तुम दिवाकर की कोचिंग के लिए कुछ बोल रही थी ? लक्ष्य ने अच्छा मौका देख कर बात शुरु की ।
हाँ सोच तो रही थी पापा भी उसे क्रिकेट की कोचिंग दिलवाना चाहतें थें ,पैसे भी थें लेकिन सारे पैसे तो उनके इलाज में ही खर्च हो गएँ अब थोड़ा वक्त लगेगा तब तक वो हाईस्कूल भी निकाल लेगा।
जानती हो इन सब चीजों की ट्रेनिंग जितनी जल्दी शुरु हो सके उतना ही अच्छा है। कितना तो अच्छा खेलता है वो मैंने बॉलिंग फेकी हैं न तभी जानता हूँ कि मोहल्ले के लोग ठीक ही कहते है की अगला धोनी मथुरा से ही निकलेगा।
यार तुम सब जानते हो फिर भी अभी मै उसकी स्कूल फीस भी टाइम से नहीं भर पाती उसपर से मम्मी की हर महीने की दवाई ऐसे में उसे कोचिंग कहाँ से करवा दूँ। क्या मेरा दिल नहीं चाहता हैं की मेरा छोटा भाई अपना बड़ा नाम कमाएँ! लेकिन मजबूर हूँ मै भी , कम से कम तुम तो ये बात समझो। ओजू ने अपना मुँह खिड़की से बाहर की तरफ कर लिया शायद आँखे नम हो गयी थी उसकी।
एक बात कहूँ अगर नाराज ना हो तो ? लक्ष्य उसके सर पर हाथ फिराते हुए बोला ।
हूँ. ……
मैंने देवू की कोचिंग की बात की है सब परिस्थिति भी बता दी है ज्यादा फीस भी नहीं थी तो मैने इस साल की अपनी तरफ से जमा भी कर दी है अगर अच्छा खेलेगा वहाँ पर तो शायद आगे की फीस माफ़ हो ……
How could you do this ? तुम जानते हो कि मेरे पास अभी पैसे नहीं हैं उसके बावजूद तुमने ऐसा किया, जबकी मै तुम्हारे पैसे वापस नहीं लौटा सकती। इतना अहसान क्यों कर….. थप्पड़ मरूंगा मैं अभी तुझे बेवकूफ कहीं की! अगर तेरे पास पैसे होते तो भला मुझे जमा करने की जरूरत ही क्या थी । भाई वो सिर्फ तेरा ही नहीं मेरा भी हैं और तूने तो वादा लिया था मुझसे कि तेरे साथ हर अच्छे बुरे वक्त में खड़ा रहूँ आदित्य की तरह साइड ना हो जाऊं। क्या मैं तुझे इस मुसीबत में अकेला छोड़ दूँ बन जाऊं तेरी जिंदगी का दूसरा आदित्य शर्मा ,बात करती है! पैसे क्यों भर दियें अहसान क्यों कर दिया। साला मेरे को पता ही नहीं था कि दोस्ती में अहसान भी होता हैं । लक्ष्य भड़कता ही जा रहा था लेकिन जब उसने देखा कि ओजू की आँखों से लम्बे-लम्बे आँसू बह रहें हैं तो उसका गुस्सा भी बह गया उसने कार साइड में खड़ी की और उसके आँसू पोछते हुए अपने सीने से लगा लिया ।
देख मैंने तुझे बड़ी-बड़ी चीजों को इग्नोर मारने से लेकर छोटी-छोटी चीजों के लिए तरसते देखा हैं। कोई यकीन नहीं करेगा की हफ्ते के हफ्ते फालतू की शॉपिंग करने वाली लड़की आज तीन महीने बाद मॉल जा रही हैं अपनी जरूरत का सामान लेने वो भी लाख कहने के बाद। इसीलिए मैं नहीं चाहता तू और खुद को ख़त्म करें तु जिस तरह से देवू के लिए पैसे जोड़ रही है नहीं हो पायेगा उससे यार बहुत पैसा चाहिए होता है इन चीजों के लिए । कपड़े ना लेकर, मेकअप के पैसे बचाकर अपनी जरूरतें मारकर तु उसकी रोजमर्या की चीजें तो उपलब्ध करा सकती है लेकिन उसका सपना नहीं पूरा करा पाएगी । इसीलिए मै आगे आया हूँ मुझे पता हैं अभी नहीं लेकिन कभी तो पैसे होंगे तेरे पास तब तु मुझे पैसे वापस कर देना। क्योंकि पैसे तो कहीं जाएंगे नहीं लेकिन देवू की उम्र चली जाएगी और हर साल अपने स्कूल को ट्रॉफी जितवाने वाला लड़का गली क्रिकेट की गलियों में ही खो जाएगा ।
तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले लक्ष्य क्यों? लक्ष्य के सीने पर मुक्का मारते हुए ओजू उससे लिपट कर सिसकने लगी।
चल रो मत यार बड़ी मुश्किल से तो डेट पर ले जा रहा हूँ उसपर से रो-धो कर तू मूड बिगाड़ ले रही हैं अपना चल आँसू पोछ । मै नहीं रो रही। वो और तेज सिसकने लगी। मैं सच कह रहा हूँ अगर तुम्हारा काजल फैला तो मैं तुम्हें पहचानने से इंकार कर दूँगा ।
नहीं फैलेगा । वो वैसे ही उसमें सिमटी हुयी बोली। क्यों फेविक्विक मिला कर लगाया है क्या ?
शट अप! ओजू के चेहरे पर थोड़ी हँसी आ गयी । वो तेरी अब याद आया । लक्ष्य अपने सर को पकड़ते हुए बोला। क्या याद आ गया?उसने अपना चेहरा पोछते हुए कहा। अभिषेक को जानती ही होगी है न ? वो जो मेरे फ्रेंड ग्रुप में था ना, यशिका का भाई ? जिसने कॉलेज में मुझे प्रपोज मारा लास्ट डे पर !
हाँ वही, उसे पुलिस पकड़ कर ले गयी ।
पुलिस लेकिन क्यों? ओजू को हैरानी हुई । कुछ नहीं एक लड़की को बहुत परेशान कर रहा था उसने शादी से इंकार कर दिया था इसीलिए। पागल बोल रहा था की पहले शादी के हाँ क्यों बोला था जब मना करना ही था तो। अब या तो मेरे साथ शादी कर या मेरे साथ मर। उसे लेकर टेरिस पर चढ़ गया था अगर पुलिस होशियारी नहीं दिखाती तो वो उसे लेकर पक्का नीचे कूद जाता ।
ओह माय गॉड वो तो बिल्कुल साइको हो गया था । हूँ अब देखो इलाज चलें तो चले। कहकर लक्ष्य ने गाड़ी स्टार्ट कर दी और ओजू से बात करने लगा। एक दो सवाल का जवाब तो उसने दिया लेकिन फिर बोलना बंद कर दिया कहीं खो सी गयी थी वो।
हे…क्या हुआ ? लक्ष्य ने उससे पूछा।
कुछ नहीं ऐसे ही।
क्या ऐसे ही , कोई ऐसे ही इतने गहरे खयालों में नहीं खो जाता। मैं सोच रही थी कि अगर आदित्य भी ऐसा ही हो गया तो । ओजू के इस मासूम सवाल में डर था लेकिन लक्ष्य को हँसी आ गयी। तुम क्या उसे पागल समझती हो ? अच्छा-खासा डॉक्टर है वो तुम्हारी पसंद की इज्जत करेगा तुम्हारी मर्जी को स्वीकारेगा। कोई दबी कुचली सोच का लड़का थोड़े है वो और हो सकता है कि शायद उन्हे अब तक वहां कोई दूसरी पसंद आ गयी हो । अच्छा सुबह उसके मैसेज पढ़ने के बाद भी तुम ऐसा बोल रहें हो?
वो सकता है की वो तुम्हें दोस्त मानता हो अब मुझे ही ले लो मै अपनी दोस्त को ऐसे ही मैसेज भेजता हूँ । लेकिन फिर भी तुम्हारे मन में डाउट हैं तो एक बार आदित्य जी से बात करके देख लो और बता दो की तुम अब उन्हें पसंद नहीं करती। मिले तब बताऊँ ना फोन पर ऐसी बातें थोड़ी की जाती हैं । ये भी सही हैं ।
लेकिन अगर उसे ये बात नहीं जमी और उसने हमारी शादी नहीं होने दी तो …?
तुम बोल रही थी की आंटी जी मुझे पसंद करती है ?
हाँ करती तो हैं ।
तो तुम कहो तो उनसे मै आकर बात करूँ और आदित्य के इंडिया लौटने से पहले हम दोनों सगाई कर लें , ऐसे तुम्हारा डर भी ख़त्म हो जायेगा और उसे सब पता भी चल जायेगा । अभी नहीं, अभी मुझे थोड़ा वक्त चाहिए।
ओके जैसा तुम्हें ठीक लगे लेकिन ऐसे परेशान ना होना । लक्ष्य ड्राइविंग पे ध्यान देने लगा और उज्जवला आँख बंद करके खुद से सवाल जवाब करने लगी। पिछले साल इन्ही दिनों के आसपास उसे आदित्य की कितनी जरूरत थी हर दस्तक पर दौड़ के दरवाजा खोलती थी कि आदित्य आ गया होगा लेकिन हर बार लक्ष्य ही सामने खड़ा दिखाई दिया। अगर उस वक्त पापा ने थोड़ी हिम्मत दिखाई होती तो क्या ऐसे दिन आतें कभी ? आज भी वही आदित्य होता और आज भी लक्ष्य सिर्फ दोस्त ही होता उसका। पापा ने खुदकुशी क्यों की बैंक की इएमआई भरना इतना भी तो मुश्किल नहीं था ? कितना तो वो चाहती थी की पापा बच जाए लेकिन दिन-रात एक करने के बाद भी सारा पैसा भी चला गया और पापा भी , पास रह गया तो केवल लक्ष्य । जो उसके साथ हँसा उसके साथ रोया माँ को जब-जब भी पागलपन के दौरे पड़े वो हॉस्पिटल ले कर भागा । इन सब में आदित्य कहाँ था ? अमेरिका में अपनी डॉक्टर की डिग्री कम्प्लीट करते हुए। उसके मम्मी-पापा और बहन तो आयी यहाँ तक की उसके दोस्त भी लेकिन वो नहीं आया। जब 25 दिन बाद फोन किया था तो न जाने क्या-क्या बहाने बना रहा था। कर्फ्यू लगा हैं यहाँ पर , किसी सफ़ेद पुलिस कर्मी ने दो अश्वेतों को गोली मार दी हैं हंगामा हो गया है ,वीजा में थोड़ा इशू हो गया था इसीलिए और भी बहुत कुछ बता रहा था। उसके बाद वक्त-वक्त पर उसके फोन कॉल्स आतें रहें लेकिन आदित्य ने जो जगह छोड़ दी थी उसपर लक्ष्य कब्ज़ा कर चुका था । अब उसे अपने हर अच्छे-बुरे वक्त में लक्ष्य का ही चेहरा दिखाई देता और वो तुरंत हाजिर भी हो जाता चाहे दिल्ली मुंबई , कनाडा फ़्रांस कहीं भी हो 2 घंटे में उज्जवला के पास पहुंच जाता था ।
हे मैडम उठिये हम मॉल पहुँच चुके है । लक्ष्य ने उसके बालों को अपने हाथों से सुलझाते हुए कहा । ओजू ने अपनी आँखे खोल दी।
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