हँसी-हँसी में दुखांत प्रेम की गवाह बनी मक्रील।
गरमी का मौसम था। ‘मक्रील‘ की सुहावनी पहाड़ी। आबोहवा में छुट्टी के दिन बिताने के लिए आई संपूर्ण भद्र जनता खिंचकर मोटरों के अड्डे पर जहां पंजाब से आने वाली सड़क की गाड़ियां ठहरती हैं एकत्र हो रही थी। सूर्य पश्चिम की ओर देवदारों से छाई पहाड़ी की चोटी के पीछे सरक गया था। सूर्य … Read more