थोड़ी-सी सच्चाई part-8

 पिछले भाग में आप लोगों ने पढ़ा- क्रिस्टीन प्रणय को बताती है कि वो कोई आम इंसान नहीं बल्कि paranormal activist है तो वो इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं होता।लेकिन जब उसे क्रिस्टीन हर बात समझाती है और कहती है उसी की तरह कई और मरे लोग भी उससे मदद लेने आए थे लेकिन उसने उन्हें भी अपनी कल्पना अपना imagination ही समझा इससे उनकी आखिरी ख्वाहिश नहीं पूरी हो सकी, अगर वो चाहता तो उन लोगों की मदद कर सकता था। प्रणय को क्रिस्टीन की बात में सच्चाई दिखी तो वो उसके साथ गोवा चला गया एडी से मिलवाने के लिए लेकिन जब वहाँ पंहुचा तो पता चला की वहाँ कोई एडी नहीं रहता, प्रणय एक बार फिर खुद को कोसने लगता है और पागल समझने लगता है खुद को। अब आगे-

👉 थोड़ी-सी सच्चाई part-1

👉थोड़ी-सी सच्चाई part-2

👉थोड़ी-सी सच्चाई part-3

👉थोड़ी-सी सच्चाई part-4

👉थोड़ी-सी सच्चाई part-5

👉थोड़ी-सी सच्चाई part-6

👉थोड़ी-सी सच्चाई part-7

दरवाजा बंद हो चुका था लेकिन प्रणय अब भी उसी के सामने खड़ा था। उसे वो बंद दरवाजा नहीं दिख रहा था बल्कि उसे अपनी बंद जिन्दगी दिख रही थी। वो भारी कदमों से मुड़ गया और बरामदे से नीचे उतरने लगा बिलकुल ऐसे जैसे उसमें जान ही नहीं हो एकदम शांत लेकिन उसके अंदर जो शोर चल रहा था उसे कौन जान सकता है उसके सिवाय ? बरामदे से नीचे उतरा ही था कि उसे सामने क्रिस्टीन दिखाई दी उसे देखते ही प्रणय तेजी से दौड़ा उसके गले लगने के लिए जैसे वो क्रिस्टीन नहीं उसकी जिन्दगी की देवदूत थी अभी अभी जो ख्याल आ रहें थे उसके दिमाग में उन सब का मुँह तोड़ जवाब थी..हाँ वो पागल नहीं है… उससे लिपटते ही प्रणय के सीने पर सिर्फ उसके हाथ ही आए क्रिस्टीन का बदन नहीं .. हे भगवान! क्रिस्टीन के पास बदन है ही कहाँ वो तो सिर्फ रूह है। वो तो मर चुकी है न पता नहीं कैसे प्रणय मारे ख़ुशी के ये बात ही भूल गया।

क्या हुआ? उससे थोड़ा दूर खड़ी क्रिस्टीन बोली। कुछ नहीं। प्रणय भरी आँखों को उठाकर उसका चेहरा देखता है। 

एडी मिला?

एडी..? कौन एडी..? अरे हाँ उसी से मिलवाने तो ये यहाँ तक मुझे लायी है , एडी से ही तो ये प्यार करती है वही तो इसका मंगेतर है ,… तो मेरे पास क्यों आयी… ? भूल गए तुम्हारी जिन्दगी का अर्थ बताने वाली ये, खुद मिट चुकी है और तुम्हें सिर्फ paranormal activist ही समझती है, भला अच्छा तुमने क्या समझ लिया इसे थोड़ी ही देर में एक रूह के सिवा.? क्या हुआ एडी मिला की नहीं? प्रणय को खामोश देख वो फिर बोली।

हाँ..वो एडी…… बोल रहें हैं कि इस मकान में कोई एडी नहीं रहता …

तुमने पूरा नाम तो बताया था न एडवर्ड…

हाँ…फिर भी ।

ऐसे कैसे नहीं रहता,वो बरामदे की तरफ भागी और सीधा अंदर चली गई। अंदर जाकर क्या किया पता नहीं प्रणय बाहर ही खड़ा रहा क्योंकि अगर वो घर के अंदर जाना चाहता तो फिर से उसे दरवाजा खुलवाना पड़ता। थोड़ी देर बाद क्रिस्टीन उसे आती दिखाई दी , मर तो वो बहुत पहले चुकी थी लेकिन आज पहली बार वो मरी लग रही थी।उसके पास आते ही प्रणय ने पूछा.. अब आगे क्या ..? उसने भरी आँखों से उसकी तरफ देखा और चुपचाप चल दी। प्रणय भी पीछे चला। हम क्या करें अब..?

अब कोई कुछ नहीं कर सकता..

मतलब,मैं कुछ समझा नहीं?

मेरे पास सिर्फ दो दिन का वक्त है दो दिन के बाद मैं हमेशा-हमेशा के लिए मिट जाऊंगी और इन दो दिनों में एडी कहाँ है ये ढूंढना नामुमकिन है इसलिये आप वापस चलें जाइये मैं उसे एक आखिरी बार देखने की कोशिश खुद ही कर लूंगी।

हाँ सही बात तो है अब वो एडी को कहाँ ढूंढेगा ? उसे घर जाना चाहिए और वो भी तो यही ही चाहता था की आराम से घर जाए । उसने एक बार क्रिस्टीन के चेहरे की तरफ देखा उसके चेहरे पर बिखरी बेचारगी और दिल में बसी मोहबत देखकर प्रणय के मुँह से आ अचानक ही निकल गया “एडी न सही तुम्हें अलविदा कहने के लिए कोई अपना तो होना चाहिए ही ” फिर कुछ सोच कर.. मेरा मतलब हम एडी को खोजने की कोशिश करेंगे अगर इन दो दिनों में अगर कुछ नहीं हुआ तो कम से कम मैं ही ..

आप और कितनी जहमत उठाएंगे मेरे लिए पहले ही आपकी जिन्दगी इतनी मुश्किलों में आ चुकी है और ….

मेरी जिन्दगी का असल मक्सद क्या है ये मैंने तुमसे जाना है ऐसे में अब अगर मैं तुम्हारे मकसद पूरे होने तक तुम्हारा साथ न् दूँ तो तुम्हारा मकसद भी अधूरा रह जयेगा मेरा भी । क्रिस्टीन कुछ नहीं बोली बस मुस्कुराने की कोशिश की।

क्या तुम बता सकती हो कि तुम और एडी सबसे ज्यादा वक्त कहाँ बिताना पसंद करते थें , मुझे लगता है कि शायद….. नहीं वो उन जगहों पर शायद ही मिले, वो तो मुझे ढूंढ रहा होगा पागलों की तरह की उसकी क्रिस्टी कहाँ गई… क्रिस्टी-एडी nice match ,प्रणय मन में ही मुसकुरा दिया।



एडी को ढूंढते हुए सुबह का निकला सूरज शाम कर गया लेकिन वो दोनों अब भी सड़को पर , गलियों में सब कहीं भटक रहें हैं ।प्रणय की हालत बहुत बुरी हो चुकी है फिर भी वो घूम रहा है जिन गलियों को जानता नहीं उनमे घूम रहा है ,जिन जगहों का नाम कभी सुना नहीं उनमे घूम रहा है , उलझें बालों में ,गंदे कपड़ो में इतिहास को भुलाये , वर्तमान को भुलाये भविष्य को भुलाये प्रणय घूम रहा है उसके घर वाले उसे ढूंढ रहें हैं और वो घूम रहा है। उसे चिढ़ थी पागल शब्द से लेकिन आज सब उसे पागल समझ रहें हैं फिर भी वो घूम रहा है।

अचानक एक रेस्त्रां देख क्रिस्टीन शर्मिंदा हो गई। देखिये ना मुझे भूख नहीं लगती तो ये भी भूल गई कि आपको तो लगती है। कल से तो आपने कुछ खाया भी नहीं है जाकर कुछ खा लीजिये मैं यही बैठी हूँ। सच में प्रणय के जहन में भी एक बार नहीं आया की वो भूखा है।

अब बाद में खा लूंगा।

अच्छा फिर मेरे साथ चलते-चलते मेरे ही जैसे हो जाइएगा। उसने मजाक किया।

ठीक है अगर तुम भी साथ चलोगी तो सोच सकता हूँ।

मैं क्या करुँगी…

तो मैं भी नहीं जाऊंगा।

अच्छा ठीक है।

प्रणय और क्रिस्टीन दोनों ही अंदर चलें गए। प्रणय अभी खाना ही खा रहा था तभी क्रिस्टीन अचानक से उठकर किसी के पीछे चल दी। प्रणय ने भी खाना छोड़ कर क्रिस्टीन के पीछे चल दिया।

कौन था वो जिसके पीछे क्रिस्टीन गई? क्या वो एडी था या कोई और ? इस सवाल का जवाब मिलेगा आपको कहानी के अगले भाग में।

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