निदा फाजली की गजल ‘गुलाब का फूल’
लचकती डाल पे खिलता हुआ गुलाब का फूल लबों के ख़म, झुकी आँखों की बोलती तस्वीर नई नई किसी बच्चे के हाथ की तहरीर लचकती डाल पे खिलता हुआ गुलाब का फूल … Read more
लचकती डाल पे खिलता हुआ गुलाब का फूल लबों के ख़म, झुकी आँखों की बोलती तस्वीर नई नई किसी बच्चे के हाथ की तहरीर लचकती डाल पे खिलता हुआ गुलाब का फूल … Read more
सान्या नींद से जगकर बिस्तर पर बैठे-बैठे आँखे मल रही थी बार-बार फोन की रिंग बजने की वजह से उठ तो गई थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि वो नींद में ही हो। आज रात में देर से सोने की वजह से उसका सर अभी भी भारी लग रहा था उसपर से बार-बार विक्रांत … Read more
बस्ती-मुहल्ले में अब भी जब-तब द्रौपदी की चर्चा हो जाती है। जब वह मुहल्ले से गई, कई दिन उसका नाम लोगों की जबान पर रहा। गरीब भोले पुरोहित के घर जन्म लेते समय उसने किसी का ध्यान आकर्षित नहीं किया था। लड़की थी, लड़की के जन्म के समय कोई समारोह या प्रसन्नता का प्रदर्शन नहीं … Read more
कुछ मिनटों से मेरी ओर ओर अपलक ताक रहे हैं। मैं हैरत में आकर देखता हूँ, उनकी पलकें एक बार भी नहीं झपकती हैं। इस बीच उनकी जीभ कई बार होंठों की फाँक से बाहर निकल चुकी है। उसके बाद उन्होंने फुसफुसाकर कहा, ‘बाबा बुला रहे हैं- बालकिशन! बालकिशन! बाबा बुला रहे हैं…. बालकिशन … … Read more
हम पेट्रोमैक्स की रोशनी में बैठकर डिनर ले रहे थे । कुल मिलाकर अभी अण्डे को दाँत से काटा ही होगा कि चौकीदार लछमन सिंह ने आकर पूछा, ‘आप लोग इमली बाबा के दर्शन नहीं करेंगे?” … Read more
रस की परिभाषा – रस शाब्दिक अर्थ है – आनंद । काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहते हैं । संस्कृत में कहा गया है कि “रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्” अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है । … Read more
कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। हँसी और विनोद का कलनाद मैं गूँज रहा था। खड़ा था। उस छोटे फुहारे के पास एक लड़का चुपचाप शराब पीनेवालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुर्ते के ऊपर से एक मोटी-सी सत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते … Read more
बाँटने वाले उस ठरकी बूढ़े ने दिन लपेट कर भेज दिए हैं नए कैलेंडर की चादर … Read more
अपनी नौकरी के शुरुआती दौर में ही पोस्टमास्टर को उलापुर गांव आना पड़ा था । जो अन्य भारतीय गांवों की भांति ही था । एक नील-कोठी नजदीक ही थी । जिसके मालिक ने बड़ी कोशिश-सिफारिशें करके, यह नया पोस्ट ऑफिस खुलवाया था। गांव के पोस्टमास्टर कलकत्ता के रहने वाले थे । जल से निकलकर सूखे … Read more
अखबार के लिए जिन विशेष लेखों को मैं प्रस्तुत करता था उन्हें रेखांकित करते कुछ मामूली से चित्र मैं यदा-कदा बनाया करता था और व्यावहारिक रूप से, मैं कला विभाग में परिचित हो गया था। इस प्रकार मेरी क्ले के साथ जान-पहचान हुई। क्ले प्रोफ़ेशन से संबंधित कोई मशीनी कार्य करता था । वह लांगरी … Read more