एक मैं हूँ यहाँ एक तू है ।
एक मैं हूँ यहाँ, एक तू है सिर्फ़ साँसों की ही गुफ़्तगू है , चाँद के साज़ पर रोशनी गीत गाते हुए आ रही है तेरी ज़ुल्फ़ों से छन कर वो देखो चाँदनी नूर बरसा रही है ,, वक़्त यूँ ही ठहर जाए हमदम दिल को इतनी सी इक आरज़ू है ।
एक मैं हूँ यहाँ, एक तू है ।
दूर धरती के काँधे पे देखो मेरे ख़्वाबों में जो तैरती थी अप्सरा तू वही हू-ब-हू है
एक मैं हूँ यहाँ, एक तू है ।
कुमार विश्वास