उज्जवला ने इन दो तीन महीनों में खुद को आदित्य को सबकुछ बताने और उससे रिश्ता ख़त्म करने के लिए खुद को तैयार कर लिया था। अगले हफ्ते जब आदित्य आएगा तो वो सबसे पहले यही बात उससे करेगी । उसके बाद माँ की परमिशन मिलने पर वो और लक्ष्य हमेशा-हमेशा के लिए एक हो जाएंगे। तब उसे बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ाना पड़ेगा तब किसी बड़े कॉलेज में वो टीचिंग का काम कर लेगी अच्छा पैसा भी मिलेगा और सुकून भी रहेगा। अभी 7 बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने में उसके 5 घंटे चले जातें हैं और पैसे भी कितने मिलते है 19 हजार । माँ की वजह से कहीं जॉब नहीं कर पाती है उसे डर लगा रहता है कि अकेले में माँ अपने साथ कुछ कर न ले इसीलिए आसपास के बच्चों को ही पढ़ा देती है बस । जब उसकी शादी हो जाएगी तब वो माँ को अपने साथ ही रख लेगी और उनके लिए एक नौकरानी भी। लक्ष्य तो कितनी ही बार यही कह चुका है कि माँ के लिए एक अच्छी सी नर्स रख लो पैसे मै दे दूँगा लेकिन ओजू इस बात के लिए तैयार ही नहीं हुई ।
ओजू ने जितनी भी कल्पनाएं की थी सबमें उसने लक्ष्य को अपना और खुद को लक्ष्य का होते देखा था। उसने कभी सोचा ही नहीं कि वो और लक्ष्य कभी न मिल पाएं तो ? अगर आदित्य और उसके घर वालों ने जोर-जबरदस्ती की तो ? या माँ ने ही इंकार कर दिया तो ? लेकिन शायद वो ये सब सोचना भी नहीं चाहती थी क्योकि जिंदगी में इतने गम पहले से ही थे एक लक्ष्य का ही ख्याल उसे खुश बनाएं रखता था ऐसे में उससे भी जुदाई की बातें सोचेगी तो खुश कैसे रहेगी ?
एक-एक दिन गिनते हुए आखिर वो दिन आ ही गया जब आदित्य की फ्लाइट इंडिया के लिए रवाना हो चुकी थी। अगर ओजू के पापा होतें तो उसे अपने साथ लेकर सुबह ही एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गएँ होते लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हैं। वो ना खुद ही आदित्य के घर गयी और ना दिवाकर को ही जाने दिया। उसने देवू को तैयार करके स्कूल भेज दिया और खुद घर का काम निपटा के बच्चों को पढ़ाने चली गई । शाम को लौटते हुए उसे लक्ष्य की कार दिखाई दी तो वो रुक गई। कहाँ जा रहें हो ? कार के रुकते ही उसने पूछा । देवू को लेने आया हूँ घुमाने के लिए , अगर तुम चाहो तो तुम्हें भी कही घुमा लाऊंगा ।
जी बड़ी मेहरबानी लेकिन इसकी कोई जरूरत नहीं हैं तुम उसे ही ले जाओ।
अच्छा आओ थोड़ी दूर के लिए बैठ जाओ दोंनो जल्दी घर पहुंचेंगे । ओजू कार की पिछली सीट पर बैठ गयी और कार 4 मिनट के अंदर ही उसके घर के बाहर पहुंच चुकी थी । लेकिन आज उसके घर के बाहर पहले से ही एक कार मौजूद थी। लक्ष्य को इस बात की हैरानी हुई लेकिन शायद ओजू समझ गयी थी की ये कार किसकी हो सकती है। दोनो अंदर गएँ तो देखा आदित्य अपनी माँ के साथ आया हुआ था । उसकी माँ उन लोगों के साथ बैठी हुई थी और देवू किचन में कुछ कर रहा था। ओजू को देखती ही आदित्य उठकर उसके पास गया और उसे गले से लगा लिया। ओजू वैसे ही खड़ी रही।
ये कौन है ? लक्ष्य को देखकर उसने पूछा ,लेकिन वो वैसे ही चुपचाप खड़ी रही ।
मै इनका दोस्त हूँ और आप शायद मिस्टर आदित्य है । लक्ष्य ने आगे बढ़कर खुद ही अपना परिचय दे दिया । जी हाँ मै आदित्य ही हूँ बताइये आपको मेरे बारे में पता है लेकिन आपके बारे में मुझे उज्जवला ने कुछ बताया ही नहीं । अभी तो आएं है आप अब तो मेरी एक-एक बात ओजू बताएगी आपको ।
ओजू ने आगे बढ़कर आदित्य की माँ के पैर छुए तो उन्होंने प्यार से उसकी पीठ पर हाथ फेर दिया और उसके गले में कुछ डाल दिया। सोने की एक चेन थी , ओजू आवक सी खड़ी रह गयी। अरे इसकी क्या जरूरत थी बहन जी, बच्ची ये सब कहाँ पहनती है ? ओजू की माँ बोली । तब तक लक्ष्य और आदित्य अपनी-अपनी जगह पर बैठ चुके थे ।
जरूरत क्यों नहीं है आखिर हमारी होने वाली बहू को हम सजा धजा कर नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा । आदित्य की माँ हँसते हुए ओजू की तरफ देखती है लेकिन वो बिना कुछ बोले किचन में चली जाती है। उसका इतनी खामोशी से जाना लक्ष्य को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा इसीलिए वो भी उठ चल दिया। मुझे बहुत जरूरी काम है इसीलिए मै आप लोगों से इजाजत चाहता हूँ । इतना कहकर वो सबको प्रणाम करके चला गया। तुझे क्या जरूरत थी ये सब करने की मेरा इंतजार कर लेता। ओजू किचन का सामान इधर-उधर करती हुयी बोली। आप को देर हो रही थी फिर आप थकी भी तो है इसलिए… अच्छा बस, मै तुमको चाय देती हूँ तुम सबको देकर आओ। हाँ ये ठीक है। वैसे दी आपको पता है कि आदित्य जीजू क्या लाएं मेरे लिए…?
Please don’t call him jiju? तू तो समझ न ! उसने बेबसी से कहा ।
ओके, शायद मै समझता हूँ भले ही छोटा हूँ लेकिन…. हटाइये ये बाद की बातें हैं अभी तो मै ये बता रहा हूँ की आदित्य जी मेरे लिए अमेरिका से एक क्रिकेट किट लेकर आएं हैं मस्त लेदर वाली बॉल भी है और एक……
अच्छा बस बस बाकी बातें बाद में रात को सोते समय करेंगे अभी चाय देकर आओ सबको मै नाश्ता लेकर आती हूँ । जब ओजू ने लक्ष्य को सबके साथ नहीं देखा तो वो सोचने लगी कि आखिर क्या बात होगी जो लक्ष्य को इतना परेशान कर गई ? कहीं उसे ऐसा तो नहीं लगा कि मैं इन सब चीजों का विरोध नहीं कर पाऊँगी और आदित्य के साथ रिश्ते में बंध जाउंगी ! नहीं कभी नहीं मै अब आदित्य की कभी नहीं हो सकती कभी नहीं, मै इतनी भी कमजोर नहीं कि किसी की भी मर्जी मेरे ऊपर चल जाएँ मै इन सब का विरोध करते हुए लक्ष्य का हाथ थाम लूंगी। मुझे उसके सिवा कुछ नहीं चाहिए न आदित्य और न उसकी सोने की चेन…। ओजू प्लेट टेबल पर रखते ही वहाँ से चली गयी। पीछे से आदित्य ने आवाज भी दी लेकिन उसके पलटने के लिए काफी देर हो चुकी थी अब वो कभी आदित्य के पास नहीं लौटने वाली !
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