लड़कियां घर की चार दीवारी में ही अच्छी लगती है ऐसी सोच रखने वालों को 15 लड़कियों ने दुनिया जीत कर बता दिया कि घर की चार दीवारी से बाहर भी एक दुनिया है जो उनके स्वागत के लिए हथेली फैलाये बैठी हैं बस उनके घरवाले उन लड़कियों के पैरों में बेड़िया न पहनाए ।
T-20 worldcup under-19 में शेफाली वर्मा की कप्तानी में भारत की लड़कियों ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए ऐतिहासिक जीत हासिल की। एक ऐसी जीत जिससे ना सिर्फ भारत की जूनियर महिला टीम का हौसला बुलंद हुआ बल्कि चहारदीवारी में बंद हर उस लड़की का सपना भी जग उठा जिसे चूल्हे में जलाई जाने वाली लकड़ियों से नहीं बल्कि बॉल को स्टेडियम के पार पहुँचाने वाले बैट से प्यार है। ये वर्ल्डकप अगर किसी और देश जाता तो ये सिर्फ उनकी जीत होती लेकिन भारत जैसे देश में जहां क्रिकेट को पुरुषों का खेल माना जाता हैं वहाँ ये ऐतिहासिक जीत के साथ-साथ लोगों की सोच के ढक्कन खोलने वाला मौका भी है। सौम्या तिवारी के विनिंग शार्ट लगाते ही जीत का जश्न मनाने मैदान की तरफ भागी वो 15 लड़कियां सिर्फ लड़कियां ही नहीं थी बल्कि उनकी ही हमउम्र लड़कियों की कई सारी उम्मीदें भी थीं। तिरंगा एक टीम की कप्तान के ही हाथ में नहीं था बल्कि हर उस लड़की के सीने में भी था जो घरवालों से छुप-छुप कर मैदान में लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती है। ICC द्वारा आयोजित पहला अंडर-19 वर्ल्डकप पहली ही बार में जीतने के बाद टीम की सभी खिलाड़ियों के आँखों में आंसू थें क्योंकि वो जानती थीं कि उन्होंने क्या कर दिखाया हैं खुद के लिए , देश के लिए और लड़कियों के सपनों के लिए। लेकिन इसके बावजूद कुछ बेहतरीन लोग जिन्हें औरतों का आगे निकलना कतई गवांरा नहीं गुजरा ,उन्होंने इतनी बड़ी जीत के मौके पर भी मातम मनाने का बहाना ढूंढ ही लिया। उसने तिरंगा उलटा कैसे पकड़ा ? पूरे मैच के रोमांच, देश के लिए गर्व को साइड करतें हुए उन्होंने औरतों में नुक्स निकालने का काम जारी ही रखा। इतनी छोटी सी बात पे जूम कर करके तिरंगे को देखने वाले चारों तरफ फैली ख़ुशी नहीं देख पाएं और #women😁 लिख कर इस ऐतिहासिक जीत पर पूरा मजाक बनाने की कोशिश की। लेकिन ऐसे लोगों को देखकर मुझे लगा कि वो खुद पर ही हँस रहें हैं, खुद का ही मजाक बना रहें हैं । 15-19 साल की उम्र में लड़कियों ने दुनिया जीत ली ठीक उसी उम्र में ऐसे लोग इंस्टा स्क्रॉल और दूसरों को ट्रोल करने के सिवा अपनी जिन्दगी में कुछ भी हासिल नहीं कर पाएं हैं । जिस तिरंगे की फ़िक्र इन्हें महिलाओं के हाथ में चन्द सेकंड उल्टा पकड़े जाने पर देख के हुई उसी तिरंगे को शायद ये 26 जनवरी को छत पे लगा के भूल गएँ हो,या हवा में नुचने-फटने के लिए छोड़ दिया हो। ऐसे लोग जिनके अंदर देशभक्ति सिर्फ नेशनल एंथम बजने पर ही जगती हैं वो दूसरे के हाथ में ससम्मान शरीर पर लिपटे उलटे तिरंगे को देखकर उनके अंदर की देशभक्ति की गहराई मापने की कोशिश करतें हैं । उस समय जब शायद भारतीय टीम की खिलाड़ियों को अपने तन की भी फ़िक्र नहीं थी उस वक्त भी उन्हें अपने वतन की फ़िक्र थी , भारत का नाम ऊँचा रखने का जुनुन था , देश की लड़कियों के लिए नए रास्ते बनाने की राहत थी जब एक नहीं हजारों लोगों की नजरे उन पर थीं , जब वो एक इतिहास बनाने जा रहीं थीं ऐसे में भावनाओं में डूब कर ,उस वक्त जब उनका दिमाग काम करना बंद कर चुका था उस वक्त अगर उनसे एक छोटी सी भूल हो गई वो भी कुछेक मिनट के लिए उस पर ध्यान देना निहायती वेलेपन और बेकारीपन की निशानी हैं। वो लोग जो ऐसा कर रहें हैं इस जीत से पहले शायद उनको पता भी नहीं होगा कि महिलाओं का कोई वर्ल्डकप भी खेला जा रहा है वें लोग कल आराम से बैठ के इंडिया- न्यूजीलैंड का मैच देख रहें होंगे और जब ICC , BCCI तथा Rohit sharma , Sahvaag , Dravid जैसे लोग जूनियर महिला टीम को इस इस उपलब्धि के लिए शुभकामना देने लगे तब जाकर तो उन्हें पता चला अंडर -19 का कोई वर्ल्डकप भी हो रहा था और उसमें भारत जीता भी हैं ।
ऐसे खाली बैठे लोगों को औरतों के किये किसी भी काम से संतुष्टि नहीं मिलेगी अगर औरते चाँद भी जमीं पे ले आएं तो उन्हें एतराज रहेगा की चाँद सही से जमीं पे नहीं उतारा गया हैं । ऐसे लोगों को इग्नोर मारते हुए हमें इस ऐतिहासिक जीत को सेलिब्रेट करना चाहिए और जूनियर महिला क्रिकेट टीम से कहना चाहिए ” लड़कियों तुमने कर दिखाया,हमें गर्व हैं सिर्फ इस जीत पर ही नहीं तुम्हारे हौसलो पर भी।”