घटती खुशी (Happiness) का बढ़ता दायरा।

                                 घटती खुशी (Happiness) का बढ़ता दायरा। 

Happiness , Glad ,मुस्कान , प्रसन्नता, हर्ष: ,और भी कई भाषाओं में खुशी को कई नामों से जाना जाता है ,मगर नाम चाहे कितने ही रख लो आप अर्थ तो बस “शारीरिक स्वास्थ्य को सर्वोत्तम रखने के लिए मानसिक तनाव में कमी लाने वाले प्रयासो से ही है।”।                                                                  “प्रयास” यहाँ जो यह शब्द इस्तेमाल किया है मैनें ये शब्द ही इस लेख का सार है ,क्योंकि आज हम लोग खुश तो भले ही न रह पाते हो लेकिन खुश दिखने का प्रयास पूरा करतें हैं ,

लेकिन क्या खुश दिखना ही खुश रहने के लिए काफी है?

Happiness
Happiness

 

मुझे कहीं से भी नहीं लगता कि चेहरे पर फैली ढाईं इंच की मुस्कान इस बात का सुबूत है कि आप खुश हो क्योंकि आजकल तो ये मुस्कान खुशी दिखाने से ज्यादा अपना रुतबा दिखाने व किसी को जलाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

रुतबा मतलब रूपया-पैसा ,कार ,बंगला ये सब लेकिन अगर किसी के पास ये सब है तो वो झूठी मुसकान क्यों दिखा रहा है सच में खुश क्यों नहीं है? शायद इसलिए क्योंकि खुशी रूतबे या ओहदे से नहीं बल्कि दिल से आती है।

याद हैं आपको जब आप बच्चे थें और आपके मॉं पापा आपके लिए जब चप्पल लेने जातें थें तो आपकी एकलौती शर्त यही होती थी कि चप्पल सीटी वाले हो जो पहनने पर पिचुक-पिचुक  बोले ( मेरी तो यही होती थी)।

फिर थोडे़ बड़े हुए तो पूरे कक्षा में नया बैग ,नयी Water bottle ही हमारी खुशी हो गई किशोर हुए तो नयी साइकिल नया फोन हमारी खुशी का साधन हो गया, फिर एक दिन हम इतने बड़े हो गयें कि इनमेंं से कोई भी चीज हमें खुश रखने के लिए काफी नहीं थी , Social networking sites ने दिलासा तो दिया थोडा सा मगर खुशी वहां भी नहीं मिली तो बड़े होते-होते आखिर खुशी गई कहाॅं ?

दरअसल खुशी तो कहीं नहीं गई पर हम खुशी से दूर निकल आएं और खुश होने के दायरें इतने बड़े कर दिए कि छोटी सी खुशी काफी मेहनत मशक्कत के बाद वो दायरा कभी कभी  ही लांघ पाती हैं।

Happiness
Happiness

 

क्यों न इस दायरें को छोटा कर दे हम ? क्यों न थोड़ा सा जरुरतें घटा दे? क्यों न  उट-पटांग सा कोई काम कर लें ,(मैं जानती हूँ ये आइडिया थोड़ा अजीब है पर मैं उट-पटांग काम करने में A-One हूँ तो आप इसके लिए मेरी मदद भी ले सकतें हैं यकीन किजिए ऐसे काम करने में भी कुछ कम सुकून नहीं है)।

,किसी दिन अपना फोन‌ दूर रखकर सिर्फ और सिर्फ किताबो ं से या फूल और पत्तों से बात करें और सबसे महत्वपूर्ण बात जानतें हैं क्या है कि अपने अन्दर वाले बच्चे को कभी न मरने दे क्योंकि बच्चे ही छोटी छोटी बातो में खुश हो जाया करते हैं आप पर हालॉंकि बड़े होने का बड़ा तगड़ा दबाव बनाया जाएगा/

जैसे मुझे ही देख लीजिए मेरी दीदी मॉं तो सुबह  ही बिगड़ गई मुझपर कि अब तो तू कालेज में आ गयी हैं अब तो बड़ी हो जा लेकिन शाम होते होते मैं फिर ढीठ बनकर आप लोगो को अपना बचपना न छोड़ने की हिदायत दे रही हूँ,ऐसे ही चाहे कुछ हो जाऐ आप भी दिल से बच्चे ही रहिएगा।

Happiness
Happiness

 

और ऐसे उट-पटांग काम करतें रहिएगा जो आपके नही तो सामने वाले के चेहरे का भूगोल थोड़ी देर के लिए बदल दे और होठों के दोनों किनारे कान‌ की  राह तक चले जाऐ ंक्योंकि जब आपकी वजह से किसी दूसरे को खुशी मिलती है न तो ये एक पर एक फ्री मिलने वाले ऑफर से भी ज्यादा खुशी देता है बाबू मोशाय।

#Say happy
#stay happy
#live happy.