होली सिर्फ त्यौहार नहीं है होली है…..

उड़ती धूल पे पानी है, आसमान पे बादल नहीं गुलाल छाया है और बाजारों में सामानों की जगह रंगों ने ले ली है , देखो पता करो माजरा क्या है देखो क्या आसपास होली है?       ✍🏻 वा

 फागुन महीने की खड़ी पीली धूप,पेड़ो पर नए-नए कोपलें और टेसू पर उगे उसके नशीले फूल, मदमस्त कर देने वाली हवा साथ ही में उसके उड़ता लाल,नीला,गुलाबी गुलाल…। इन्ही सब बातों से तो पता चलता है की होली शुरू हो गई है , बाकी की परम्परा , मिलान समारोह तो बाद की बातें हैं।

कुल मिलाकर देखें तो होली कोई 10-15 दिन के हिसाब का त्यौहार होगा हैं न…? पर कैलेण्डर के हिसाब से लोगों के हिसाब से , परंपरा के हिसाब से … लेकिन …..मेरे हिसाब से इंसान का हर दिन होली होता है, हर दिन उसकी जिन्दगी में कोई न कोई नया रंग मिलता है आकर, हर दिन जिन्दगी कभी पापड़ जैसा नमकीन स्वाद चखती है कभी गुजिया, ठंडाई जैसा मीठा लग जाता है इसके मुँह….स..स..स अरे! मैं आपको सबसे प्रमुख कार्य तो बताना ही भूल गई जो इन सब से पहले होता हैं! 

….दहन… होलिका दहन यही होता है सबसे जरुरी कदम , मतलब बुराई पर अच्छाई की जीत, जिसमें प्रह्लाद बच गया था और उसकी बुआ होलिका जल कर राख हो गई थी…। चलिए हटाइये ये कहानी , मैं तो आपसे पूछने जा रही थी कि अपनी जिन्दगी में भी तो आप भी रोज़ कोई ना कोई दहन करते ही होंगे? देखिये सच बोलियेगा… क्या कभी अपनी कोई ख्वाहिश नहीं जलाई अपनी , कोई सच नहीं जलाया अपने भीतर, आँसू नहीं जलाये आँखो में या…. दिल नहीं जलाया कभी अपना….! रिश्ते तो खैर धीमी आंच पर ना रहें तो वो तो जल ही जातें हैं आप ही, उनकी बात ही हटाइये। तो हर दिन हर इंसान की जिन्दगी का होली का- सा ही तो हो जाता हैं न। बस फर्क हमारे नजरिये में ही आ जाता है बस होली के आसपास हमारी आँखों की झिल्ली थोड़ी रंग- बिरंगी रहतीं हैं जिससे हमें सालभर फीकी सी दिखने वाली जिन्दगी थोड़ी बहुत रंगीन लगती है। बाकी साल भर के लिए हम फिर आँखों में सफ़ेद रंग पोत लेते हैं जो बस जिन्दगी को जज करने में ही इस्तेमाल आती हैं ।

और हम जिन्दगी को इतना जज करतें हैं इतना जज करतें हैं कि लाइफ भी सोचती है कि मैं जिन्दगी हूँ कि साला, Dance India dance की contestant . कुल-मिलाकर जज करते-करते हम जिन्दगी जीना भूल जातें हैं और जिन्दगी के रंग भी भूलते चलें जातें हैं । वो तो शुक्र है होली का जो हमें रंगों का अहसास तो दिला जाती है, जो मन नहीं तो कम से कम तन तो भिगो जातीं हैं जो ये बता जाती है कि हां कोई अपना आपका इंतज़ार कर रहा होगा या कोई अपना मिलने आता होगा ! इसलिये होली सिर्फ त्यौहार नहीं , जिन्दगी का स्पर्श हैं , जिसे हमें अपने बदन पर साल भर महसूस करना चाहिए,  ख्वाईशो,आसुओ के बदले जलन को , तनाव को और इच्छाओं को जलाना चाहिए।उतरा हुआ, बेरंग सा नहीं बल्कि टेसू के फूल सा खिला-खिला चेहरा रखना चाहिए। बस यही तो होली है सतरंगी जिन्दगी के नवरंगी रंगों से बनी हुई।

तो मेरे इस लेख को पढ़ने वाले हर शख्स से मुझे ये उम्मीद हैं कि अब आपको होली मनाने में कोई संकोच न महसूस होगा , कोई अगर रंग डालने आएगा तो उसे लाल्-पीली आँखे नहीं दिखाएंगे , जो आपसे मिलने आएगा उसे सिर्फ गले से नहीं सीने ( हृदय ) से भी लगाएंगे, मिठाई में सिर्फ शक्कर ही नहीं अपना स्नेह और प्रेम भी मिलाएंगे , किसी से मिलने जाएँगे तो सिर्फ गिफ्ट ही नहीं दुआएं और खुशियाँ भी ले जाएँगे … बस इतना ही तो करना है एक बेहतरीन होली के लिए और बेहतर जिन्दगी के लिए।

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