तो…. वो कौन हैं ? Terrifying Horror story

                               तो…. वो कौन हैं ? Terrifying Horror story

काली भयानक रात , हर आते-जाते हवा के झोंके के साथ ऐसा लगता हैं कि मौत चल रही हो , झुरमुट से सरर्र् करके निकलते नेवले, खरगोश , सियार जैसे जानवर इस बात का अहसास दिलाते है कि कहीं वो तो सामने नहीं आ रहा है।आसमान में काले-काले बादल एक-दुसरे से ऐसे आ-आ लिपट रहें हैं , और आसमां से जमीं तक इतना गहरा अँधेरा कर रहें हैं कि ज़रा से भी दूर हुए तो उसी अँधेरे में वो बादल फट के समां जाएँगे।

Horror story
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ज़मीन पर पैर किसी चीज़ में फांसता है तो लगता है मौत जकड़ के अपनी तरफ खींच रहीं हैं। बादलों से पूरी तरह ढ़के चाँद को देखते हुए शोक मना रहें गीदड़, सियार ऐसे प्रतीत हो रहें हैं जैसे मेरी मौत का मातम मना रहें हो,सर के ऊपर घूम रहें चमगादड़, पेड़ पर बैठ चारों दिशा में अपनी गर्दन घुमाता उल्लू मानो मुझे सचेत कर रहें हो कि हो ना हो मौत तुम्हारे आसपास ही है।

मैं जान गया हूँ कि ये मेरी जिन्दगी की अंतिम रात है , मौत मुझे अपने पंजे में धीरे-धीरे कसती जा रही है किसी भी पल मेरी सांसें छीन लेंगी मेरी हड्डिया नोच डालेगी , मेरे शरीर के खून का एक-एक कतरा लील लेगी और मैं खुद को बचाने को कुछ भी नहीं कर सकता …….!

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क्यों horror stories ऐसी ही होतीं हैं न । लेकिन ये नमूना मेरी हॉरर स्टोरी का नहीं है क्योंकि मेरी वाली हॉरर स्टोरी में फियर कम suspense ज्यादा हैं। तो चलिए शुरू करतें हैं ये कहानी।

काका..काका… अरे कहाँ हैं आप ?जल्दी किजिये वरना मुझे देर हो जाएगी और सिंह साहब को देर बिलकुल भी पसंद नहीं हैं । सिद्धांत जल्दी जल्दी से जूते पहनते हुए अपने बँगले के नौकर को या ये कहें कि अपने एकमात्र सहारे को आवाज लगता है।

आता हूँ बाबू…सीढ़ियों पर जल्दी जल्दी भागते हुए काका बोले।  ओफ्फो आपको देर हो जाएगी मैं ऐसे ही जा रहा हूँ।

अरे नहीं मैं आ तो गया लो जल्दी से प्रसाद खा लो तब जाओ आराम से । हांफते हांफते काका सिद्धांत के आगे प्रसाद कर देतें हैं ।

काका अच्छा लग रहा हूँ न? वो आईने के सामने एक बार घूमा। हाँ बहुत अच्छे लग रहे हो बाबू जी … बस बात भी थोड़ा सम्हल के करना साहब जी से ताकि सारी बात जम जाए , वो बड़े है अगर कुछ ऐसा वैसा भी कह दे तो उठ के चलें मत आना , बेटी के बाप है आखिर , आपको ठोक बजा कर तो देखेंगे ही।

हाँ काका , सुना है काफी सख्त है , किसी पर इतनी जल्दी यकीं नहीं करतें पता नहीं आखिर कैसे रश्मि के कहने पे मुझसे बात करने को ही राजी हो गए?पता नहीं मैं पसंद आऊँगा भी उन्हें या नहीं ?

ऐसा नहीं होगा , देखना वो आपको देखते ही अपनी बिटिया के लिए चुन लेंगे, बस आप भगवान् का नाम लीजिये और शुभ काम के लिए निकलिए।

हाँ काका सही कहा आपने, सिद्धांत काका के हाथ से प्रसाद उठाकर मुँह में डालता हुआ कमरे के बाहर की तरफ बढ़ जाता है। पीछे से काका उसे आवाज़ देकर रोक लेतें हैं ।

बाबू जी देर चाहे जितनी भी हो जाए पर आप पीछे वाली गली से मत जाइएगा , उधर से भले ही जल्दी हो जाती है लेकिन जिस काम के लिए आप जातें हैं वो काम नहीं बनता।

काका आप फिर…..!

बाबू जी शुभ काम के लिए जा रहें हैं तभी बोला वरना नहीं कहता ।

ठीक है नहीं जाऊंगा और आप मेरा इंतज़ार मत करना मैं वहीं डिनर करूँगा । इतना कहतें हुए वो हवा के जैसे अपनी गाड़ी की तरफ भागा।

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जैसा कि सब जानतें हैं जवान खून जो है वो बात ना मानने का लती होता है। हरदम जोश में कुछ होश उड़ाने वाला करने को खोजता रहता हैं। ऐसे में भला अच्छा होता है कि बुरा ये सब बाद की बातें हो जातीं हैं। सिद्धांत फिर कैसे मान जाता काका की बात , वो काका के दरवाजा बंद करतें ही घर के पीछे वाली सड़क की तरह मुड़ गया।

उसने ये shortcut जल्दी पहुंचने के लिए लिया था , लेकिन सड़क के बीच पहुँचते ही गाड़ी आप ही धीमी होने लगी , उसे वो सारे लम्हें याद आने लगे जो उसने इस गली में विन्नी के साथ बिताये थे। सड़क किनारे लगी बेंच पर उसे सिड और विन्नी एक-दुसरे में लिपटे नज़र आए …बड़े से बिखरे बालों में खिलखिलाती विन्नी और शर्म से लाल मुँह बंद किया बैठा सिड। “हाय , तुम्हारी यही शर्म तो मेरी जान ले जाती है।

जाओ हटो! तुम मुझे परेशान करती हो मैं जा रहा हूँ । बेंच से इतना कहते ही वो जैसे ही उठा था विन्नी ने वैसे ही उसका हाथ पकड़ के “अभी ना जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं ” गुनगुनाना शुरू कर दिया था।”

sid यार ना जाओ ना आज …..” .….. सामने से आती गाड़ी के हॉर्न पर आचनक सिद्धांत का ध्यान टूटा उसने तुरंत आने वाली कार को साइड दिया,और अपनी भी कार की स्पीड तेज़ कर दी लेकिन उसके कान में यही गूंजता रहा ” sid यार ना जाओ ना आज! “। sid यही कहती थी विन्नी उसे पूरा नाम लेने को कहो तो कहती थी” बाप रे ! सिद्धांत तो ऐसा लगता है जैसे कोई दार्शनिक का नाम हो मैं नहीं ले पाऊँगी इतना बड़ा नाम ।” …

सिद्धांत को वो याद आयी तो मुस्कुरा दिया…. अब रश्मि भी तो उसे sid ही कहती हैं। रश्मि का ख़याल आया था जेहन में कि अचानक उसे” सिड यार ना जाओ ना आज …” सुनाई दिया । सिद्धांत ने तुरंत कार की ब्रेक लगा दी।

मेरी कहानी पर भी आज यही पर ब्रेक लगता है , अगर आपको जानना है सिड रश्मि के घर पहुँच पाता है या नहीं? विन्नी कौन है ? आखिर क्या है उस गली में जो sid को अलग ही दुनिया में ले गया? तो इसके लिये आप “तो वो कौन है? ” के next part का इंतजार किजिये मैं जल्द ही आपके लिए इसका अगला भाग भी लेकर आऊँगी ।

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