रेगिस्तानी कुत्ते मेरे सपनों में भागते हैं,
फुर्तीले, चुस्त और ख़ामोश,
ख़ुदा की हवा की तरह; ख़ूबसूरत और राजसी,
रात-दर-रात अवश्य वे भागते हैं।
मैं सूँघती हूँ, स्वाभाविक है मैं सूँघती हूँ :
मेरा हृदय उनका आखेट है।
कैसे तृप्त होती कभी
अगर थकने तक नहीं भागती मैं;
रात-दर-रात नहीं भागती,
दौड़ नहीं लगाती मायावी, अजनबी
रेगिस्तानी कुत्तों के संग ।