लोगों ने पिछले भाग में पढ़ा था कि सिद्धांत अपने रिश्ते की बात करने अपनी प्रेमिका के घर जाने को निकलता है। लेकिन रास्ते में उसे अपनी एक और दोस्त के साथ बिताये लम्हें याद आने लगतें हैं और अचानक ही उसे अपनी दोस्त की पुकार सुनाई देती है वो तुरंत ब्रेक लगता है। अब आगे –
सिद्धांत तुरंत कार के बाहर निकला इधर-उधर देखने लगा “ये तो विन्नी की आवाज है!” वो सड़क के इधर उधर बड़ी बेचैनी से देखने लगा उसकी आँखे प्रकाश की रोशनी जितनी ही तेज दौड़ने लगी ऊंचे ऊंचे पेड़ो के आर-पार । माथे पर पसीना बिखर गया और सीने की धड़कन साँसो की डोरी जल्दी-जल्दी खींचने लगी। विन्नी की आवाज़ अब कहीं नहीं गूंज सकती है तो मेरे कानों में कैसे …? सिद्धांत इसी अधेड़बुन में उस घने जंगल के अंदर जाने के लिए कदम बढ़ा दिए । वो जंगल में जाने को बढ़ा ही था कि एक तेज रफ्तार से आती कार के हॉर्न ने उसे किनारे पर ही रुकने पर मजबूर कर दिया ।सांय करके कार तो आगे निकल गई मगर sid की सांसें एक दम से रुकने लगी । इतने में उसकी जेब में पड़े फोन ने शोर करना शुरू कर दिया वो तुरंत सचेत अवस्था में आने की कोशिश करते हुए झट से कॉल पिक करता हैं।
कहाँ हो?इतनी देर क्यों लग रही है ? मैंने कहा था ना डैडी के गोल्फ खेल के आने से 10 मिनट पहले ही आ जाना और तुम हो कि……. फोन के उधर से किसी लड़की की आवाज़ गूंज उठी।
हाँ.. हाँ ..मैं बस पहुंचने ही वाला हूँ थोड़ा गाड़ी में खराबी आ गई थी लेकिन फ़िक्र मत करो उनके आने तक मैं पहुँच जाऊंगा।
ओके ! फोन डिस्कनेक्ट हो गया।
ओह गॉड! ये क्या हो गया था मुझे , विन्नी की आवाज सुनाई दी ऐसा कैसे हो सकता है ?…नहीं ..नहीं वो विन्नी की आवाज नहीं मेरा वहम था हाँ मेरा वहम, भला मरे हुए लोग कबसे आवाज़ लगाने लगें? ये सिर्फ मेरी कल्पना थी ऐसा कुछ नहीं है। विन्नी अब कहीं नहीं है इस जंगल में तो क्या इस दुनिया में ही नहीं है । “तू भी न सिद्धांत बिलकुल पागल है , क्या-क्या सोच लेता है ?” ऐसा भी कहीं होता हैं । सिद्धांत की कार वो शॉर्टकट पार करके मेन रोड पर पहुँच चुकी थी।
सिद्धांत रश्मि के घर के बाहर पहुँच कर हैरान रह गया। कितना आलीशान है ये , घर है कि महल ? पूरे बँगले को वो एकटक निहारता ही रह गया । इतनी खूबसूरत तो उसे Diamond’s necklace पहन कर पहली बार मिली रश्मि भी नहीं लगी थी। जितना बड़ा बंगला उतना ही फैला हुआ बागीचा । जिसमें एक से एक महंगे खुशबुदार पेड़ से लेकर छाया भरी बेलें भी थी । चारों तरह तितलियों का डेरा ही डेरा ही था । सिद्धांत एक एक कदम पर ठिठक ठिठक के वृक्षों की खुश्बू में ही खो जा रहा था। छाया में लगा खूबसूरत कारीगरी वाला झूला उस बगीचे की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था। सिद्धांत अब बढ़ते बढ़ते बरामदे में आ चुका था लेकिन उसका ध्यान अब भी उन्ही पेड़ पौधों में लगा हुआ था। कितने प्यारे फूल हैं, घास कितनी मुलायम हैं …जी चाहता है सारे दिन इस पर नंगे पैर चलता रहूं … हवा कितनी प्यारी लग रही है इनकी .. आँखे कितनी ..? आँखे…! सिद्धांत चौक गया गार्डन में एक लड़की बैठी हुई थी जो उसे ही देख रही थी इतनी अजीब आँखो से जैसे आँखों से ही खून कर देगी । वो शायद कुछ पढ़ रही थी उसके आ जाने से शायद उसने अपना पढ़ना बंद कर दिया था और तब से इसे ही देख रही थी। वो लड़की उठी सिद्धांत के पास आकर रुक गई उसे ऊपर से नीचे देखा फिर एक व्यंग के लहजे में बोली अच्छा तो वो तुम हो ? इतना कहकर वो इतना कहते हुए वो आगे बढ़ गई और एक झटके से दरवाजा खोल अंदर चली गई। सिड कुछ नहीं समझ पाया वैसे ही खड़ा रहा। कुछ सोच रहा था कि तभी रश्मि आ पहुंची ।
यहाँ बाहर क्या कर रहें हो , डैडी अंदर है वैसे भी पहले ही बहुत देर कर दी है तुमने अब चलो डैडी से बात करने। रश्मि उसे खीचती हुई अंदर लेकर चल दी।
वो अभी जो अंदर गईं , वो कौन थी?
बताया तो था तुम्हें कि हम तीन बहनें हैं मैं , लीना और श्री । वो श्री थी। कुछ कह रहीं थी क्या तुमसे?
नहीं बस थोड़ा अजीब व्यवहार था उनका । वो ऐसी ही है हमेशा मेरी खुशियों से जलती हैं , खुद तो शादी के लिए राजी नहीं है और मेरी भी नहीं होने दे रही बोलती है मैं तुमसे बड़ी हूँ तो पहले मेरी होनी चाहिए ।
तो ये क्यों नहीं कर लेती शादी?
कैसे करेंगी सच्चे प्यार के चक्कर में 5 बार ब्रेकअप हो चुका है कोई भी मन का लड़का मिल ही नहीं रहा इनको। सब की किस्मत मेरी जैसी थोड़ी होतीं हैं मैंने तुम्हें पार्टी में देखा , बस देखते ही दिल हार गई । पापा से बात की तो पता चला कि तुम तो उनके ही दोस्त के बेटे हो फिर देखो बस… आज तुम मेरा हाथ मांगने मेरे घर तक आ चुके हो।
कॉफी खत्म होने के बाद बात की शुरुआत मिस्टर सिंह ने ही की। मुझे तुममें ऐसा कुछ खास नहीं नज़र आता कि मेरी बेटी तुम्हें देखते ही पसंद कर ले , लेकिन आजकल की लड़कियों को ये क्या कहतें है .. हाँ ये सिक्स पैक ज्यादा पसंद आते हैं न शायद इसीलिए । बाकी तो न तुम्हारे पास इतना पैसा है न ही कोई शोहरत। लेकिन जब तुम दोनों को ही पहली नज़र में प्यार हो गया है तो क्या किया जा सकता है। लेकिन अगर मैं एक बार भी रश्मि को मना कर दूँ तो शायद वो तुमसे शादी ना करें…।
वो आपकी बेटी है आपको पूरा हक़ है सर कि आप उसे मना कर सकते हो । क्योंकि अभी वो तो नादान है अच्छे भले की समझ उसमें नहीं , लेकिन आपने तो दुनिया देखी है उसे जो कमियां नहीं दिखी मुझमें शायद वो आपको दिख जाएं। उसे मैं उसकी importance लगता हूँ और वो आपके लिए prouaurty है। ऐसे में अगर वो भावनाओं में आकर फैसला लेगी तो आप सोच समझ के ।
बातें बनाने में बहुत माहिर हो ।
जी नहीं मेरे दिल में जो होता है वहीं जुबान पर लाता हूँ और कोई बात नहीं है सर मुझमें।
ये मत सोचना कि तुम मुझे मेरे मरहूम दोस्त के बेटे होने की वजह से अच्छे लगे लेकिन हाँ तुम्हारी बातें ही तुम्हें अलग बनाती है।
थैंक्यू सर।
नहीं .. नहीं तुम्हारी तारीफ करने का मतलब ये कतई नहीं है कि मैं हाँ कर रहा हूँ । इतनी जल्दी ये उम्मीद मत रखना मुझसे मैं अभी तुम्हें जानूंगा समझूंगा और राय दूँगा कि तुम दोनों थोड़ा वक्त साथ बिताओ क्योंकि अब वो ज़माने गए जब लोगो को एक ही नज़र में प्यार हो जाया करता था आजकल तो आधी उम्र साथ गुजरने के बाद लोग कहते है कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता।
जी आपने जो सोचा है कुछ सोच समझ के ही सोचा होगा।
ये था “तो वो कौन थी” का दूसरा भाग इससे आगे की कहानी जानने के लिए आप को अगले ब्लॉग का करना होगा थोड़ा सा इंतजार।
उम्दा❤️❤️
Really awantika heart touching story….
👍👍👌
Thanks
I don’t think the title of your article matches the content lol. Just kidding, mainly because I had some doubts after reading the article.