“उम्र का फ़र्क निदा फ़ाज़ली की कविता 2023-04-07 by writecrownex.com बहुत सारी खनकती हुईकिलकारियों को सुन करमैं किताब बंद करकेकमरे से आँगन में आयालेकिन मुझे देखते हीमारिया के साथ हँसते खेलतेउसके सारे नन्हे-मुन्ने साथीसहम सहम करअपनी-अपनी शाख़ों पर वापस जाकरफिर से फूल बन गएकेतकीचमेलीगुलाब