‘Laal Diary ‘ A spooky horror story part-5

 मैं कैसे यकीन दिलाऊं कि ये मैंने नहीं किया है तुम दोनों मुझ पर भरोसा क्यों नहीं करते? सान्या रोने लगी लगभग ।         हम कर लेंगे लेकिन पुलिस तो नहीं करेगी ना ! जब वो तुमसे पूछेगी कि बताओ इस लड़के की लाश तुम्हारे घर में, तुम्हारे कमरे में कैसे आयी तो क्या कहोगी कि मेरा विश्वास करो ? कबीर टेन्शन में बहुत ज्यादा आ चुका था ।                             

 सबसे बड़ी बात तो ये है कि किसी ने इसे ज़हर दिया है या इसने खुद खाया है लेकिन पुलिस को लगेगा कि तुमने इसे ज़हर दिया है। उर्वी निकित की बॉडी को टच करते हुए बोली ।    

  मैंने नहीं दिया है , सच में मुझे नहीं पता कि निकित की बॉडी कौन डाल कर गया हैं यहाँ पर ।                                             बॉडी …? अरे निकित जब यहाँ आया है तब तक जिंदा था जो हुआ है उसके साथ यही हुआ हैं अगर पहले हुआ होता तो बॉडी अब तक अकड़ चुकी होती। कबीर की बातों से लग रहा था कि वो सान्या पर शक कर रहा हो ।                                                 मैंने नहीं…मुझे…नहीं… वो दोनों हाथों को कान से सटाकर चीखने लगी । कबीर तुरंत उसके पास गया और खींच कर अपने सीने से लगा लिया ।

     

      

मैं जानता हूँ तुमने ऐसा नहीं किया लेकिन यहाँ की जो सिचुएशन है उससे तो लगता है… खैर वो तो कोई बात नहीं डर तो मुझे इस बात का लग रहा है कि पुलिस को अगर….. हम पुलिस को अगर पता ही ना लगने दे तो..? उर्वी कुछ सोचते हुए बोली ।   

पुलिस की fir में तो निकीत दो महीने से लापता है और अगर आगे भी रहेगा तो सान्या हमेशा के लिए बच जाएगी। अभी ये पता लगाना जरुरी नहीं की निकित को किसने मारा अभी जरुरी ये है कि हम सान्या को कैसे बचाएं और इसका एक ही रास्ता है कि निकित कभी यहाँ आया ही नहीं था ।                                    मतलब? कबीर भी वो अर्थ समझ रहा था जो उर्वी बोल रही थी। हम चुपचाप इसकी बॉडी को कहीं दफना देतें हैं,किसी को कुछ पता नहीं चलेगा । 

वो लोग जब निकित की बॉडी को उठा रहें थें तब उसके पास एक टूटा हुआ मोटा सा काला धागा पड़ा था देखने से लग रहा था कि किसी ने टुकड़े-टुकड़े करने की कोशिश की हो । सान्या ने उसे देखते ही उठा लिया आज पहली बार उसके दिमाग ने कोई तर्क पेश करने की कोशिश नहीं की कि ये धागा मामूली धागा हो सकता है , किसी कपड़े का कोई हिस्सा हो सकता है फेंक देना चाहिए, ये धागा निकित लाया होगा तो इसमें जरूर ज़हर होगा! कुछ नहीं उसके दिमाग ने कुछ भी तर्क नहीं दिया या दिया हो तो उसने सुना नहीं उसने बस वो धागा उठाकर अपने पास रख लिया उसमें एक आस्था जगी एक विश्वास आया तो रख लिया आज कोई भी तर्क उसकी आस्था के आड़े नहीं आ पाया ।

वो लोग जब सान्या के घर के पीछे बने स्टोर रूम में निकित को दफना रहें थें उसी वक्त उनके फोन पर लगातार बज रही घंटियां मनहूसियत की कोई खबर सुनाने को बेकरार थी। उसे दफन करके जब वो खड़े हुए तब उन्हें याद आया कि उन्हें फोन किया जा रहा था बार-बार । कबीर ने कॉल बैक की तो बिलकुल खामोश हो गया । 

क्या हुआ? उर्वी और सान्या ने पूछा ।                                      होना क्या था कुछ नहीं यहाँ देख लो तुम दोनों कि कोई सुबूत तो नहीं बाकी रह गया फिर चलते है अपने एक और दोस्त की लाश दफनाने । कबीर फफक पड़ा।                                          क्या दानिश भी….. सान्या ने कबीर की आँखों में देखा ।    अभी तो नहीं लेकिन मैं इतने दिनों से जो मनहूसियत देख रहा हूँ कह सकता हूँ बहुत ज्यादा 1 घंटा बस इससे ऊपर दानिश जिंदा नहीं रहेगा ।    

ऐसा मत बोलो प्लीज । उर्वी बोली।

हमारे आसपास हो रहा है ऐसा और तुम कहती हो ऐसा मत बोलो । कबीर को गुस्सा जैसा आ गया ।                                      हमें उसे देखने चलना चाहिए।सान्या ने हलकी आवाज़ में बोला। हाँ वैसे भी तुम्हें बुला रहा है बार-बार तुम्हारा नाम ले रहा है। मुझे बुला रहा है? तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया मैं जानती हूँ वो जरूर मुझे कुछ बहुत जरूर बताना चाहता है शायद विक्रांत की मौत के बारे में उसे कुछ जरूर पता है। इतना कह कर सान्या स्टोर रूम के बाहर भागी कबीर और उर्वी भी उसके पीछे चलें। कार के पास पहुँच कर कबीर ड्राइविंग सीट पर बैठा और सान्या उसके बगल में दोनों ने पीछे की तरफ देखा तो उर्वी आयी ही नहीं थी अभी तक । कबीर कार से उतर गया और उर्वी को आवाज़ देने लगा ।  

शायद कोई सुबूत बाकी रह गया हो उसे छिपा रही हो ? सान्या बोली । 

I think हमें चलना चाहिए वो आ जाएगी । कबीर कार में वापस बैठ गया । 

हमें नहीं सिर्फ मुझे , तुम उर्वी को साथ लेकर आओगे । अरे ये क्या पागलपन है , वो बच्ची थोड़ी है जो मैं उसे साथ ले कर आऊँगा । उसे रास्ता पता है खुद चली आएगी । तुम समझते क्यों नहीं मुझे डर लग रहा है उर्वी के लिए तुम उसके पास जाओ । सान्या उसे गाड़ी से धक्का देने लगी । ओके, ओके ! मैं जा रहा हूँ लेकिन तुम आराम से जाना वहाँ। कबीर गाड़ी से उतर कर स्टोर रूम की तरफ चल दिया । 

सान्या भागते-भागते सीधा दानिश के रूम में घुस गई । बाहर सब किसी अनहोनी की आशंका में किस कदर रो रहें थें उसने कुछ ध्यान ही नहीं दिया । उसे देखते ही दानिश बिलकुल शांत होकर मुस्कुराने लगा। डॉक्टर्स भी थोड़ा हैरान हुए कि जो इतनी दवाओं से काबू में नहीं था वो एक चेहरे से कैसे शांत हो गया इसीलिए उन्होंने सान्या को बाहर जाने के लिए नहीं बोला। मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ तुम ध्यान से सुनना क्योंकि मेरे पास वक्त बहुत कम है । दानिश ने सान्या का हाथ पकड़ लिया और सान्या एक पत्थर बनी खड़ी रही ।

कबीर का दिमाग काम करना बंद कर चुका था उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि जो दरवाजा अभी तक बिलकुल सामने था वो कहाँ गया? पूरे कमरे पर हाथ घूमा-घूमा कर देखने के बाद भी उसे दरवाजे का निशान तक नहीं मिला। धूप उसके चेहरे पर पड़ रही थी उसके कपड़े पसीने से तर-ब-तर थें फिर भी वो इधर से उधर पूरी कोशिश कर रहा था दरवाजा ढूंढने की क्योंकि वो जानता था कि उर्वी बहुत बड़ी मुसीबत में है। ढूँढते-ढूँढते उसे एक खिड़की नजर आयी थोड़ी ऊंचाई पर थी लेकिन कबीर उछल कर उससे लटक गया । अंदर देखता है तो उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं होता । अभी-अभी जिस निकित को लोग दफना कर गएँ थें वो मिट्टी के ढेर पर बैठा कुछ कर रहा था , ध्यान से देखने पर पता चला वो लाल डायरी के पन्ने चिपका रहा था जो कभी उसने फाड़ दिए थें । कमरे में पड़ी एक चेयर हवा में अपने आप झूल रही थी।कबीर अंदर तक कांप जाता है मौत का ऐसा नंगा खेल उसने आज तक नहीं देखा था। 

 तुम लोग कितने दगाबाज दोस्त हो मुझे दफना कर जा रहें थें ये भी नहीं सोचा कि मेरा मन यहाँ कैसे लगेगा अकेले, कोई तो चाहिए ना कम्पनी के लिए । वो पन्ने चिपकाते हुए उर्वी की तरफ घूर रहा था । अब जाकर कबीर की नज़र उर्वी की तरफ पड़ी जो दरवाजा पीट रही थी और उसका और सान्या का नाम लेकर चीख रही थी । 

 उसके बिखरे बालों को देखकर लगा की किसी ने उसके बालों को अपने हाथों में पकड़ के जोर से खींचा हो जिससे उसके कुछ बाल भी नुच गएँ थें। ये शायद तब हुआ था जब वो स्टोर रूम के बाहर निकल रही थी किसी ने उसके बाल पकड़ कर अंदर की तरफ खींचा होगा । अभी कबीर ये सब सोच रहा था कि देखा एक टूटा हुआ कांच हवा में उड़ता हुआ सीधे उर्वी की जाँघ पर लगा जाकर। वो “विक्रांत नहीं…” चीख कर बैठ गई। कबीर को अब सब समझ आ चुका था कि वहाँ निकित ही नहीं बाकी दोस्त भी है मतलब खतरा सिर्फ उर्वी को ही नहीं उसे भी है। उसने अपने डर पर काबू पाते हुए उर्वी को बचाने का प्लान सोचा। वो अकेला कुछ नहीं कर सकता था सब उसे भी मार देतें। उसने ध्यान से देखा की उर्वी खिड़की से कितनी दूरी पर है और दरवाजा कहाँ है। जब उसने दरवाजे का अंदाजा लगा लिया तो चुपचाप नीचे उतर कर दीवार पर एक कुर्सी से मारने लगा इस दौरान वो बचाओ…बचाओ. .. भी चिल्लाता रहा जिससे सड़क से जाते लोगों का ध्यान उसकी तरफ जाए। और हुआ भी वैसा ही उसकी आवाज़ सुन कर दो चार लोग दौड़ते हुए उस तक पहुँचे ।

अंदर कौन बंद हो गया , आग वाग लग गई क्या ? धुआँ तो नहीं दिख रहा ? कोई फांसी लगा रहा है क्या? अरे कोई मर रहा है और आप कुर्सी से दरवाजा पीट रहें हैं, क्या ये शरीर सिर्फ दिखाने के लिए ही बनाया ताकत नहीं है उसमें? दो धक्का देतें दरवाजा इधर का उधर हो जाता। कहते हुए दो लोग दरवाजे को कंधे से दरवाजा तोड़ने की कोशिश करने लगे लेकिन दरवाजा पहली ही बार में खुल गया । लो भाई दरवाजा तो खुला ही था । बाकी लोग ये कहते हुए अंदर घुसते इससे पहले ही कबीर अंदर आकर उर्वी को ढूढने लगा उर्वी बेसुध पड़ी थी उसने उसे अपनी गोद में रख लिया। 

 अरे भाई लड़की को क्या हुआ ? लोग उर्वी को देखने की कोशिश करने लगे। 

हमारी मदद करो प्लीज मैं आप लोगों के हाथ जोडता हूँ इसे हॉस्पिटल ले चलिए वरना ये मर जाएगी प्लीज मेरी दोस्त को बचा लीजिये। कबीर तेज-तेज रोने लगा । ऐसा नहीं है कि वो उर्वी के सर में कील जैसे चुभे नाखूनों के छेद से बहते खून को देख कर रो रहा हो या उसकी पीठ और गर्दन पर बने घाव उसे रुला रहें हो। उसे ये सोच कर जरूर थोड़ा रोना आ रहा था कि इतनी देर में ना जाने उर्वी ने ये सब किस हिम्मत के साथ बर्दाश किया लेकिन ज्यादा तो इसलिए रो रहा था कि किसी का ध्यान उस मिट्टी पर ना जाने पाएं जिसमें निकित दफन है। कबीर के मुँह में जो आ रहा था वो जल्दी-जल्दी बोलता जा रहा था इस दौरान उसने एक बार भी अपने जुड़े हाथो को लोगों की नजरों से दूर नहीं होने दिया। उसकी बातों से लगा कि अगर वाकई में 10 मिनट के अंदर उसे हॉस्पिटल नहीं पहुँचाया तो वो सच में नहीं बेचेगी । कोई जल्दी से भाग के गाड़ी लेने चला गया कोई डॉक्टर को फोन करने लगा और कुछ कबीर को सांत्वना देते हुए उर्वी को बाहर ले आएं। जैसे ही सब बाहर निकले कबीर ने तुरंत पलट के स्टोर रूम का दरवाजा बंद कर दिया क्योंकि वो नहीं चाहता था कि जितने लोग बाहर आएं हैं उनके सिवा भी कोई बाहर आएं।

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