1983 का महाभोज आज कितना प्रासंगिक!
दुर्निवार सम्मोहन भरी उस खतरनाक लपकती अग्नि-लीक के लिए जो बिसू और बिन्दा तक ही नहीं रुकी रहती। – प्राक्कथन (महाभोज) मन्नू भंडारी मैं मानती हूँ कि जिन्दगी में कुछ चीजें एक बार तो करनी ही चाहिए- प्यार एक बार तो करना ही चाहिए , तन्हा सफर एक बार तो करना ही चाहिए,अपने सबसे बड़े … Read more