‘हर घर तिरंगा’ नए भारत के नए कारोबार की नई शुरुआत।

 व्हाट्सएप डीपी सिर्फ प्रोफाइल को सुंदर दिखाने भर का जरिया मात्र नहीं है। एक प्रोफाइल डीपी वो बात कह जाती है जो हम शब्दों में नहीं कह पाते यूँ समझ लीजिये आज के डिजिटल युग का लेटर होती हैं ये डीपीज़। प्रेम में नया-नया पड़ा आशिक दिन में 3-4 बार डीपी change करता हैं , ताज़ा-तरिन दिल टूटवाये आशिक प्रोफाइल पर दर्द भरी , बेवफाई से ओतप्रोत तस्वीर साझा करता है, खुश व्यक्ति कोई happy pic लगता हैं, और निराश व्यक्ति कोई ऐसी तस्वीर लगाता है कि प्रसन्नचित आदमी भी देखे तो डिप्रेस हो जाए।    

                   खैर यहाँ तक तो मुझे ये सब समझ आता था लेकिन ये जो मार्केट में कुछ दिन पहले नया ट्रेंड लागू हुआ है वो नहीं समझ आ रहा। ये डीपीज देशभक्ति भी प्रकट करने के काम में इस्तेमाल हो रही है अगर आपने व्हाट्सअप पर तिरंगा की फोटो लगाई है तो आप देशभक्त है नहीं तो ….. । खैर मैंने पहली बार ऐसी डीपी देखी है जिससे प्रॉफिट भी कमाया जा सकता है अब देखिये ना 20 लाख सरकारी कर्मचारीयों को “आदेश” दिया गया है कि वे तिरंगे की डीपी लगाए। मतलब की अब आपकी देशभक्ति पर भी शासन का अधिकार होगा। मैं जब छोटी थी तो 15 अगस्त और 26 जनवरी को सीने पर तिरंगे का बिल्ला, सर पर तिरंगे की कैप और हाथ में 5 रूपए का तिरंगा लिए सबसे पहले स्कूल पहुँच जाती थी, ताकि पूरे ड्रेस कोड में होने की वजह से प्रभात फेरी में बड़ा तिरंगा ले जाने का मौका मुझे मिले । बस इतनी सी ख़ुशी के लिए मैं दिसंबर से जनवरी का और जुलाई से अगस्त का वेट करने लगती थी। अपने में एक प्राउड फील होता था क्योंकि ये मैं स्वेच्छा से करती थी और इसलिए करती थी कि अच्छा लगता था ।मुझे कोई देशभक्ति नहीं दिखानी होती थी क्योंकि मुझे लगता है देश के लिए जो भावनाएं दिल में होती हैं वो सभी किसी सिंबल की मोहताज नहीं होती ना ही किसी खास दिन की। लेकिन आज खुद को बहुत गलत पाती हूँ जब ये देखती हूँ की देशभक्ति के Certificate बाँटे जा रहें हैं। लोगों की डीपीज देख के चेक किया जा रहा है कि सामने वाला देशभक्त है की नहीं।     

                                                                    पड़ोस के शर्मा जी निकलते हैं तो वर्मा जी को देखते ही टोक देते हैं, अरे भाई वर्मा जी क्या प्लान बना रहें है चोरी-चोरी , डीपी नहीं लगायी झंडे की। और वर्मा जी घबराकर कहते हैं “,देखिये शर्मा जी आपस की बात है किसी को बताइयेगा मत मेरे पास एंड्रॉइड फोन नहीं है आज भी कीपैड वाला use करता हूँ। 

मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि तिरंगे का इतना ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता हैं इतना अच्छा बिजनेस है ये। लेकिन इन 5-7 सालों में अक्सर वही होता आ रहा हैं जो हम जैसे तुच्छ मानुष जिए जिन्दगी सोच नहीं पाये। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ऐसा सपना भी सच हो गया जो सपना सपने में भी नहीं देखा था। लेकिन जानतें हैं आप? कारोबार तिरंगे का नहीं आपकी देशभक्ति का किया जा रहा है, रेलवे वालों की देशभक्ति का चार्ज 38 रूपए लगाया गया है , साहूकार लोगों की देशभक्ति का चार्ज 20 रूपए तक आ जाता हैं , ध्यान दीजिये मैंने पिछले साल तक ( 12th ) देशभक्ति( तिरंगा) का चार्ज 5 रुपये दिया था ,अब आप बताइयेगा आपका कितना चार्ज पड़ रहा हैं देशभक्ति दिखाने के लिए?     

खैर हम तो आर्ट वाले बच्चे हैं साहित्य की कोई किताब उठाएंगे और चलें जाएँगे। इस कारोबार वारोबार से हमारा क्या मतलब….। लेकिन हाँ मैं तो बस इतना पूछना चाह रही थी कि 6 अगस्त से 15 अगस्त तक धरोहरों, प्राचीन स्थलों , म्युजिअम आदि को फ्री दिखानी की स्कीम चली थी, वो हर घर तिरंगा अभियान के तहत खर्चा तो रिकवर कर लेगी ना ? अकेले up मे ही 4 करोड़ से ज्यादा तिरंगे फहराये जाएँगे , इस हिसाब से पूरे देेेश मे कितने झंडे लहरााएंगे ?कुल मिलकर ये मुनाफे का सौदा तो होगा  ना भाई ?            

 देखो जी, मेरे को  घाटे से बहुत डर लगता है। इस मामले में मैं बिलकुल वतर्मान में कुर्सी पर बैठे लोगों के जैसी हूँ जिस जगह घाटा होते देखती हूँ तो तुरंत दूसरी स्कीम निकाल कर उसमें मुनाफे का सोचती हूँ ,अगर किसी को अपनी used सस्ती pencil देती हूँ तो उसके बदले उसके नए महंगे पेन की बात पहले ही सोच लेती हूँ।  ये तो हो गई मेरी बात अब थोड़ा राजनीति की भी बात करतें हैं.. क्या…? क्या कहा आपने..? नहीं कर सकते..! अरे भई, लोग राजनीति कर सकतें हैं और हम राजनीति पर बात भी नहीं कर सकते…हाँ नई तो। चलिए आपकी बात रख लेती हूँ बस थोड़ी सी ही गुफ्तगू बढाती हूँ दरअसल क्या हुआ ना कि जूना अखाड़े के एक परम पूज्य महात्मा जी ने कहा है कि आप तिरंगा ना फहराएंगे क्योंकि इससे मुसलमानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे आगे चलकर हिंदुओ के लिए खतरा बनेंगे। दअरसल उन्हें लगता है कि केंद्र सरकार ने तिरंगा बनाने का टेंडर किसी मुसलिम को दिया है (ये तो ऐसा हो गया राजनीति अब सुधार में हैैं। ) इसके बदले आप पुराना तिरंगा भले ही फहरा ले। पुराने तिरंगे से याद आया मैं पिछले साल सड़क पर चल रही थी शायद स्कूल से वापस आ रही थी 16 अगस्त का दिन था तो सड़क पर मुझे एक तिरंगा दिखा जो लोगों के पैरों से बचने की कोशिश करता हुआ सड़क किनारे आ लगा था, मैंने उसे देखा तो उसे उठा लाई थी घर और दिवार की दराज में लगा दिया था। 


चलिए हटाइये ये बोरिंग बातें सभी। कोई मस्त सी देशभक्ति दिखाने वाली तिरंगा डीपी लगाते हैं क्योंकि शायद जब आप देश के लिए मैडल जीतने वाले खिलाडी के लिए तालियां बजाते हैं तब आप देशभक्त नहीं होतें, जब आप विदेश में हिन्दी में बात करतें हैं तो आप देशभक्त नहीं होतें, जब आप लहराते तिरंगे को देखकर मुस्कुराते हैं तब आप देशभक्त नहीं होतें, जब आप टूरिस्ट को देखकर कहते है Welcome to India तब आप देशभक्त नहीं होतें,देश में किसी बड़े हादसे के होने पर आप मन ही मन रोते है तब आप देशभक्त नहीं होतें , सरकार की किसी उपल्ब्धि पर सीना फुला कर घूमते है तब आप देशभक्त नहीं होतें। आप देशभक्त तब होतें हैं जब डीपी पर तिरंगा लगाते हैं आप देशभक्त तब होते हैं जब 5 रुपये की चीज के लिए पहले 15 रूपए का तिरंगा खरीदते हैं। आप देशभक्त तब होतें है जब आप अपने घर पर तिरंगा लहराते हैं।

नोट- मैंने ये लेख जगह जगह , अलग-अलग किस्सों से बातों से लिखा हैं sequence में नहीं सिर्फ ये बताने के लिए की देशभक्ति भी एक ही जगह नहीं सिमट सकती। वो भी झलकती है अलग-अलग बातों में, अलग-अलग मौकों पर, अलग-अलग सी जगह में अलग-अलग से लोगों में।

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