दरवाज़े पर निगाह टिकाए बैंठी है,
इन्तजार वाली आंखें,
आना नहीं है ये गर मुंह से बोल नहीं सकते
तो कम-से-कम दिखा दो इन्कार वाली आंखें,,
हाय!अपना कितना वक्त बर्बाद करती हैं
वो दो बेकार वाली आंखें …
शरारतें, शराफतें, मोहब्बतें इनमें हमारे लिए !
जाइए, ले जाइए ये उधार वाली आंखें
देखिए !न देखिए मुझे हसरत भरी निगाहों से
मुझे नहीं पसन्द मोहब्बतें ….
कहीं और ले जाइए अपनी प्यार वाली आंखें,
हर वक्त कुछ नया मांगतीं रहतीं हैं
निकाल फेंक दूंगी किसी दिन दरकार वाली आंखें,
मुझे जरा भी नहीं पसन्द कि फुरसतों में बैठूं
किसी और के पास ले जाइए ये इतवार वाली आंखें ।
✍🏻 Me
वाह…!