अभी तक लक्ष्य ने ओजू को दो बार ड्रेसेस दिलवाने की कोशिश की लेकिन वो मुझे “अच्छी नहीं लगी” कहकर आगे बढ़ गयी। इतनी देर में उसने सिर्फ दो कुर्ती और एक लेगिंग्स ही ली है वो भी अपने पैसे से। लक्ष्य समझ चुका था कि आज भी ओजू उसके पैसे से खरीदारी नहीं करना चाहती है। जब-जब भी ओजू ऐसा करती है लक्ष्य को ऐसा लगता है कि वो बहुत दूर है उससे बस ऊपरी रिश्ता निभा रही है वो वरना अहसान मानने के सिवा शायद ही वो कोई दूसरा रिश्ता समझती हो! जब भी अपने पैसे से कोई चीज दिलानी होती है तो लक्ष्य को जबरदस्ती करके ही दिलानी पड़ती है । पता नहीं इतने वक्त बाद भी उसपर उसके पैसो पर वैसा हक़ क्यों नहीं जताती जैसा जाताना चाहिए। लेकिन इसमे लक्ष्य कर भी तो कुछ नही सकता उसके सिद्धांत है और वो उसका दोस्त और प्यार है उसके दायरों को सुरक्षित रखना फर्ज़ है उसका ।
लक्ष्य ने गौर किया कि ओजू उतनी देर से एक ही ड्रेस को निहारे जा रही है अभी उसने हाथ से छू कर भी देखा । उस ड्रेस को देख कर वो मुस्कुरा रही थी , उसका प्राइज चेक करने के लिए उसने टैग को देखा और फिर उसे वैसे ही छोड़ दिया । क्या हुआ लेनी है ? लक्ष्य ने आगे बढ़कर पूछा। कौन लेगा देख नहीं रहे बिल्कुल सफ़ेद है बड़ी जल्दी खराब हो जाएगी , फिर ये पार्टी वियर है , मुझे कहाँ पार्टी जाना होता है। कहकर वो आगे के कपड़े देखने लगी। लक्ष्य ने उस ड्रेस का प्राइज चेक किया 17 हजार की थी इसीलिए ओजू ने पसंद आने के बाद भी नहीं लिया उसे।
कपड़े खरीदने के बाद उज्जवला मूवी देखने के लिए कहने लगी। ओके बताओ कौन सी मूवी देखोगी ?
कोई भी नई रिलीज , बढ़िया सी।
नई जितनी भी पिक्चर आयी है सब रोमांटिक है ।
तो क्या रोमांटिक मूवी मै नही देख सकती हूँ?
देख सकती हो लेकिन दोस्त के साथ नहीं और मै तो तुम्हारा दोस्त हूँ तो मेरे साथ तो तुम्हें कोई एक्शन और कॉमेडी मूवी ही देखनी चाहिए।
क्या बकवास है , मुझे रोमांटिक मूवी ही देखनी है । ओके और अगर रोमांटिक मूवी देखते हुए मै बहक गया तो। लक्ष्य ने ओजू का हाथ दबाते हुए कहा ।
तो मै तुम्हारा मर्डर कर दूंगी और थिएटर में हो जाएगी एक्शन मूवी । अपने हाथों से लक्ष्य का गला दबाते हुए बोली । गला छोड़ दे , मै साधु बनकर पूरी पिक्चर देखूंगा कसम से ।
अच्छा मूवीज में जैसा दिखाते है वैसा असल जिंदगी में भी होता है क्या? लक्ष्य ओजू के लिए कार का दरवाजा खोलते हुए बोला। होता क्यों नहीं है फिल्में कहाँ से बनती हैं हमारी तुम्हारी जिंदगी से, फिर भला फिल्मों वाला जिंदगी में क्यो नही होता है। अच्छा जो फिल्मों में दिखाते है वो सच में होता है …. लक्ष्य ने ड्राइविंग सीट संभालते हुए कहा ,” तो जो इस मूवी में दिखाई इनफैक्ट मैंने कई और भी मूवीज देखी है और मेरी एक फीमेल फ्रेंड भी यही कहती है कि फोर्सड किस की अपनी ही लव लैंग्वेज होती है सभी लड़कियाँ चाहती है कि. …. नहीं मतलब उन्हें अच्छा लगता है ये देखना की हम उनके लिए कितने पैसिनेट है , हमारे अंदर उनके लिए कितनी भावनाएं है। और तो और लड़कियों का सारा गुस्सा भी इससे चला जाता है तो क्या ऐसा रियल लाइफ में भी होता है ।
नहीं रियल लाइफ में ऐसा कुछ नहीं होता है समझे । होता क्यों नहीं है आखिर फ़िल्में भी तो हमारी ही जिंदगी से बनती है । सच बोलो तुम्हें भी अच्छा लगेगा न अगर मै तुम्हे कभी फोर्सड. ….
सोचना भी मत …।
मैंने तो सोच लिया है और मै जानता हूँ तुम्हें अच्छा भी लगेगा । ड्राइविंग पर ध्यान दो ।
तुमने ना नहीं कहा इसका मतलब तुम भी चाहती हो की ….. मै तुम्हें बहुत मरूंगी सच बोल रही हूँ । आय हाय लड़की शरमा गयी लगता है । shut up यार मै अभी यही पर उतर जाउंगी । ओके मैं कुछ नहीं बोलूंगा बस ।
देखा देवू आ गया और हम अभी घूम ही रहें थें। बेचारा भूखा होगा तभी तुमसे कह रही थी कि जल्दी चलो । कार से उतरते ही ओजू लक्ष्य पर भड़कने लगी । दोनों धीमे कदमों में अंदर गएँ , ओजू ने देवू के कमरे का दरवाजा बड़े आहिस्ते से खोला तो देखा की वो पढ़ रहा है ।
‘देवू क्या कर रहा है ?’ फुसफूसा कर लक्ष्य ने पूछा । पढ़ रहा है अभी तो । खाने में कुछ बनाया जाए उसके लिए ? हाँ वही करने जा रही हूँ जल्दी से कुछ बना दूंगी जाकर । चलो मै सब्जी बना लेता हूँ तब तक तुम गर्म-गर्म रोटियाँ सेंक लेना।
ओके लेकिन तुम्हें देर तो नहीं होगी ?ऑलमोस्ट चार बज गया है।अब कौन सा मुझे ऑफिस जाना है जो देर हो जाएगी । देवू को खाना खिलाने के बाद लक्ष्य उसे अपने साथ कार में घुमाने लेकर चला गया और उज्जवला दिन का बाकी बचा काम समेटने लगी। लक्ष्य अक्सर ही शाम को दिवाकर को कार चलाना सिखाने के लिए अपने साथ ले जाता है और 6 या 7 बजे तक उसे घर पर भी छोड़ जाता है ।
अगले दिन सुबह-सुबह जैसे ही घंटी बजी ओजू को लगा कि कहीं आदित्य ने फिर न कुछ भेजा हो। उसने दरवाजा खोला तो सच में एक गिफ्ट बॉक्स था । उसने साइन करके गिफ्ट बॉक्स को अंदर ले लिया।
उसका जरा भी मन नहीं था कि वो उस गिफ्ट को ओपन करे । उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी बेरुखी उसकी इंग्नोरेंस से आदित्य को समझ क्यों नहीं आया कि मै अब उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती । अब कोई और है उसकी जगह मेरे दिल में । क्या मै ये अपने मुँह से बोली तब ही समझ आएगा उसे ? ठीक है अब ऐसा ही होगा तुम जल्द ही जब डॉक्टर बनकर लौटोगे तब मैं ही तुम्हें अपने और लक्ष्य के बारे में बताऊँगी । लेकिन तब तक कैसे हैंडल करूँ ये सब ? और ये गिफ्ट..इसका क्या करूँ खोली की रहने दूँ । काफी देर की कश्मकश के बाद आखिर ओजू ने वो गिफ्ट ओपन कर ही दिया। उसके अंदर से एक वाइट ड्रेस थी जो उसने कल पसंद की थी साथ में कुछ चॉकलेट्स , रोज और एक लेटर । “कितनी बार कहा है कि तुम अपनी छोटी-छोटी जरूरतें मारती अच्छी नहीं लगती। ज्यादा कुछ नहीं कर सकता तुम्हारे लिए लेकिन तुम्हारी एक मुस्कान की वजह तो बन ही सकता हूँ ।” लेटर पढ़ कर उज्जवला की आँखें नम हो गयी उसने वो ड्रेस उठाकर अपनी बाहों में भरते हुए चूम लिया जैसे वो ड्रेस नहीं बल्कि लक्ष्य हो ।
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