बड़ा अजीब है आजकल का प्यार, जो पल भर में हो जाता है, उस पर से अजीब है,
इसके होने के तरीके और शर्ते
तरीका यह है कि दुनिया में जो चाहो,
मांग लो बस मुझे स्वीकार कर लो
शर्त यह कि तुम बस मेरी हो जाओ,
पूरी दुनिया से इनकार कर लो
कितना अर्थहीन है आजकल का प्रेम
जो नैतिक शास्त्र ताक में रखते हैं,
भौतिक शास्त्र से होता है
किस हद तक जाना पड़ता है,
प्यार को हासिल करने के लिए प्यार में ,
जिसमें आदमी सिकंदर बन जाता है एक हाँ में, और दरिंदा बन जाता हैं एक इंकार में, कुछ खास फर्क नहीं रह गया है। प्यार और वहशियत में,
मर्जी से खुद को सौप दो तो प्यार,
वरना फिर वहशियत, बलात्कार
उफ! ऐसा प्यार जो जिस्म हासिल न होने पर,
उसे जला देने में गुरेज नहीं करता, जरा से झगड़े पर उसे घर से उठा लेने में परहेज नहीं करता।
ऐसा प्यार जो एक शख्स से होते-होते
कब दूसरे से हो जाता है पता ही नहीं चलता
और कब सॉरी बोलकर
रिश्ता खत्म कर दिया जाता है,
यह भी सोच से परे नहीं होता,
कुछ खास फर्क नहीं पड़ता सेहत पर
जैसे प्यार नहीं जुकाम हुआ था
जो मौसम ठीक होते ही आप ही ठीक हो गया।
✍🏻 awa
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