आइए, धर्म-धर्म खेलते हैं!

 आप लोगों का पसंदीदा खेल कौन सा रहा है ? गुल्ली-डंडा, चोर-सिपाही , लुकाछिपी, फुटबॉल, क्रिकेट इन में से क्या खेलना ज्यादा पसंद करते हैं आप? मेरा मतलब मज़ा किसमें सबसे ज्यादा आता हैं? क्रिकेट में कि डॉक्टर-डॉक्टर में । अगर आपको इन खेलों में सबसे ज्यादा मज़ा आता हैं तो मैं कहूँगी कि आप … Read more

थोड़ी-सी सच्चाई part-7

 अभी तक आप लोगों ने पढ़ा कि प्रणय की तबियत खराब होने के बाद उसकी माँ उसे गोवा जाने से मना कर देती है।गौरी भी उसे डांट देती है और कभी भी क्रिस्टीन का नाम ना लेने को कहती है। उसे खुद ये महसूस होने लगा है कि वो पागल है यही सोच के वो … Read more

थोड़ी-सी सच्चाई part-6

अभी तक की कहानी में आपने पढ़ा कि प्रणय और महिमा का झगड़ा हो गया है, क्योंकि महिमा ने प्रणय और गौरी के रिश्ते को गलत समझा। झगड़ा इतना बढ़ गया कि महिमा ने कुछ ऐसी बातें कह दी जो प्रणय का मस्तिष्क स्वीकार नहीं कर पाया। जिसकी वजह से उसकी तबियत खराब हो गई … Read more

थोड़ी-सी सच्चाई part -5

 अभी तक आप लोगों ने पढ़ा कि प्रणय गोवा जाने का decide कर लेता है ।लेकिन गौरी और महिमा चाहती हैं कि वो पहले क्लीनिक जाकर अपना चेक अप कराए क्योंकि उन्हें लगने लगा है कि प्रणय पहले से ज्यादा बीमार है । गौरी प्रणय को समझाने की कोशिश भी करती है इसपर प्रणय कहता … Read more

थोड़ी-सी सच्चाई part-4

 अब तक आपने पढ़ा कि प्रणय को ये अहसास होता है की एक बार ही सही उसे क्रिस्टिन से बात तो करनी ही चाहिए। यही सोच कर वो उससे मिलने जाता है ,काफी खोजने के बात वो प्रणय से मिलने आती है । क्रिस्टीन की सारी हकीकत जान कर प्रणय उसकी मदद करने की सोचना … Read more

थोड़ी-सी सच्चाई part-3

 पिछले भाग में आपने पढ़ा कि प्रणय को शाम को टहलते वक्त फिर उसी अनजान लड़की की आवाज़ सुनाई देती है लेकिन वो रुकता नहीं क्योंकि गौरी ने कहा था उस लड़की पर ध्यान मत देना वो अपने आप तुम्हारे मस्तिष्क से मिट जाएगी।लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ वो प्रणय के सामने आकर खड़ी हो … Read more

थोड़ी-सी सच्चाई part-2

पहले भाग में आपने पढ़ा कि प्रणय जोकि एक मानसिक रोग से ग्रस्त युवक है उसे तरह-तरह भ्रम होते रहते हैं उसे अजीब चीजें जो कहीं भी नहीं होती वो तक दिखाई देती हैं। उसकी यह हालत गौरी जोकि उसकी सबसे अच्छी दोस्त है,बखूबी समझती है। जब प्रणय ने उसे एक अजनबी मगर मरी हुई … Read more

कभी-कभी दुश्मन का चले जाना भी बहुत दर्द देता है।

न कोई ख्वाब साथ चलता है न कोई मंजिल ही ठिकाना है।  चार लोगों का कंधा है और श्मशान तक जाना है। –Awa मैं एक जिन्दगीपसन्द लड़की हूँ कभी न मौत के बारे में सोचती हूँ न कहती हूँ लेकिन कमाल है ना,कि मुझे आज मौत पर ही लिखना पड़ रहा है। आज सुबह मेरे … Read more

थोड़ी-सी सच्चाई। part-1

 कभी-कभी इंसान के सामने ऐसी सिचुएशन ले आती है कि जो उसने कभी सपने में भी न सोचा हो वो हकीकत में करना पड़ जाता है। सही है गलत है बिना ये सोचे अपने सर को हाँ की आकृति में ऊपर-नीचे घुमाना ही पड़ जाता हैं। चलो ये तो इस दुनिया की बातों पर होता … Read more

1983 का महाभोज आज कितना प्रासंगिक!

 दुर्निवार सम्मोहन भरी उस खतरनाक लपकती अग्नि-लीक के लिए जो बिसू और बिन्दा तक ही नहीं रुकी रहती। – प्राक्कथन (महाभोज) मन्नू भंडारी  मैं मानती हूँ कि जिन्दगी में कुछ चीजें एक बार तो करनी ही चाहिए- प्यार एक बार तो करना ही चाहिए , तन्हा सफर एक बार तो करना ही चाहिए,अपने सबसे बड़े … Read more