मुझे ईसा बना दिया तुमने
ये जुबाँ हमसे सी नहीं जाती, ज़िन्दगी है कि जी नहीं जाती। इन फ़सीलों में वो दरारें हैं, जिनमें बसकर नमी नहीं जाती। देखिए उस तरफ़ उजाला है, जिस तरफ़ रोशनी नहीं जाती । शाम कुछ पेड़ गिर गए वरना, बाम तक चाँदनी नहीं जाती। एक आदत-सी बन गई है तू, और आदत कभी नहीं … Read more