राधा होना कितना दुरूह
तुम ने आकर पूछा होता मटमैले इस जमुना-जल से यज्ञाश्व जिन्हें अपने पैरों के तले कुचलकर कर बढ़ा सदा जिन के होने का दोष समय ने युग-पुकार पर मढ़ा सदा द्वारकाधीश हो जाने से जल कर मुरझाई पलकों के काले गड्ढों में छितराए हरनिले सपनों की हत्या का दोष नहीं मिटता कान्हा दंश भले चसके युग-युग पर इन विजयों का सच पूछो तो वंश नहीं चलता कान्हा। कुमार विश्वास
Awesome 👍
❣️❣️❣️❣️