उसने
अपना पैर खुजाया
अँगूठी के नग को देखा
उठ कर
ख़ाली जग को देखा
चुटकी से एक तिनका तोड़ा चारपाई का बान मरोड़ा
भरे-पुरे घर के आँगन में
कभी-कभी वह बात!
जो लब तक आते-आते खो जाती है
कितनी सुन्दर हो जाती है!
उसने
अपना पैर खुजाया
अँगूठी के नग को देखा
उठ कर
ख़ाली जग को देखा
चुटकी से एक तिनका तोड़ा चारपाई का बान मरोड़ा
भरे-पुरे घर के आँगन में
कभी-कभी वह बात!
जो लब तक आते-आते खो जाती है
कितनी सुन्दर हो जाती है!
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