आदित्य ने सोचा था कि ओजू को जब उसके ड्रग लेने की बात पता चलेगी तो वो बहुत नाराज होगी, डांटेगी और हो सकता था कि बात भी ना करती कुछ दिनों तक। लेकिन ऐसा कुछ भी न होता देख और उलटे उसे पहले से ज्यादा नर्मी से पेश आने पर आदित्य हैरान और परेशान रह गया । इस बात के सामने आने पर सभी को लगने लगा था कि उसने ही शेसी का मर्डर किया है लेकिन ओजू को ऐसा नहीं लग रहा, क्यों???
ओजू एक बात बताओगी ! तुम मुझ पर वाकई इतना भरोसा कर रही हो या सिर्फ मेरा दिल बहलाने के लिए…! छत पर खड़े-खड़े उसके दिमाग़ में ये सवाल आया तो उसने ओजू से पूछ लिया। किस मामलें में तुम भरोसे की बात कर रहें हो ? शेसी के मामले में कि इस ड्रग वाले टॉपिक पर या….
हर टॉपिक पर ! मैं हर टॉपिक पर भरोसा करने की बात कर रहा हूँ मुझे लगता है कि तुम मुझ पर सालों पहले वाला भरोसा करने लगी हो फिर से ! आदित्य रेलिंग के सहारे खड़ा हो गया । नहीं कह सकती की पहले जितना ही लेकिन मुझे लगने लगा है कि हाँ तुमने मुझे कोई धोखा नहीं दिया तुम मजबूरियों से हार गएँ थें और नशे के दलदल में फंस गये थें । अब तुमने नशा छोड़ दिया है और फिर से पहले जैसे हो रहें हो तो पहले जैसी मैं भी हो रही हूँ तुम्हारी दोस्ती के लिए । उसने रस्सी पर से कपड़ों को उतारते हुए एक बार उसकी तरफ गर्दन घूमा कर कहा ।
आदित्य के मन में आया कि वो पूछ ले कि सच में सबकुछ पहले जैसा…! यानि तुम्हें मुझसे प्यार भी पहले जैसा..? लेकिन उसने इस सवाल को दबा दिया क्योंकि पहले जैसा सब हो भी जाये तो भी एक चीज पहले जैसी नहीं हो सकती है वो हैं लक्ष्य । उसने उसे ओजू के दिल में बहुत मजबूत जगह बना ली है जितनी शायद वो खुद कभी नही बना पाया।
अच्छा ओजू एक बात और बोलूं? तुमने मुझे पहले जैसा दोस्त बना लिया है इसीलिए बोल रहा हूँ प्लीज दिल से न लगाना और मुझे कुछ गलत ना समझना लेकिन मुझे तुम्हारी फ़िक्र है इसीलिए बोल रहा हूँ । आदित्य ऐसे भूमिका बना रहा था की बात बहुत ही महत्वपूर्ण है । ओजू ने कुछ कहा नहीं वैसे ही कपड़े सुलझती हुई एक गहरी नजर डाली उस पर बस, जिसे आदित्य ने स्वीकृति समझा ।
जब तुमने मुझे बताया था अपने और लक्ष्य के बारे में तो मैंने कहा था कि कुछ वक्त दो मुझे उसे परखने का। मुझे अब लगता है कि इतने दिनों में मैंने उसे परख लिया है और मेरा नजरिया ये कहता है कि तुम्हें उसके बारे में सोचना चाहिए , अभी नहीं जब कभी कुछ गलत लगे तुम्हें , उसकी नीयत पर शक लगे तो जरूर सोचना एक बार अपने लिए। ये सारी बातें जो तुम्हारे सामने हुई हैं उनसे और लक्ष्य को जोड़कर सोचना शायद तुम्हें वो दिखे जो तुम्हें अभी तक नहीं दिखा। अभी तक मैनें जो देखा है उसके आधार पर मैं कह सकता हूँ कि लक्ष्य तुम्हारे लिए ठीक नहीं हैं कुछ गड़बड़ है वो और….. । इससे पहले वो कुछ और बोल पता ओजू ने उसे गुस्से से देखा और तंज कस दिया उसपर । अच्छा क्या देख लिया ऐसा जो मैं नहीं देख पायी लगभग 2 सालों में और तुमने 2 महीने में ही देख लिया ? ओजू पलट के उसके सामने खड़ी हो गयी। आदित्य समझ गया की वो नाराज हो चुकी है उसकी किसी बात का वो भी लक्ष्य से जुड़ी हुई बात का जवाब देना उसके गुस्से को बढ़ाएगा । इसीलिए आदित्य ने एक बार उसकी आँखों में झांका फिर” कुछ नहीं ” कहके सीढ़ियों से जल्दी-जल्दी नीचे उतर गया।
आदित्य को ऐसा हड़बड़ाया देख ओजू की माँ ने उसे बुलाया लेकिन वो कुछ बोला नहीं। “बेटा चाय तो पीते जाओ , मैंने कितने मन से बनाई है ।” उन्होंने कहा, लेकिन आदित्य कुछ नहीं बोला और चला गया। तभी सीढ़ियों से ओजू भी उतरती दिखाई दी जिसके हाथ में कपड़े और चेहरे पर गुस्सा,खीझ और उदासी। आदित्य भी गुस्से में चला गया और तुम भी मुँह लटकाये हो, ऐसे थोड़े किया जाता है! तुम दोनो बड़े हो चुके हो समझदार हो इस तरफ से एक दूसरे से बात-बेबात बिगड़ जाना सही नहीं है। जब से वो आया है मैं अक्सर देखती हूँ की तुमने उससे सही से बात नहीं की है जब देखो डांटा-फटकारा ही है। ठीक है चलो कुछ कह देता है तो कभी-कभी सुन भी लो जरूरी है हर बात का जवाब दो ? ओजू की मां उसे समझा रही थी और वो जीने पर खड़ी हो उनके लेक्चर ख़त्म होने का इंतजार कर रही थी । देखो बेटा अगर ऐसा चलता रहा तो कैसे बन पायेगा आगे का सिस्टम। अभी एक-दूसरे को नहीं समझोगे तो कब समझोगे जब एक-दो बच्चे हो जाएंगे तब ? अब इस तरह की कोई नादानी ना देखूँ तुम दोनों में ये सब अभी तक ही ठीक है अब आगे समझदारी से बढ़ो ताकि शादी के बाद कोई परेशानी ना हो पाएं रिश्ते में और तुम दोनो खुशी-खुशी जी…… मुझे उससे शादी नहीं करनी । ओजू एक ही सांस में बोल गयी बिना ये सोचे कि माँ को ये बात कितनी चुभ सकती है उनकी तबियत भी खराब हो सकती है। वो इतने दिनों से यही सोच कर उन्हें कुछ नहीं बता पा रही थी लेकिन आज उसने इस डर को पीछे छोड़ निर्णय कर लिया था कि आज नहीं तो कल उन्हें ये पता चलना ही है तो चलो आज ही सही।
शादी नहीं करेगी उससे, मतलब ?
शादी न करने का मतलब शादी न करना ही होता है माँ, मैं उससे शादी नहीं करुँगी आप दोबारा से उसे लेकर कोई सपना न देख लेना बस इतनी ही सी बात है। कहकर ओजू अपने कमरे की तरफ जाने लगी तो उसकी माँ ने उसका रास्ता रोक लिया । क्या, बात क्या हुई है ? बताओगी कुछ? कि मन में आया शादी नहीं करनी तो बोल दिया नहीं करनी। अरे कुछ आगे-पीछे का भी तो सोच गुड़िया ! अगर कोई बहस हो गयी है तो बैठ के सुलझा लो लेकिन रिश्ता न ख़त्म करो , तेरे पापा ने चुना था उसे वो गलत थोड़े हो सकते हैं! बेटा उनकी आखिरी इच्छ….. जब पापा ने उसे चुना था मेरे लिए तब वो सही था लेकिन अब नहीं , अब वो मुझे पहले जैसा नहीं लगता उससे हँस-खेल के बात करती हूँ इतना ही काफी है। अब मेरी जिंदगी में उसकी जगह कोई और है और मैं उसी से शादी करूंगी ये मैंने तय कर लिया है । ओजू की आवाज़ में जरा भी विचलन नहीं था उसका फैसला बिल्कुल दृढ़ थी ।
कौन है वो ? जिसके लिए तूने अपनी पापा की ख्वाहिश की भी इज्जत नहीं की! उनकी आवाज में गुस्सा नजर आने लगा था। माँ, मेरी पसंद को पापा की ख्वाहिश से जोड़ने की कोशिश न करें ये दोनों ही अलग चीजें हैं और फिर जो लड़का मेरी जिंदगी में है अगर आज पापा होतें तो उसे ही चुनते मेरे लिए, आप भी उसे अच्छे से जानती और पसंद करती है, मैं लक्ष्य की बात कर रही हूँ माँ । मुझे उसके सिवा न आदित्य चाहिए न कोई और । आदित्य तो आदित्य है अगर मुझे ब्रिटेन के प्रिंस से भी शादी का ऑफर मिलता तो मैं लक्ष्य के लिए उन्हें भी ठुकरा देती । इतना कहकर वो माँ के आगे से हट गयी और कमरे में चली गयी। ओजू गुस्से में कपड़ों को एक-एक कर अलमारी में ठूसती जा रही थी, उसकी आँखों से आंसू बह रहें थें और दिमाग़ कई तरह के ख्यालों से भर चुका था। उसके दिमाग़ में जो चेहरे उभर रहें थें उनमें लक्ष्य का , माँ का , पापा और आदित्य का चेहरा शामिल था सभी चेहरे अपनी-अपनी बात कर रहें थें लेकिन कोई उसकी बात तो सुन ही नहीं रहा था। अपने ही दिमाग़ में वो इन सबसे अच्छे से जवाब-तलब कर रही थी। क्यों करें वो सबकी मन की, उसका भी तो कुछ मन है? सब उसी पर अपनी इच्छाएं नहीं थोप सकते वो अपनी मन की करने की आजाद है ? आदित्य क्यों कहें कि मैं उसकी हो जाऊँ या लक्ष्य क्यों चाहे कि मैं उससे शादी कर लूँ ? माँ क्यों नहीं खुश हो जाती मेरे फैसले से ? मैं अपना भला-बुरा सोच सकती हूँ ये बात उन लोगों को समझनी चाहिए। मैं किसी की के दबाव में या किसी और कि खुशी के लिए अपनी जिंदगी नहीं तबाह कर सकती, फैसला कर लिया कि लक्ष्य ही मेरी जिंदगी……। ओजू के दिमाग़ में ये सब चल ही रहा था कि उसे कुछ गिरने की आवाज आयी। उसका दिल बैठ गया कहीं माँ को… उसने कपड़े वैसे ही फेंक दियें और भागती हुई बाहर आयी सामने देखा तो उसकी माँ फर्श पर बेहोश होकर गिर पड़ी थी। उसने तुरंत उनका सर उठाकर अपनी गोद में रखा। माँ, आँखें खोलो माँ. … माँ मेरी तरफ देखिये तो… वो जोर-जोर से माँ को पुकारते हुए रोने लगी । मम्मी…क्या हुआ आपको? मुझे देखती क्यों नहीं? अपनी माँ के चेहरे को हिलाते हुए वो रोये ही जा रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें?आज पहली बार वो इतना अकेली हो गयी थी इससे पहले कम से कम देवू तो साथ था अब तो कोई नहीं। उसे जब कुछ नहीं समझ आया तो दौड़ती हुई पड़ोस के चाचा को बुलाने चली गयी वही अक्सर उसकी मां को उसके मामा के घर भी ले जातें हैं और हॉस्पिटल भी कभी-कभी लिए चले जातें हैं ।
उन लोगों ने ओजू की माँ को बिस्तर पर लिटा दिया और उन्हें होश में लाने की कोशिश करने लगे। ओजू ने सबसे पहले आदित्य को ही फोन किया क्योकि वो अभी ज्यादा दूर नहीं गया होगा सबसे नजदीक होने की वजह से सबसे पहले वही आया। रात तक ओजू की माँ को होश नहीं आया सर पर ज्यादा चोट नहीं लगी थी कि खतरे की बात लगती लेकिन इतनी देर तक होश न आना जरूरी एक परेशानी थी। आदित्य के माँ-बाप वहीं उनके पास बैठे हुए थे और लक्ष्य और आदित्य ओजू को समझा रहें थें । इतनी देर से उनकी बॉडी में मूवमेंट न देख लक्ष्य ने कह दिया कि अगर आधे घंटे में उन्हें होश न आया तो वो उन्हें हॉस्पिटल ले जायेगा पैसे की फ़िक्र करने की जरूरत ओजू को नहीं है।
हाँ सही कहा आदित्य मैं तो कहता हूँ अभी ले चलो क्योंकि जितना भी पैसा जायेगा वो सब मेरी तरफ से जाएगा ओजू पैसों को लेकर परेशान न हो जब तक मैं हूँ। इतना कहते-कहते उसने ओजू के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे आहिस्ते से अपनी तरफ करके सीने के पास सटा लिया। आदित्य ने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया लेकिन उसके मम्मी-पापा को जरूर हैरानी हुई “कोई उनकी होने वाली बहू को ऐसे छूता है और उनका बेटा खामोश रहता है !”
उन्हें हॉस्पिटल ले जाने की जरूरत न पड़ी थोड़ी देर बाद वो होश में आ गयीं लेकिन जैसे ही सामने आदित्य और उसके परिवार को देखा तो फिर सिसक सिसक के रोती हुई अपने दोनो हाथ जोड़ने लगी।
अरे ये आप क्या कर रही हैं बहनजी ?
मुझे माफ़ कर दीजिये आपलोग, आदित्य बेटा तुम भी, सब लोग माफ़ कर दो मुझे ।
आप ये सब क्या कह रही हैं ?पहले आप रोना बंद कीजिये और फिर आराम कीजिये बाद में बात करेंगे हम लोग। अभी आपकी तबियत ठीक नहीं हैं। आदित्य की माँ ने उनके जुड़े हुए हाथों को अलग करते हुए उन्हें समझाने की कोशिश की।
नहीं बहनजी , अब मेरे पास आराम का वक्त नहीं बचा अब जाना हैं उनके पास क्षमा मांगने क्योंकि मैं उनकी अंतिम इच्छा नहीं पूरी कर पायी जिसके लिए अब तक जिंदा थी, अब मेरे जिंदा रहने की कोई उम्मीद ही नहीं बची है तो….. अरे आप इस तरह कमजोर होंगी तो बच्चो का क्या होगा?इस तरह की परेशानियाँ आती-जाती रहतीं हैं संभालिये खुद को देखिये बच्ची कैसे रो रही है।
आदित्य के पापा ने ओजू की तरफ इशारा किया जो लक्ष्य के पास खड़ी रोते-रोते काँप रही थी । उसी को तो देख रही हूँ भाईजी, तभी तो कहती हूँ कि मेरे दिन पूरे हो गये । पता नहीं ऐसा लड़का क्यों चुना उसने आपके आदित्य में क्या कमी है जो उसने उस लड़के का हाथ थाम लिया? उनकी निगाहें ओजू और लक्ष्य की तरफ थी उनके साथ ही आदित्य के पेरेंट्स ने भी एकदम से लक्ष्य पर गौर किया । मेरे पति की बड़ी इच्छा थी कि हमारी बेटी आपके घर की बहू बने लेकिन…..
आंटी जी प्लीज आप बोलिये मत वरना आपकी तबियत खराब हो जाएगी आपकी सांसे वैसे भी मुझे चढ़ती मालूम दे रही है। आदित्य ने बात बदलने के लिए ओजू की माँ का चेकअप करना शुरु कर दिया ।
सांसे चढ़ नहीं रही बेटा ख़त्म हो रही है, इसीलिए मुझे बोलने दे और जो पूछू सच-सच बता। तू इन दोनो के बारे में जानता था ?आदित्य ने कुछ नही बोला सिर्फ सर झुका दिया । ठीक हैं. …जानती तो मैं भी थी लेकिन हमेशा यही सोचा कि ओजू को अपने पापा का प्रॉमिस नहीं याद इसीलिए ऐसा कर रही है जिस दिन मैं उसे याद दिला दूंगी वो तुरंत अपने कदम पीछे खींच लेगी लेकिन आज जब उसने उनके उस फैसले की अवहेलना की और मुझे आँख दिखाई मैं तुरंत समझ गयी की मुझे अब उनकी शरण में जाना चाहिए मेरी बेटी अब मेरी बेटी नही रही।
नहीं माँ ऐसा मत बोलो मेरा ऐसा कुछ मतलब नहीं था प्लीज मम्मी प्लीज मुझे छोड़के जाने की बातें मत करो। ओजू रोती हुई अपनी माँ के सीने से लग गयी ।
प्यार लोगों को अंधा बनाता है ओजू! सामने वाले के सारे ऐब छुपा देता है और हमें सिर्फ उसकी अच्छाइयाँ ही दिखती है। अपने रिश्तों को बेगाना कर देता है और किसी बेगाने से जन्मों का रिश्ता बना लेता है इसने तेरी कोई गलती नहीं हैं बेटा अभी तू प्यार में हैं।
माँ ऐसा कुछ नहीं है लक्ष्य ऐसा नहीं हैं आप जानती तो है उसे। ओजू वैसे ही अपने माँ के सीने में सर छुपाये रोती रही। मैं क्या जानू कौन कैसा है ? मुझे तो बस अपने पति की आखिरी इच्छा का ही पता है जो ये थी कि तुझे सुरक्षित हाथों में सौप जाऊँ ।
माँ, मैं लक्ष्य के साथ सबसे ज्यादा सुरक्षित हूँ आप इस बात की बिल्कुल भी फ़िक्र न करें बस आप जल्दी से ठीक हो जाएँ तब वो आपकी खूब सेवा करेगा और आप समझ जायेंगी कि वो कितना अच्छा हैं फिर आप पापा की अधूरी….। इससे पहले ओजू अपनी बात ख़त्म करती उन्होंने मुस्कुराते हुए उसका माथा चूम लिया और आँख बंद कर के लेट गयी। ओजू ने महसूस किया की उनकी सांसे बेतरतीब ढंग से चलने लगी हैं । माँ, उसने सर उठाकर उनके चेहरे की तरफ देखा। आदित्य ने तुरंत ओजू को वहाँ से हटाया और उनकी नब्ज़ देखने लगा लेकिन उन्होंने तुरंत हाथ पीछे खींच लिया और मुस्कुराते हुए आदित्य की तरफ देखती हुई बोली ,” बेटा मेरी बेटी जो अन्याय कर रही है तुम्हारे साथ उसके लिए माफ़ करना उसे। फिर उधर से आँखें घूमाकर उसके पिता की तरफ देखने लगी ,” भाईसाहब रिश्ता भले ही आप के घर से न हो सका लेकिन फिर भी कभी मेरे बच्चों को अकेला न छोड़ना अपने ही बच्चे समझ के खयाल रख…..
आंटी जी प्लीज कुछ मत बोलिये मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ प्लीज। और ओजू तुम भी शांत रहो खासकर लक्ष्य की कोई बात न करो इनके आगे।
क्या मम्मी सच में आप उसे नहीं पसंद करती ओजू ने अचानक अपनी मां की आँखों में आँखें डाल दी। उधर से कोई जवाब न मिला बल्कि दो आँसू गिरे तो ओजू का रोम-रोम सिहर उठा। ओजू ने एक अंजाना डर महसूस कर लिया जो एक बार पहले भी कर चुकी थी जब उसके पापा की मौत हुई थी । अपनी माँ की आँखें बंद होते देख वो और जोर से रोने और चीखने लगी। माँ आपको मेरी कसम जो मुझे छोड़ गयी तो , मैं आपकी अच्छी बेटी हूँ न आपकी हर बात मानती हूँ ये बात भी मान गयी हूँ की मैं आदित्य से ही शादी करूंगी लक्ष्य को छोड़ दूंगी अब आप भी सिर्फ मेरी एक बात मान लीजिये मुझे छोड़कर मत जाइये। आंटी जी मुझे कभी माँ का प्यार नहीं नसीब हुआ है यूँ समझ लीजिये आपसे मिलने से पहले मैं अनाथ ही था जितना भी प्यार मिला हैं मुझे वो आप ही से मिला है। इसीलिए अगर आपको कुछ हो गया तो तो ओजू के साथ मैं भी अपनी मां खो दूँगा प्लीज मुझे दोबारा अनाथ मत करिये प्लीज। आप अगर यही चाहती हैं कि मैं उज्जवला की जिंदगी से दूर चला जाऊँ तो अभी जाता हूँ लेकिन मैं आपको किसी भी कीमत पर नहीं खो सकता माँ । लक्ष्य ने अपने आंसू काबू ने रखने की पूरी कोशिश की लेकिन आख़िरकार बच्चों की तरफ फुट के रोने ही लगा और रोते हुए ही अपना सिर उनके कदमों में रख दिया। अपने हाथों से उनके पैरों को दबाकर और होठों से चूमकर उनका आशीर्वाद लिया और चुपचाप वहाँ से निकल गया ऐकबार पलटा भी नहीं ओजू खामोशी से उसे जाते देखती रही। कोई और वक्त होता तो शायद भाग के रोक भी लेती लेकिन आज वो किस किस को रोके ? लक्ष्य के जाते ही ओजू की माँ की तबियत और तेज खराब होने लगी तो आदित्य ने उन्हें हॉस्पिटल ले जाना ही भला समझा। समझ नहीं आ रहा था कि आदित्य की मौजूदगी उनकी हेल्थ को ट्रिगर कर रही थी या गैर-मौजूदगी!
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