नील गगन में तैर रहा है, उजला-उजला पूरा चाँद
किन आँखों से देखा जाये, चंचल चेहरे जैसा चाँद
मुन्नी की भोली बातों-सी, चटकीं तारों की कलियाँ
पप्पू की ख़ामोश शरारत-सा छुप-छुप कर उभरा चाँद
मुझसे पूछो कैसे काटी मैंने परबत जैसी रात
तुमने तो गोदी में लेकर घंटों चूमा होगा चाँद
परदेसी सूनी आँखों में शोले से लहराते हैं
भाभी की छेड़ों से बादल, आपा की चुटकी-सा चाँद
तुम भी लिखना, तुमने उस शब कितनी बार पिया पानी
तुमने भी तो छज्जे ऊपर देखा होगा पूरा चाँद।
– निदा फाजली