Bollywood Industry में मची remixes की धूम के पीछे का सच

 सोशल मीडिआ पर इन दिनों हंगामा बरपा हुआ है, नेहा कक्कड़ और फाल्गुनी पाठक के फैन्स एक दूसरे से भीड़े जा रहें हैं, दोनों सिंगर्स भी एक-दूसरे पर डायरेक्ट-इनडायरेक्ट आरोप-प्रत्यारोप कर रहीं हैं लेकिन किसलिए? अभी हाल ही में नेहा कक्कड़ ने लीजेंडरी पॉप सिंगर फाल्गुनी पाठक का बेहतरीन गीत “मैंने पायल है छनकाई “ को रिमिक्स किया है, जिसके बाद से ही नेहा को ट्रोल किया जा रहा है। इस गाने पर ओरिजिनल गाना गाने वाली फाल्गुनी पाठक ने अपना रिएक्शन देते हुए कहा कि ये गाना सुनने के बाद उन्हें उल्टी होते-होते बची। इसके बाद तो मामला और गरमा-गरमी वाला हो गया। दोनों सिंगर्स के फैन आमने-सामने आ गए, यूट्यूब और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म्स पर इस गाने को काफी ट्रोल किया जा रहा है। इस गाने में फीचर हुए प्रियांक शर्मा और कोरियोग्राफर धनश्री वर्मा ने इस गाने के बचाव में उतरते हुए कहा कि ये एक बेहतर और सुपर्ब सांग है, इस गाने कि ओरिजिनल गाने से कोई तुलना नहीं हैं। इस गाने के बाद बढ़े रीमिक्स कॉन्ट्रोवर्सी पर लीजेंडरी एआर रहमान ने कहा कि “इससे मूल संगीत विकृत हो जाता है, आप कहते है कि हम रीइमेजिन कर रहें हैं।” खैर वे विवाद तो चल निकला है तो थोड़ा आपको remix culture पर बता दे।

कौन है बॉलीवुड का पहला रीमिक्स गाना ?

अच्छा ये बताइए खलनायक मूवी देखी हैं आप लोगों ने? अच्छा चलिए ना भी देखी हो तो भी उसका ये गाना तो सुना ही होगा आपने ‘चोली के पीछे क्या है ‘ जिसने काफी ज्यादा कॉन्ट्रोवर्सी पैदा की थी और भारतीय परंपरा के खिलाफ माना गया था जिसे। इस कन्ट्राेवर्शियल और ऑइकानिक गाने को 90s के dj king बेली सांगों ने रीमिक्स किया था इस गाने से ही बॉलीवुड में रिमिक्स की शुरुआत हुई मानी जाती हैं।                   

रीमिक्स से किसे है ज्यादा फायदा?

आपने वो कहावत सुनी है,”दूसरे के जलते चूल्हे पर अपनी रोटी सेंकना” वो कहावत इन रीमिक्स सॉन्ग्स पर बिलकुल सही बैठती हैं। सालों पहले खूब ट्रेंड में रहें गाने को उठाकर म्यूजिक कम्पोजर, कुछ सिंगर्स या लिरिसिस्ट मिलकर उसमें तोड़-मरोड़ करके कुछ शब्द उसमें से घटा के और अपनी तरफ से कुछ शब्द बढ़ा के, इतना सारा म्यूजिक डाल देतें हैं की वो म्यूजिक कम शोर ज्यादा लगता है और ये शोर वो श्रोताओं के कानों तक पहुँचा देते हैं। इसके लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती इन्हें क्योंकि गाना तो पहले से हिट ही चुना था जिसको मास्टरपीस कह सकते हैं। ना लिरिसिस्ट की फीस ज्यादा हुई , ना म्यूजिक कॉम्पोजर से ज्यादा झिक-झिक हुई , पब्लिसिटी में भी ज्यादा पैसा नहीं खर्च होता और गाने को remix करने वाली म्यूजिक कंपनी या म्यूजिक कॉम्पोजर फायदे में रहतें हैं।

कुछ एवरग्रीन सॉन्ग्स के रीमिक्स वर्जन-

ऐ जिन्दगी गले लगा ले’ सदमा मूवी का ये गाना किसे नहीं मोटिवेट कर देता होगा जीने के लिए।लेकिन इस गाने को डिअर जिन्दगी! मूवी में रिमिक्स करके मेकर्स ने हम जैसे सोलफुल सॉन्ग्स सुनने वाले श्रोताओं को सदमा लगा दिया लेकिन थोड़ी राहत अरिजीत सिंह की आवाज सुनकर मिली। आशा पारेख पर पिक्चराइज “कांटा लगा” गाने का शेफाली जरीवाला वर्जन सुनकर दिल दुःखी हुआ लेकिन इस remix का remix जिसे नेहा कक्कड़, टोनी कक्कड़ ने remix किया हैं उसे सुनकर तो सच में सीधे कानों में जाकर कांटे लगे। “गजर ने किया हैं इशारा” गाने का remix अजहर मूवी में देख के घड़ी भर में दिल का खेल सिमट गया।” ऐसे ना मुझे तुम देखो” डार्लिंग मूवी का ये गाना ज़रा भी डबल मीनिंग नहीं लगता लेकिन इसका “वजह तुम हो” मूवी में पिक्चराइजेशन देख के मुझे ये डबल – ट्रीबल सारी मीनिंग लगा। इसके आलावा भी, बचना ये हसीनों, कोई फ़रियाद दबी हो जैसे, हम्मा-हम्मा,तम्मा- तम्मा, लैला मैं लैला, खाइके पान बनारस वाला, हवा हवा, पल्लो लटके, ऊँची है बिल्डिंग, इन्ना सोना क्यों,ये खबर छपवा दो , तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त, उर्वशी उर्वशी, हवा हवाई, दस बहाने कर रद, धन्नो, बन्नो , महबूबा महबूबा….. और ना जाने कितने ही गाने की अगर उन सब को लिखूँ तो पूरी पोस्ट ही कम पड़ जाए।

कम मेहनत करके ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में म्यूजिक इंडस्ट्री लोगों के सुनने का टेस्ट बिगाड़ दे रही हैं। जिससे लोगों में शोर और संगीत में अंतर नहीं समझ आ रहा हैं। RD verman जैसे संगीतकार जो गिलास चम्मच जैसे बर्तनों के शोर से भी संगीत बना लेते थे वही आज कल के कॉम्पोजर हाई म्यूजिक सिस्टम से भी शोर ही तैयार कर पा रहें हैं संगीत नहीं। आने वाली जेनरेशन शायद ही जान पाये की संगीत में सात स्वर भी होतें हैं, उसी ढिंचैक- ढींचैक में मिलकर स्वर लहरिया कहाँ खो जाएँगी पता ही नहीं चलेगा। आज कल के सिंगर्स दो लाइन्स में ही 4 मिनट का गाना कवर कर देतें हैं जैसे कि टोनी कक्कड़ और एक पिछले ज़माने के गायक थे जो 5 मिनट का गाना बिना एक भी लाइन रिपीट किये एक ही साँस में गाते थे जैसे महादेवन। अब आप इनमे से किसे होशियार कहेंगे? मैं तो आजकल के सिंगर्स को कहूँगी जिन्होंने सफलता का शार्ट कट खोज लिया हैं अपने लिए, या मैं उन्हें कामचोर या कम मेहनती बोल सकती हूँ? remix या वल्गर शब्दों से मिली सफलता को अगर ये लोग टैलेंट बोलते हैं तो सबसे ज्यादा टैलेंटेड मैं इनको ही बोलूंगी क्योंकि कुछ दो एक को छोड़कर बॉलीवुड इंडस्ट्री ऐसे टैलेंट से भरी पड़ी है। 

खैर मुझे लगता हैं कि दोबारा से बनने वाला गाना अगर पहले गाने की आत्मा की सुरक्षा कर सकता है, उसकी मासूमियत बचाये रख सकता हैं तो फिर remix सही हैं लेकिन अगर अपने स्वार्थ के लिए किसी भी गाने के साथ छेड़छाड की जा रही है या experiment , पब्लिसिटी के लिए तो remix बिलकुल ही गलत हैं आपको क्या लगता हैं?

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