ओजू किसी तरह से उस पते पर पहुंची जहाँ आदित्य ने बुलाया था। बाहर से देखने पर गैराज बिल्कुल वीरान लग रहा था । पता नहीं कब से बंद पड़ा है ? यहाँ किसी को मार के डाल दे तो भी किसी को पता नहीं चलेगा । आसपास बड़ी चौकन्नी निगाह से देखते हुए और सामने देखी हुई हर चीज को याद करते हुए ओजू उस गैराज में दाखिल हो गयी । वहाँ सुरागों और टूटी खिड़कियों से ही थोड़ी बहुत रौशनी आ पा रही थी बाकी घुप्प अंधेरा था। चारों तरफ बिगड़ी , टूटी हुई गाड़िया खड़ी थी जिनपर धूल जम चुकी थी । ओजू आगे बढ़ती हुई धीरे-धीरे सहमी आवाज़ में आदित्य का नाम पुकारती जा रही थी। अचानक उसका पैर लोहे के गुमटे से टकरा गया, एक सिसकी निकल आयी उसके मुँह से। इसके बाद सावधान होते हुए उसने अपने फोन की टॉर्च जला ली। जैसे ही उसने टॉर्च जलाई किसी ने उसे अपनी तरफ पूरी ताकत के साथ खींच लिया , उसने देखा कि वो आदित्य है उसके चेहरे पर खून लगा है , ओजू उसे धक्का देते हुए एकदम से चीख पड़ी ।
चीखों मत ओजू दोनो मारे जाएंगे … । इससे पहले वो और कुछ बोलता ओजू ने उसे दूसरा धक्का दिया और वहाँ से भागी। ओजू उधर गलत रास्ता है तुम इधर से बाहर निकलो जल्दी वरना. .. आदित्य कुछ कहते-कहते एकदम चुप हो गया उसे किसी के कदमों की आवाज सुनाई दी । वो इसी इंसान से उतनी देर से छुपा बैठा था लेकिन ओजू के शोर करने से उसे बाहर आना पड़ा ताकि वो ओजू को छुपा सके । अब वो अगर दोबारा छुपा तो हो सकता है कि उसे ढूंढते हुए वो ओजू तक पहुँच जाता। इसीलिए आदित्य छुपा तो नहीं लेकिन सावधानीपूर्वक उधर बढ़ा जिधऱ ओजू गयी थी ताकि उसे आराम से समझा कर यहाँ से सुरक्षित बाहर निकल सकें । लेकिन उसे लगा कि किसी ने उसकी पीठ पर किसी नुकीली चीज को घुसा दिया है । उसने पलट के उसका हाथ पकड़ लिया । आदित्य पहले से ही घायल हो चुका था उसके चेहरे और पैर पर चाकू से हमला किया गया था अचानक ही इसीलिए वो संभल नहीं पाया था और अपनी जान बचाने के लिए उसे छुपना पड़ा था। वैसे तो वो गैराज से निकल कर भाग सकता था लेकिन जानता था कि अगर ओजू आ गयी तो फिर उसका क्या होगा? और एक ये भी बात थी कि वो ओजू के सामने उस इंसान का वो दोहरा चेहरा सामने लाना चाहता था जो उसने कभी देखा ही नहीं , जिसकी वजह से ओजू ने उसकी दोस्ती और प्यार को झूठा कहा, उसे कातिल समझा। आज भले ही जान चली जाये उसकी लेकिन वो साबित करके रहेगा कि उसका प्यार झूठा नहीं था , उसने कोई धोखा नहीं दिया था उसे ।
आदित्य ने उसके हाथ को अपनी पूरी ताकत के साथ घुमा दिया और उसे आगे की तरफ धक्का देते हुए अपनी पीठ से चाकू निकालने लगा । इससे पहले आदित्य चाकू निकाल पाता उसने फिर उठकर उसी चाकू को और अंदर धांस दिया आदित्य दर्द से चीख पड़ा । जहाँ इतने अंधेरे में एक-दूसरे को छू पाना भी मुमकिन नहीं था वहाँ दूसरे आदमी ने आदित्य की पीठ से चाकू निकाल कर उसपर ताबड़तोड़ वार करने शुरु कर दिये आदित्य दर्द से तड़पकर नीचे गिर गया । उसने आदित्य को सीधा किया और चाकू से उसके सीने पर वार कर दिया खून का एक फव्वारा फूट पड़ा जिससे उसका पूरा मुँह भीग गया और वो उसे पोछते हुए तेजी से हँसा । उसने चाकू से दोबारा उसे छलनी करना चाहा लेकिन एकदम से आँखों पर तेज रौशनी पड़ने से चौंधिया गया ।
ल…. क्ष…य….. इतना कहकर ही वो चीख पड़ी । उसके हाथ से फोन जमीन पर गिर गया ।
ओजू. ….तुम…तुम यहाँ क्या कर रही हो ? मना किया था न घर से निकलने के लिए यहाँ क्यों आयी….? उसने चाकू अपनी पीठ के पीछे छुपानी चाही और खड़ा हो कर उसकी तरफ बढ़ा। भाग ओजू. ….? आदित्य में अब भी जान थी उसने लक्ष्य के दोनो पैर मजबूती से पकड़ लिए । ओजू नहीं , तुम गलत समझ रही हो , मै सब बताता हूँ न तुम्हें। नहीं ओजू आखिरी बार कम-से-कम मेरी बात मान ले और अपनी जान बचा ले वरना जिस तरफ इसने अंकल आंटी को मारा , शेसी और सुबोध को मारा तुझे भी मार देगा । नहीं ओजू ये झूठ बोल रहा है मैंने किसी को नहीं मारा । ओजू मैंने कहा था मैं अपनी दोस्ती निभाऊंगा तुझे गलत हाथों में नहीं जाने दूँगा और इसकी हकीकत सामने लाने से पहले न मैं मरूंगा न पुलिस के ही हाथों आऊंगा मैंने वो वादा पूरा कर दिया। अब मैं मर सकता हूँ, तुम आज भी मेरी बात न मानने के लिए फ्री हो । आदित्य की पकड़ कुछ ढीली पड़ने लगी । लक्ष्य खुद का पैर छुड़ाने की तेजी से कोशिश कर रहा था । ओजू ने अपने आसपास देखा लेकिन उसे कहीं कुछ भी हथियार नजार नहीं आ रहा था ।
आदित्य तुम हिम्मत मत हारना , इसे पकड़े रहना मैं तुमको बचा लूँगी बस थोड़ी हिम्मत रखना। वो वहाँ रखे समान को जल्दी-जल्दी इधर-उधर फेंकने लगी ।
ओजू. …मेरी ओजू. ..! प्लीज जाओ यहाँ से मैं इसे ज्यादा देर. ..नहीं ।
नहीं आदित्य ऐसा मत बो…
आदित्य मुझे छोड़ वरना …. उसने पूरी ताकत से अपना पैर खींचा तो आदित्य भी उसके साथ घसिट गया । नहीं आदित्य कुछ नहीं होगा तुम्हें मैं हूँ न , मैं पुलिस …हाँ पुलिस को कॉल करती हूँ । ओजू जमीन पर बैठकर अंधेरे में अपना फोन टटोलने लगी।
ओजू तुमने अगर ….कभी भी मुझे प्यार किया…. आदित्य के मुँह से दर्द की एक ठंडी सिसकी निकल गयी ,’ तो आज बचा लो खुद को…. मैं एक डॉक्टर हूँ. …जान गया हूँ कि बस यही आखिरी ….. मैं तुमसे…आज भी बहुत प्यार करता हूँ उज्जवला बहुत शर्मिंदा हूँ मैं कि उस लम्हें में तुम्हारा साथ नहीं दे पाया जब तुम्हें. …आह…. ओजू काश मैं वो अंगूठी तुम्हें पहना पाता जो तुम्हें दी थी तो शायद तुम इस दरिंदे के जाल…. मे..कभी न फसती….लेकिन देखो इसने वो अंगूठी भी ले ली और तुम्हें भी… अंगूठी…..? ओजू को याद आया । नहीं मैंने वो अंगूठी इसे कभी नहीं दी वो तो खो गयी थी ।
अच्छा …! बड़ी मुश्किल से आदित्य बोल, पाया वो अंगूठी मैंने इसके पास देखी है। आदित्य दर्द से चीखने लगा क्योंकि लक्ष्य ने अपना पैर उसके सीने पर जो घाव था उसपे रख के दबा दिया। ओजू हाथ में कुछ लेकर दौड़ी और लक्ष्य के सिर पर मार दिया कोई पत्थर जैसी चीज थी वो। उसके बाद उसका पैर आदित्य के सीने से हटाने की कोशिश करने लगी तो लक्ष्य ने उसके बाल पकड़ कर उसे अलग कर दिया ।
लक्ष्य छोड़ दो उसे प्लीज। ओजू ने दोबारा उसके पैर पकड़ लिए।
ओजू भा…. मेरे बाद…तुझे…तेरे बाद देवू को…. उसे बचा… ओजू ने जैसे ही देवू का नाम सुना वो बेबस हो गयी । तुझे …मेरी कसम….मेरे प्यार…की कस…. भा…. आदित्य के मुँह और नाक से खून निकलने लगा । ओजू जान गयी थी कि अब आदित्य को वो नहीं बचा सकती। वो रोने लगी ।
आदित्य मैंने तुमसे प्यार किया था बीच में भटकी जरूरी लेकिन लक्ष्य में भी तुम्हें ही तलाश किया और आज ये वादा करके जा रही हूँ तुमसे कि तुम रहो या न रहो लेकिन मैं जिंदगी भर तुम्हारी रहूंगी सिर्फ तुम्हारी और तुमसे ही प्यार करती रहूंगी और तुम्हारी इस हालत का बदला भी ले कर रहूंगी इससे।
ओजू इससे ज्यादा मैं प्यार करता हूँ तुमसे । तुम्हें मुझसे डरने या भागने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हें या देवू को कुछ नहीं करूंगा। भाग…ओ… आदित्य के होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान थी । ओजू वहाँ से भागी तो लक्ष्य भी उसके पीछे भागा । आदित्य उसके पैरों से किसी जंजीर की तरह घसीटता हुआ चला जा रहा था ।
मैंने ह..रा दिया तुम्हें. …ल..क्ष..य । वो मेरी थी…मेरी है….और..आ..ह मेरी ही…. तुम …बहका सकते थे..उसे…लेकिन मुझसे छिन. ..नहीं । मेरा प्यार ..जीत…गया,तुम्ह..आरी साजिशों. …से । आदित्य बेतहासा दर्द में भी मुस्कुरा रहा था। ऐसा लग रहा था कि उसने ओजू का प्यार और भरोसा नहीं बल्कि कोई मेडल जीता हो ।
आदित्य छोड़ दे मुझे , मैं तेरी जान बख्श दूँगा, अभी हॉस्पिटल भी लेकर चलूँगा छोड़ दे । लक्ष्य को आदित्य की किसी भी बात पर गौर करने का समय नहीं था ।
देख भाई आदित्य वो चली जाएगी छोड़ दे मुझे , छोड़। उसने अपना पैर झटका । लेकिन बेजान हो चुका आदित्य उसके पैर में घायल सांप की तरह लिपटा था ।
तु भाई नहीं है न मेरा ? लक्ष्य रोने जैसा लगा। देख तुझे कुछ हो गया तो वो कभी बात नहीं करेगी मुझसे इसीलिए तुझे मार नहीं रहा हूँ छोड़ दे प्लीज। आदित्य उसके पैरों से लिपटा हुआ गैराज के बाहर तक पहुंच आया था । ओजू कहीं नहीं दिख रही थी। कहाँ था मुझे छोड़ लेकिन तु ऐसे नहीं छोड़ेगा। लक्ष्य ने मजबूती से आदित्य के सीने पर एक लात मारी। उसके शरीर में जो थोड़ा-बहुत खून बचा था वो भी मुँह से निकल गया । लक्ष्य ने गुस्से में उसके सीने पर ताबड़तोड़ वार करके उसे पूरी तरह मार दिया। आदित्य के प्राण-पखेरु आजाद हो गएँ और उसके दोनो हाथों ने गर्व के साथ लक्ष्य के पैरों को छोड़ दिया क्योंकि उन्होंने जिस मोहब्बत को खुद में समाने की और इसे सुरक्षित रखने की सोची थी उसे अपने अंजाम तक पहुँचा दिया था।
ओजू ने फोन पर पुलिस को सबकुछ बता कर वो गैराज की लोकेशन भेज दी और खुद देवू के हॉस्टल की तरफ निकल गयी। वो जानती थी कि लक्ष्य उसके घर जाने की बजाय देवू के पास ही जाएगा और उसका इस्तेमाल ओजू को परेशान करने के लिए करेगा। वो नहीं चाहती थी कि उसके पूरे परिवार को ख़त्म करने के बाद लक्ष्य उसके ऐकलौते भाई को भी मार दे। सारे रास्ते उसके दिमाग़ में लक्ष्य का भयानक चेहरा चलता रहा, उसे खुद से घिन आ रही थी खुद पर गुस्सा आ रही थी कि क्यों उसने लक्ष्य जैसे घटिया इंसान से प्यार लिया। वो सच में इतनी बेवकूफ थी कि वो लक्ष्य का असली चेहरा ही नहीं देख पायी । उसकी वजह से ही आदित्य की जान गयी है। ये सोचते ही उसने अपना सर टैक्सी में लड़ा दिया । टैक्सीवाले ने तुरंत उसकी तबियत पूछी और उसे हॉस्पिटल ले जाने के लिए पूछा लेकिन ओजू बोली कि सबकुछ ठीक है ।
ओजू हॉस्टल पहुंची ही थी कि उसे देवू के दोस्तों से पता चला कि उसने आज अपनी पहली डबल सेंचुरी बनाई थी इसी खुशी में उसने कोच से घर जाने की परमिशन मांगी थी तो कोच ने मना भी नहीं किया। इतना सुनते ही ओजू के पैरों तले जमीन खिसक गयी वो जैसे आयी थी वैसे ही अपने घर की तरफ भागी । खुद को कोसती रही कि क्या इतने भी पैसे नहीं बचा सकती थी कि अपने भाई को एक फोन दिलवा सके ? ऐसा लग रहा था कि ओजू की जान जिस तोते में बंद थी उसे किसी ने उड़ा दिया और अब वो उसके पीछे भाग रही है । अगर देवू को कुछ हो गया तो क्या जवाब देगी अपने माँ-बाप को ? भगवान प्लीज भले मेरी जान ले लो मेरे भाई को उस राक्षस से बचा लो । ओजू एक दम पागल हो चुकी थी। आदित्य की हालत उसकी आँखों के सामने घूम रही थी कहीं उसने देवू के साथ भी वही किया तो? ओजू जैसे-तैसे करके घर पहुँची और उसके पास जो भी जितना भी।पैसा था ड्राइवर की तरफ फेंकते हुए घर की तरफ भागी ।
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