जॉन एलिया की शायरी “दिल जो दीवाना नहीं।
जॉन एलिया की शायरी “दिल जो दीवाना नहीं। दिल जो दीवाना नहीं आख़िर को दीवाना भी था भूलने पर उस को जब आया तो पहचाना भी था जानिया किस शौक़ में रिश्ते बिछड़ कर रह गये काम तो कोई नहीं था पर हमें जाना भी था अजनबी-सा एक मौसम एक … Read more