” उन आँखों में बुल्लेशाह गाता होगा” बाबूषा कोहली

 उन आँखों को कौन सुखा पाता होगा 

उन आँखों में दरिया सुस्ताता होगा 

उन आँखों में 

डूबे जो इक बार कोई 

उन आँखों से बाहर न आता होगा 

उन आँखों में 

एक पहेली उलझी है 

उन आँखों को रब ही सुलझाता होगा 

उन आँखों में 

प्यास भरी है जन्मों की 

उन आँखों का सावन अब आता होगा 

उन आँखों ने 

जोग लगाया है जी को 

उन आँखों में बुल्लेशाह गाता होगा 

उन आँखों ने मुझे बनाया है काफ़िर

 उन आँखों पर मुल्ला गुस्साता होगा 

उन आँखों को 

देख के आँखें झुकती हैं 

उन आँखों का हज यूँ हो जाता होगा ।

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