कभी-कभी अकेलापन भी अच्छा होता है।

इसकी पेशानी चूमकर,इसे सीने से लगा लेने को जी करता है ,कभी-कभी तन्हाई भी दिलरुबा-सी लगती है। 

                                                                – awa

         मौसम की सख्तमिजाजी , कोरोना की बेशर्मी और पढ़ाई की बेरुखी के बीच अकेलेपन का सितम ….. उफ़!हद ही ख़तम।

एक मिनट यहाँ मैं “सांइयां बिना नहीं काटती रातें” वाले अकेलेपन की बात नहीं कर रही हूँ , मैं सिर्फ अकेलेपन की बात कर रही हूँ उस अकेलेपन की जो दर्द नहीं देता, जो आंसू नहीं देता, जो बेचैन नहीं करता जो बस सम्बल देता है , उम्मीद देता है और राहत भी देता है।

वैसे तो मेरा ब्लॉग पढ़ने वालों में आधे से अधिक तो घर पर ही होंगे , लेकिन फिर भी एक तनहाई का माहौल उनके पास भी बन ही जाता होगा , कोई ना कोई वक्त तो ऐसा होगा जब आपके पास खुद के सिवा कोई दूसरा नहीं होता है, जब आप पूरे कमरे में, पूरे घर में ,पूरी सड़क पर अकेले होते होंगे ना कोई आपको देखने वाला होगा ना कोई आपसे बात करने वाला , तब आपने अपने अकेलेपन पर गौर किया है ? ना किया हो तो ऐसा कीजियेगा , क्यूँकि मैंने कहा ना कि अकेलापन भी कभी -कभी अच्छा होता है ।

मेरे नजरिये से तो अकेलेपन को मैं दो तरह से देखती हूँ एक -परिस्थिति जन्य अकेलापन दूसरा-अवसर जनित अकेलापन। परिस्थितिजन्य अकेलेपन से तो हम अच्छे से वाकिफ है , इससे सामना जो होता रहता है और ये हमें इतना कुछ सिखा के जो जाता है । लेकिन अवसर जनित अकेलेपन का क्या ?

इसपर तो हम ध्यान ही नहीं देते क्योकि ये हमें इतना कुछ सिखाता नहीं है ना , और ना ही हम दर्द से गुजरते है इस अकेलेपन में। तभी समझ नहीं पाते कि अकेलापन अच्छा भी होता है।

 मेरे हिसाब से तो  अकेलापन तभी अच्छा होता है, जब परिस्थितिवश ना होकर ,अवसरवश होता है।

आजकल जो मौसम चल रहा है सर्दियों का कोहरे से भारी हुई और ओस से घिरी हुई सर्दी , ये सर्दी अकेलापन पैदा करती है लेकिन सिर्फ उनमे जो मानसिक रूप से कभी बीमार रह चुके हो या जो अक्सर तनाव में रहते है वो भी निगेटिव लोनलीनेस। इन लोगों का पूर्व में हुए अनुभवों पर आधारित अकेलापन होता है जो एक तीसरी तरह का अकेलापन है और जिसे मैं वर्णित नहीं करुँगी क्योकि यह सबके साथ नहीं होता और इस अकेलेपन से ना आप कुछ सीख पते है और ना इसमें खुश रह पाते है बस किसी मूवी कि तरह पुरानी यादें दिमाग मे चलती है। 

मेरा फोकस पॉजिटिव लोनलीनेस पर है जिस अकेलेपन मे आप कुछ क्रिएटिव कर सकते है ,कुछ अलग सोच सकते है या खुद को enjoy कर सकते है । इस तरह के अकेलेपन से आप परेशान होने के बजाये निकल लेते है किसी नई यात्रा पर जो आपके दिल के लिए होती है जो आपके दिमाग के लिए होती है जिसमें आप बेचैन नहीं होते आप रोते नहीं बस तन्हाई मे बैठकर फुर्सत से खुद को सोच पाते है । इस तन्हाई मे आप खुद के साथ कुछ भी करने को आजाद रहते है आप आईने मे खुद को दसवीं बार भी देख सकते है , कागज पर खुद की शकल या खुद पर कुछ लिख सकते है रैप पर कथककली और मन्ना डे के गानो पर हिपहॉप कर सकते है , वो सब कुछ कर सकते है जो आपका दिल गवाही दे आपको करने की ।

तो आप अपने इस अवसर जनित अकेलेपन का लुफ्त उठाइये ना…. थोड़ा सा ही सही सिर्फ अपने लिए मुस्कुराइए ना… , अकेले मे खुद के ही साथ लुकाछिपी का खेल खेलिए और अपनी सारी परेशानियों को दफा किजिये ये कह के की ये मेरा समय है तुम अपने टाइम पे आना ,कुल मिलकर अपनी पॉजिटिव लोनलीनेस को बेवजह ना वेस्ट हो जाने दीजिये क्योकि अकेलापन भी कभी-कभी अच्छा होता है, 

और अच्छा वाला अकेलापन भी कभी -कभी ही मिलता है।

 अच्छी चीज़ भला किसे नहीं अच्छी लगती । situations की वजह से जो अकेलापन होता है उसका तो हम पूरा हिसाब रख लेते है फिर chance से मिले अकेलेपन का हिसाब कोई दूसरा करने आएगा क्या ?

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