इतवार वाली आँखें
दरवाज़े पर निगाह टिकाए बैंठी है, इन्तजार वाली आंखें, आना नहीं है ये गर मुंह से बोल नहीं सकते तो कम-से-कम दिखा दो इन्कार वाली आंखें,, हाय!अपना कितना वक्त बर्बाद करती हैं वो दो बेकार वाली आंखें … शरारतें, शराफतें, मोहब्बतें इनमें हमारे लिए ! जाइए, ले जाइए ये उधार वाली आंखें देखिए !न देखिए … Read more