एडवर्ड, उसकी पत्नी और चार बच्चें जिनमें 2 महीनें की उसकी बेटी भी शामिल थी, अचानक ही काल के गाल में समा गएँ। सान्या सोच रही थी कि जब उसके सारे बच्चे मर गएँ थें तो उसके दादाजी कैसे बच गएँ ? ये जानने के लिए वो डायरी के आखिरी के तीनों पेज पढ़ना चाहती थी लेकिन उसे आभास हो रहा था की अगर उसने डायरी के वो पेज ख़त्म कर लिए तो उसकी जिंदगी भी ख़त्म हो जाएगी।इसीलिए उसकी हिम्मत ही नही हो रही थी की वो इस डायरी को पूरा पढ़े ।
कमरे में तेजी से घूम-घूम कर चलती हवाओं के बीच सान्या पढ़े हुए पेज को घूरे ही जा रही थी। अचानक से खिड़की पर लगा पर्दा टूट कर नीचे गिर गया। सान्या ने इस बात पर ध्यान तो दिया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नही दी बिल्कुल सामान्य दिखने की कोशिश करतें हुए मोबाइल की टॉर्च चलाकर सान्या वॉशरूम की तरफ चल दी। जब दरवाजे पर पहुंची तो दरवाजे पर खून बिखरा हुआ लगा था जिससे काफी बदबू आ रही थीं सान्या ने आँखें बंद करके दरवाजे को खोला और अंदर जाते ही कस के बंद कर लिया। उसका दिल हो रहा था की वो जोर-जोर से चीखें रोये और फिर खिड़की से खुदकर अपनी जान दे दें लेकिन ये कोई हल नहीं था उसके बाद वो उसकी बहन को भी नही छोड़ेंगी। सान्या ना अपनी मर्जी से जी ही सकती थी और ना मर ही सकती थी। उसने वॉशबेसिन में मुँह धोया और आईने में खुद का चेहरा देखने लगी लेकिन उस आईने में जो दिखा वो कुछ और ही था।
आईने में उसे एक लाल कलर की चुनरी पहन खड़ी एक औरत दिखी जो अपने हाथ में लाल डायरी पकड़े खड़ी थी। सान्या ने फिर से अपना मुँह पानी में डुबो दिया और थोड़ी देर तक वैसे ही रही जब चेहरा निकाला पानी से तो आईने की तरफ देखा ही नहीं और दरवाजा वॉशरूम से बाहर आ गयी। बाहर आकर देखा तो कमरें में लाइट आ गयी थी उसकी नजर लाल डायरी की तरफ गयी जिसे विक्रांत बैठकर पढ़ रहा था,लेकिन पूरा नहीं आधा,विक्रांत के शरीर का निचला हिस्सा सान्या को दिख ही नही रहा था उसे चक्कर आ गएँ और वो गिरते-गिरते बची। विक्रांत हंसने लगा उसके साथ-साथ पूरे कमरे में हंसी की आवाजें गूंजने लगी। सान्या ने तुरंत अपने कान दबा लिए और वही बैठ गयी।
नहीं नहीं कोई बहाना नहीं तुम पढ़ने में पहले भी जी चुराती थी और आज भी मुझे तब भी तुम्हें पढ़ाना पड़ता था और आज भी, चलो आओ इधर। विक्रांत के इतना कहते ही सान्या तुरंत उठकर चल दी उसकी तरफ जैसे उसे विक्रांत के सिवा ना कुछ दिख रहा हो और ना सुनाई ही दे रहा हो। सान्या विक्रांत के पास बैठकर उसे देखने लगी। विक्रांत ने डायरी उसकी तरफ बढाकर उसे पढ़ने का इशारा किया। सान्या ने डायरी पढ़ना शुरु कर दिया।
एक साल की खोजबीन के बाद एडवर्ड के बड़े लड़के का पता चला था जो गुप्त रूप से देश को स्वतंत्र कराने के कार्य में लिप्त था। उसने अपने पिता की सारी जायदाद गाँव में बांट दी और कुछ हथियार की खरीद में लगा दिया। उसने अपने पिता की कुछ निशानियाँ ही अपने पास रखीं थीं – उनकी घड़ी,कुछ किताबें एक घोड़ा और एक… लाल डायरी । कुछ वक्त सब कुछ ठीक रहने के बाद 6 साल के अंदर ही उसकी पहली पत्नी के अजन्मे बच्चे की पेट में ही मौत हो गयी, उसके बाद उस घोड़े की थोड़ा वक्त ही बिता था उसकी पहली पत्नी की भी बहुत दर्दनाक तरीके से मौत हो गयी। उसकी दूसरी पत्नी कुछ वक्त के बाद ही मायके चली गयी जो उसकी मौत की खबर सुनकर भी वापस नही आयी। थोड़े से ही वक्त में पूरा मिलर खानदान मिट गया था लेकिन …… सान्या ने पेज पलट दिया और उसे पढ़ने जा रही थी तभी उसकी नजर एक चिट पर गयी वो बेढ़ंगे ढंग से पन्ने पर चिपकी हुई थी,उसने उंगलियों से सीधी करके उसे देखा तो वो राइटिंग निकित की थी। “,आज इतनी तपस्या और मेहनत के बाद मैंने काला धागा सिद्ध करा लिया ,अब उससे मैं वो डायरी ख़त्म करके सान्या को एक बड़ी मनहूसियत से बचा लूंगा।” सान्या को जैसे एक झटका सा लगा वो तुरंत डायरी को छोड़ कर खड़ी हो गयी। उसे वो काला धागा याद आया जो निकित की बॉडी के पास मिला था ।
सान्या ! ये क्या बेवकूफी है पढ़ो आकर इसे चलो आ जाओ। विक्रांत अभी भी वैसे ही बैठा था लेकिन अबकी बार सान्या वैसे ही खड़ी रही। विक्रांत ने दो-तीन बार उसे आवाज दी। लेकिन उसने खुद को पूरी तरह से काबू में रखा। अचानक से कमरे में रखे फूलदान नीचे गिर-गिर के टूटने लगे एक तो सान्या के पैर पर आकर गिरा अगर वो हटती नहीं तो निशाना उसकी सर की तरफ था । TV अपने आप खुलने बंद होने लगी।
सान्या , आ जाओ इधर दीप्ति को गुस्सा दिलाना थोड़े ठीक है,वो देखो दानिश तो कैसे नाराज हो गया है तुमसे। विक्रांत ने उसका हाथ खींचकर उसे वापस चेयर पर खींच लिया वो तुरंत फिर से खड़ी हुयी तो किसी ने नीचे से उसका पैर पकड़ लिया उसने अपना पैर खींचा तो उसके घुटने के नीचे का मांस निकल गया और धारदार खून बहने लगा। सान्या दर्द से चीख कर अलमारी की तरफ भागी। खिड़की से एक काँच टूटकर उसके उसी पैर में उसी घाव में धंस गया। वो झटपटा के वहीं बैठ गयी पूरे कमरे में हँसने की आवाजें फिर से गूंज उठी। वो अपनी सिसकियों को काबू में करने की कोशिश कर रही थी तभी किसी ने उसके चेहरे को अपनी उंगलियों के सहारे ऊपर उठाया। सान्या ने देखा कि उसके सामने सांचे में ढली हुई एक लड़की खड़ी हैं,लम्बे से बाल गहरी सी आँखें ,नाजुक से होंठ , बर्फ सा बदन ,इत्र जैसी साँसे , फूलों जैसी छुअन , मोतियों से भरी हुई उसकी मुस्कुराहट , उसकी चुनरी,उसका घाघरा, उसके सारे कपड़े रुई या धागे से नहीं बल्कि ऐसा लग रहा था बादलों को सिलकर बनाएं गएँ हैं। सान्या को उसकी खूबसूरती उसकी रौशनी के आगे कमरे में ना कुछ दिखाई दिया और ना ही सुनाई दिया । वो उसे ही देखती रही,उसे देखते-देखते सान्या को उसके लिए इतनी बेचैनी हो गयी की उसका मन हुआ की उसे देखते हुए जान निकल जाये उसकी । लेकिन तभी उसका तिलिस्म टूट गया उसके सामने एक खून से सना हुआ हड्डियों का एक ढांचा दिखाई दिया,जिसकी किसी ने खाल उतार ली थी। सान्या एक बार फिर चीख कर आगे की तरफ भागी और एक बार फिर कमरे में हंसी तैरने लगी। सान्या ने अलमारी खोली ही थी की किसी ने उसे फिर से बंद कर दिया।
क्या कर रही हो , कहानियां अच्छी नहीं लगती तुम्हें? चलो कोई नही उसमें कहानी नही नाम हैं बस। सबका नाम मेरा दीप्ति निकित सबका और तुम्हारा भी देखो चल के । दानिश खड़ा था उसकी आँखों के सामने जिसने आज ही उससे वो डायरी ना पढ़ने की कसम ली थी वही अब उससे कह रहा हैं की ….! सान्या ने उसे धक्का देकर अपनी सारी ताकत से दोबारा अलमारी खोल ली और उसमें हाथ डाल के जल्दी से अपनी मुट्ठी में कुछ कस लिया।
वो बेकार हो चुका है सान्या फेंक दो अब उसकी ताकत ना के बराबर रह गयी है । निकित फर्श पर कुछ लिखते हुए बोला। सान्या ने उसे ध्यान से देखा तो लिखा था ,” You’ll be die.” सान्या अंदर तक डर चुकी थी लेकिन फिर भी उसने धागे की तरफ आस्था भरी नजरों से देखा, दिमाग़ ने इस वक्त कोई तर्क दिया काफी घबराया हुआ था वो भी।
सान्या आओ हम साथ पढ़ते हैं । दानिश डायरी पर हाथ फेर रहा था और बगल में विक्रांत अभी भी वैसे ही बैठा था। सान्या उन दोनो की तरफ बढ़ गयी । कमरे में मौत का तांडव देखकर सिर्फ सान्या की सांसे ही नहीं रुक रही थी बल्कि वक्त की सांसे भी रुक गयीं थी, दीवार पर टंगी घड़ी की सारी सुइयां भी जाम हो चुकी थी।
सान्या ने टेबल पर सर झुकाया और फिर डायरी पर हाथ घुमाया इतने में पीछे से किसी ने उसकी गर्दन दबोच ली । सान्या खुद को छुड़ाने की कोशिश करती रही लेकिन उसकी गर्दन डायरी पर ही झुकती रही । गहरे-गहरे नाखून उसकी गर्दन के अंदर तक धस चुके थें और उसकी गर्दन से खून रिसने लगा था । उसने वो हाथ छोड़ दिया और डायरी पढ़ने लगी। उसमें इतने सालों में मरे सभी लोगों के नाम थें । जो पढ़ती जा रही थी और उसकी गर्दन से पकड़ ढीली होती जा रही थी। सान्या को लग रहा था की उसे घेरा जा रहा । सब झुण्ड बनाकर उसपर टूट पड़ेंगे और उसके चीथड़े-चीथड़े कर देंगे। हाँ सान्या घिर चुकी थी वाकई में । सान्या ने बहुत तेजी से वो डायरी बंद की और उसे उठाकर बाहर की तरफ भागी लेकिन… दरवाजे पर कबीर खड़ा था ।
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