रेगिस्तानी कुत्ते’ नोबेल पुरुस्कार प्राप्त लेखिका डोरिस कारेवा की रचना
रेगिस्तानी कुत्ते मेरे सपनों में भागते हैं, फुर्तीले, चुस्त और ख़ामोश, ख़ुदा की हवा की तरह; ख़ूबसूरत और राजसी, रात-दर-रात अवश्य वे भागते हैं। मैं सूँघती हूँ, स्वाभाविक है मैं सूँघती हूँ : मेरा हृदय उनका आखेट है। कैसे तृप्त होती कभी अगर थकने तक नहीं भागती मैं; रात-दर-रात नहीं भागती, दौड़ नहीं लगाती मायावी, … Read more