ही कुछ करना होगा वरना ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा और उसकी छोटी बहन भी इसकी चपेट में आ जाएगी। नहीं! ऐसा नही होने दूंगी बिल्कुल भी नहीं! सान्या हॉस्पिटल से निकल कर अपने घर की तरफ चल दी, दानिश के अंतिम संस्कार का भी इंतजार नही किया। वो बहुत जल्दी में थीं ऐसा लग रहा था की कोई उसका वेट कर रहा हो उसके घर पे , और अगर उसे पहुंचने में देर होगी तो वो चला जायेगा ।
सान्या ने जब अपने घर में कदम रखा तो वो पूरी तरह से खुद को तैयार करके आयी थी की उसके घर में उसके सिवा भी कुछ लोग मिलेंगे उसे , उन कुछ लोगों में उर्वी और कबीर भी शामिल हो सकते है । इसीलिए उसके अंदर डर की मात्रा कम थी और इतने बड़े घर का अंधेरा उसे ज्यादा डरा नहीं सका था ।अपने कदमों की आवाज को सामान्य करतें हुए वो अपने कमरे की तरफ चल दी ।
दरवाजा खोला तो डेस्क पर वो लाल डायरी वैसे ही पड़ी थी जैसे कल रात उसने छोड़ा था उसे। सान्या के पूरे बदन पर पसीने की बड़ी-बड़ी बूंदें निकल आयी और उसका दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था की लगा सीने के बाहर ही निकल आएगा।उसने अपने डर पर काबू करने की कोशिश की और एक चेयर खींच कर बैठ गयी जैसे आम दिनों में बैठ जाया करती थी। बाहर अंधेरा पूरे शहर को ढकने लगा था पक्षियों की आवाजें भी पूरी तरह बंद हो चुकी थी और हवा धीमी-धीमी बहने लगी थी। सान्या चेयर से उठी और लाइट जलाने लगी , बटन ऑन ऑफ करने दो चार बार देखा लेकिन लाइट नहीं जली क्योकि बिजली जा चुकी थी।
सान्या ने कैंडल जलाकर टेबल पर रखी और उस डायरी को पढ़ने के लिए खुद को तैयार कर करने लगी। कापतें हाथों से उसने डायरी खोल दी। उसे पता था कि ये डायरी खोलने से उसकी साँसे हमेशा के लिए बंद हो सकतीं है लेकिन वो बहुत थक चुकी थी और इस मनहूसियत को किसी भी कीमत पर रोकना चाहती थी ।
पहला पेज देख कर आज उसमें जरा भी उत्सुकता नहीं जगी कोई खूबसूरती नहीं झलकी उसे उस पन्ने पर । उसने आगे पढ़ना शुरु कर दिया। बाहर हवा धीमी थी लेकिन सान्या के कमरे में हवा थोड़ी तेजी से चल रही थी। बाहर से आती हवा खिड़कियों से टकराकर इतनी तेजी से कमरे में घूमती थी की कोई बाहर से से पत्थर फेंक रहा हो। उसके कानों से हवा सांय से गुजरती तो सिर्फ कान ही नही पूरी रूह ही सिहर जा रही थी । उसे लग ही नहीं रहा था की वो अपने लिविंग रूम में बैठी हैं,कमरे का जैसा माहौल था लग रहा था की कोई कब्रिस्तान हो। लेकिन उसने पढ़ना जारी रखा ।
जब उसने मधुलिका पर किये गये अपने परदादा के अत्याचार को पढ़ा तो उसे घिन आयी उनपर , उनके साथ जो हुआ वही होना चाहिए था लेकिन उनके पूरे खानदान को क्यों? ये बात उसे अच्छी नही लगी। पढ़ते हुए उसने नोटिस किया की कुछ पेज अलग करने के बाद चिपकायें गएँ थें ध्यान से देखा तो हाँ डायरी के पिछले पन्ने किसी के खून से चिपके हुए थें वो भी खून ज्यादा सूखा भी नहीं था। सान्या ने उस पर उंगलिया फिराई तो उसकी उंगलियों पर भी लालिमा आ गयी । हवा एकदम से तेज हो गयी तो मोमबत्ती बुझ गयी , पूरे कमरे में खूब अंधेरा और सान्या ही थें बाकी अगर कुछ लोग थें तो अंधेरे की वजह से सान्या उन्हें देख नही पा रही थीं।
अचानक से लाइट आयी तो इतनी ज़्यादा लाइट थी की सान्या को अपनी आँखें बंद करनी पड़ी,धीरे-धीरे वो आँखें खोल रही थी तो उसे लगा की कोई उसके पास बैठकर उसके कंधे को सहला रहा है लेकिन उसके हाथ काफी अजीब से बदबूदार और नुकीले हो, सान्या ने जैसे ही आँखें खोली उसे लगा की सामने पड़ी चेयर पर किसी का धड़ रखा है और कमरे के एक कोने में अपना सिर दीवार की तरह करके खड़ा हुआ एक आदमी दिखाई दिया जिसका सीना और बाकी बदन सान्या की तरफ था। सान्या ने महसूस किया की कोई भी उसकी बगल में नहीं है बस एक हाथ है जो उसके कंधे पर लगातार चल रहा है। उसने हिम्मत की और अपना एक हाथ जोर से कंधे पर मारा लेकिन कंधे पर किसी का भी हाथ नही मिला उसने अपनी गर्दन टेड़ी करके अपने कंधे को देखा तो पाया की उसकी बाँह पर नोंचने के निशान बने थें, गहरे-गहरे नाखूनों के निशान। सान्या की आँख में आँसू आ गएँ, तभी लाइट फिर से चली गयी। सान्या ने खिड़की से बाहर नजर दौड़ाई तो देखा की सब कहीं बिजली थी बस उसके ही घर पर अंधेरा था। उसने हिम्मत की, दोबारा से मोमबत्ती जलाई और फिर से डायरी पढ़ना शुरु कर दिया।
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