लडकियां पहले इजहार क्यों नहीं कर सकतीं यार?

 साँसो में तेरी नजदीकियों का इत्र तू घोल दे….                   मैं ही क्यों इश्क़ जाहिर करुं,तू ही कभी बोल दे….

मेरे एक दोस्त ने एक बार मुझसे ये सवाल पूछा कि” आवा , क्या जरुरी है लड़कियों को लड़के ही पहले प्रपोज करें कभी लडकियां क्यूँ नहीं प्रपोज कर सकती हम लड़कों को ?” मैंने भी उसके इस सवाल पर गौर किया तो पाया कि ये समस्या एकलौती उसकी नहीं कई और भी लड़के इस महासवाल से गुजर रहें हैं कि आखिर लडकियां पहले पहल क्यों नहीं करती। चुंकि मैं खुद एक लड़की हूँ तो मुझे लगा की शायद मैं इस प्रॉब्लम को समझने में कुछ मदद कर सकती हूँ और लड़कों की पक्षधर बन लड़कियों से दरख्वास्त भी लगा सकती हूँ ।

हालांकि मैं इस बात को भी अपने पुरुष पाठको के सामने रखना चाहूंगी कि उसकी ये धारणा अब गलत साबित हो रही है कि लडकियां पहले इजहार नहीं करती । मैं खुद निजी तौर पर एक दो लड़कियों को जानती हूँ जिन्होंने बिंदास अंदाज़ में इजहार-ए-मोहब्बत किया है । ये पहले का चलन था कि लडकियां अपने दिल की बात दिल में ही दबा कर रखतीं थीं लेकिन किसी नखरे या मैं लड़की हूँ इस वजह से नहीं बल्कि “कहीं इंकार हो गया तो !” इस डर से या संकोच और शर्म-ओ-लिहाज़ की वजह से । एक वजह और भी हो सकती है जो आज भी ज़िंदा खड़ी है हमारे सामने वो है सामाजिक संरचना । समाज ने जो एक सांचा बनाया है औरतों के लिए उसमें उसको समा पाने की पहली शर्त ही यही रखी है की वो अपनी दिल की बातों को दबाना,छिपाना,या मारना जानती हो।

ये कुछ बातें रहीं हैं जिनकी वजह से पहले की लडकियां पहला कदम उठाने से डरती थीं । अब तो इनमे से ज्यादा कोई वजह नहीं है लेकिन पहले पहल करने के मामले में लड़कियों की तादात कम है। मैंने कहा कम है इसका मतलब ये मत समझ लीजियेगा कि हैं ही नहीं या बहुत ही कम है।

अब तो लड़कियों की एक प्रजाति ऐसी भी मार्किट में लॉन्च हुई है जो बिना लाग लपेट के, बिना संकोच या डर के सीधा अपने दिल की बात करती है , हाँ हो तो ठीक ना हो तो भी रूदाली नहीं बन जातीं। लाइफ को प्रैक्टिकल लेतीं हैं किसी एक को ही खुदा बना लेना उसकी समझ से परे है। ऐसी लड़कियों को शायद आप बहादुर कह दे लेकिन मैं समझदार और बिंदास कहूँगी। और, एक तरफ आज भी ऐसी हस्तियां मौजूद हैं जिन्हें लगता है , पहले इश्क कुबूल करना लड़कों का काम है हम क्यों पहले कहें?

तो मैं उनसे इतना ही कहना चाहुंगी कि बहन! ये 2022 है ना कि 1992।यहाँ कुछ भी स्लो नहीं चलेगा सब इंटरनेट की स्पीड से ही चलेगा, वक्त भी , प्यार भी , दिल भी और… जिसको आप पसंद करतीं हैं वो भी। ऐसा ना हो कि आप उसके पहले बोलने का ही इंतजार करतीं रहें और तब तक कोई और आपके दोस्त को अपना हमसफर बना ले। अब वो जमाना नहीं रहा कि आप शर्म-ओ-हयात का पल्ला पकड़े सकुचाई खड़ी रहे और सामने वाला ही आकर सब कहे। मैं सोचती हूँ जब हर काम में ledies first है तो दिल की बात में कहने में काहे का boy’s first हो।

हर चीज़ में जब आपको बोल्ड,बिंदास दिखना है तो दिल के मामले में भी दिलदार बनिए भाई। इसका मतलब ये नहीं कि आप खुद को होशियार दिखाने के लिए ये सोच ले कि अब प्रपोज तो मैं ही करुँगी पहले और इस चक्कर में किसी गलत बन्दे के फेर में पड़ जाए । पहले देखिये ,फिर समझिये फिर प्यार किजिये और फिर इजहार….। और किसी के लुक पर या रुतबे पर फिदा होकर नहीं बल्कि भोले से दिल , प्यारी सी आँखों और सच्चे इंसान से प्यार करिए । अगर आपकी जिन्दगी में कोई ऐसा है जो सबसे पहले आपकी इज्जत करें,फिर आपकी हिफाजत करें और फिर आपसे मोहब्बत करें , ऐसे इंसान को एक नहीं हज़ार बार पहले जाकर कहे कि आप उससे प्यार करतीं हैं । क्योंकि ऐसे बन्दे किसी किसी लड़की की जिन्दगी में ही मिलते हैं ये ऐसे angel हैं जो बिना पंखो के भी हमारी सुरक्षा करतें हैं और खुद से पहले हमारे बारे में सोचते हैं।

अमृता प्रीतम जी कहती भी है कि जिस ” हथेली पर सुकून मिले उसी पर अपना घर बना लो” तो वक्त आ गया है इंकार वाली लड़की से इजहार वाली लड़की बनने का मेरी प्रिय लडकियां! ” क्योंकि छोरियां छोरों से कम नहीं हैं।

एक बात लड़कों को भी हिदायत के तौर पर कि अगर कोई लड़की पहले आकर आपसे अपना हाल ए दिल कहे तो उसे भाव ना दिखाएं ,क्योकि आप बहुत भाग्यशाली हैं जो किसी स्त्री ने आपको अपने प्रेम के योग्य समझा ,वरना कई ऐसे लोग रहें हैं जो स्त्री प्रेम को तरसते ही रहें परंतु स्त्री ने उन्हें अपने योग्य नहीं समझा।

तो प्यार करना और प्यार का इजहार करना संविधान में कहीं भी अनैतिक नहीं हैं और प्यार का इजहार चाहे किधर से भी पहले हो लेकिन प्यार की नैतिकता बनाए रखना दोनों ही पक्षों की प्राथमिकता होनी चाहिए। 

सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये कि अगर कोई आपसे अपने दिल की बात कहे पर आप उस बात पर राजी ना हो तो भावनाओं का मजाक बनाने की बजाय उसे एक दोस्त की तरह समझाए कि यार मैं तुमसे प्यार नहीं करता/ नहीं करती , लेकिन तुम्हारी भावनाओं की इज्ज़त हमेशा करूँगा/करुँगी। इससे सामने वाला हीन भावना का शिकार नहीं होगा और उसकी नजरों में आपकी इज्ज़त और बढ़ जाएगी।

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