1. यूँ होता है...
सबसे पहले तो क़िस्से में हीर आती है
और फिर हीर के हिस्से में पीर आती है
अगले सफ़हे
बादल, बारिश
जंगल, जुगनू
नदियाँ, कश्ती
क़ैस, रोमियो
ढोला, राँझा,
पीर, बावर्ची खर और भिश्ती
आधे-आधे दिल पे धँसते तीर आते हैं
बाद बहुत चच्चा ग़ालिब और मीर आते है ।
2. फिर मैंने तुम्हें देखा
एक बार तथागत ने कहा, हर क्षण ऐसे चलो
जैसे हथेली पर जलता हुआ दीया रखा हो
फिर मैंने तुम्हें देखा…
जिसे ईश्वर ने पृथ्वी की हथेली पर ऐसे धर दिया जैसे जलता हुआ दीया रखा हो ।
3. कला
चूमना एक बारीक कला है
जिसकी निपुणता की परख होठों पर नहीं,
माथे पर होती है।
4. महकार
साँसों का उठना और गिरना ग़ज़ल के दो मिसरे हों जैसे
दिल किस शै की ज़द में है लम्हा-लम्हा जादू है
अब तक जान नहीं पायी हूँ
सुखन, मौसिक़ी, इश्क़ की लौ या
ध्यान की सोंधी खुशबू है ।
5. ईश्वर की प्यास
अडोल होते हैं गूँगे की प्रार्थना के सुर
अंधे का स्वप्न इन्द्रधनुषी होता है
कंघे से झरे हुए माँ के केश देवदूत बुहारते हैं
प्यास लगने पर
प्रेमियों के आँसू पीता है ईश्वर ।
6. शिव का धनुष
पिता के लिए मैं शिव का धनुष रही सदा
वही जानते हैं
कि बलशाली नहीं कर सकते
मेरा वरण
न ही तोड़ सकते हैं
कोई प्रेमी उठता है
बाएँ हाथ से पिनाक उठा लेता है ।
7. तुम से ज्यादा – तुम
तुम में सब्र मुझ से ज़्यादा है
तुम में इल्म मुझ से ज़्यादा है
तुम में ज़िम्मेदारी मुझ से ज़्यादा है
तुम में रूहदारी मुझ से ज़्यादा है
तुम में ख़ुमार मुझ से ज़्यादा है
तुम में प्यार मुझ से ज़्यादा है
मुझ में तुम— तुम से ज़्यादा हो ।
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