अपने सपने के लिए आपको ही जागना होगा…वरना फिर शेखचिल्ली के ख्वाब तो हैं ही।

 सपने वे नहीं होते जो सोते वक्त आते हैं। सपने वे होते हैं जो आपको सोने नहीं देते। –अब्दुल कलाम सर

मैं जहाँ रह रही हूँ वहीं मेरे बगल वाले रूम में एक 17 साल की लड़की चंचल भी रहती है । चेहरे से आप उसे देखें तो बिलकुल बच्ची लगती है 12-13 साल की, बहुत शरारती और बातूनी । एक बार जो बात करना शुरू कर दे तो आप के कान दर्द हो सकतें हैं सुनते-सुनते लेकिन उसका मुँह नहीं थकेगा। ये सारी बातें उसके बचपने की निशानी देती है लेकिन उसमें मैंने ऐसा कुछ भी देखा है जो कभी-कभी बड़े लोगों में भी नहीं मिलता। वो है उसका अपने सपने के प्रति समर्पण। इतनी छोटी सी उम्र में ही वो अपने सपने पूरे करने के लिए अपनी क्षमता से बाहर काम करती है। सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक वो एक हॉस्पिटल में accounting का काम करती है वहाँ से फिर 6 से 9 तक कोचिंग पढ़ाती हैं बच्चों को (कभी-कभी पार्लर में जाकर मेहंदी भी लगाने का काम करती है ) फिर आकर अपनी बड़ी बहन के साथ मिलकर खाना भी बनवाती है और 11 बजे जब किसी भी इंसान के सोने का टाइम होता है वो पढ़ने बैठती है फिर कभी 2 या 3 बजे के बाद सोती है और फिर सुबह 7-8 बजे उठ जाना उसका। BA की पढ़ाई के साथ-साथ UPSC की भी पढ़ाई करती है। 

हॉस्पिटल में थोड़ी सी भी फुर्सत में खराब हुए कागजों पर कभी भूगोल की कलाकारी करती है तो कभी इतिहास की कहानियाँ लिखती है उनपर । लेकिन इतनी व्यस्तता के बावजूद इतनी थकान के बावजूद कभी भी सपने को छोड़ देने का नहीं सोचती, क्योंकि वो जानती है कि अभी की ये मेहनत आगे आराम देगी अभी का ये पैसा उसकी आगे की तकलीफ कम करेगा। वो चाहे तो अपनी फैमिली पर डिपेंड रह सकती है लेकिन वो जानती है की सपने उसके है तो मेहनत भी उसी को करनी चाहिए।

ये एक example है उन लोगों के लिए जिनके सपने तो बहुत बड़े-बड़े हैं लेकिन उन सपने को पूरा करने के लिए समर्पण ,जज्बा,जूनून और भूख ज़रा भी नहीं है बस शेखचिल्ली की तरह सपने ही देखते रहते है उन पर काम ज़रा भी नहीं करना। अगर धोखे से अपनी आराम छोड़कर अपना comfort zone छोड़कर एक कदम सपने की तरफ बढ़ाते है तो तुरंत इनको लगता है अहा! सपने तो बस पूरे होने वाले है इतना ख्याल आते ही ये फिर आरामतलब हो जाते है और जितना चलें थे उससे काफी पीछे चलें जाते है। जैसे शेखचिल्ली एक अंडा लाता है तो उससे मुर्गी, उस मुर्गी से और अंडे , उन अंडो से और मुर्गियां , मुर्गियां बेचकर बकरी , बकरी से गाय ,गाय से घोड़ा और फिर लखपति..अचानक एक झटका लगता है अंडा ज़मीन पर गिर कर टूट जाता है और उसका सपना भी।

इस लेख से मैं आपको मोटिवेट करने का कतई प्रयास नहीं कर रही हूँ क्योंकि आदमी को मोटिवेशन किसी आर्टिकल या विडिओ से नहीं बल्कि खुद से मिलता है आदमी खुद का एनर्जी टैंक होता है मैं तो बस हकीकत बता रही हूँ जोकि मेरा काम है।मै सिर्फ ये कह रही हूँ कि आपको अपने बड़े सपनों के लिए आज से ही कुछ छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे तभी आप कामयाब हो सकतें हैं क्योंकि आज की मेहनत ही कल रंग लाती है।

ये मत सोचिए की डैड तो है ही और ना ये कहिये की वक्त तो है ही क्योंकि ये अटल सत्य है की एक दिन ना आपके पापा आपके पास रहेंगे और ना ही वक्त, रहेगा साथ तो बस पछतावा ही।

हम लोगों के आसपास भी कई शेखचिल्ली रहते हैं लेकिन कोई ना कोई चंचल भी जरूर रहती है सोचना हमें ये है की हम फॉलो किसको करतें हैं? अगर किसी शेखचिल्ली को फॉलो करेंगे तो तुरंत की जिन्दगी में आराम रहेगा लेकिन बाकी future का तो राम ही मालिक…। अगर आप किसी चंचल को फॉलो करतें हैं तो तुरंत की जिन्दगी में कुछ दिक्कत होगी लेकिन आगे की जिन्दगी के आप अपने मनमुताबिक मालिक होंगे।

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