क्या कहानी बना रहे हो दोस्त, मजा आ गया सुनकर। मैं अपनी दोस्त को मरूंगा सिर्फ इसलिए की तुम फंस जाओ और ओजू मेरी हो जाये वाह ! आदित्य ने दरवाजे के पास रखे स्टूल को लात से ठोकर मारकर एक किनारे फेंक दिया और उन दोनों के पास जाकर खड़ा हो गया ।
आदित्य क्यों किया तुमने ऐसा ? भरोसा किया था मैंने तुमपर लेकिन तुमने…. ओजू कुर्सी छोड़कर उसके सामने खड़ी हो गयी।
मुझे किसी पागल कुत्ते ने काटा है जो मैं उसे मरूंगा ! उसने क्या बिगाड़ा था मेरा बताओ जो मैं ऐसा करने की सोचूँगा? उसने बिगाड़ा तो मेरा भी कुछ नहीं था तो इस लिहाज से मुझे फ़साने के ये पैतरे तो फेल हो गये तुम्हारे।लक्ष्य भी खड़ा हो गया। उसकी लाश तुम्हारी पार्किंग में मिली है, बताओगे कि वहाँ कैसे पहुंची? आदित्य की आवाज़ में तेजी थी।
तुम्हें मैं बेवकूफ लगता हूँ जो उसे मारकर अपनी ही बिल्डिंग के नीचे डालूंगा ताकि सारा शक मुजपर जाये…! अगर मैं मारता न तो उसे तुम्हारी बिल्डिंग के नीचे फेंकता। उसने अपनी आवाज़ आदित्य की आवाज से भी ऊँची कर ली।
बस यहीं तो तुम अपना दिमाग़ लगा गये जैसे कोई शातिर कातिल करता है । तुमने उसे मारा और अपनी ही बिल्डिंग के नीचे डाल दिया ताकि इसी पॉइंट पर तुम सबको चकमा दे सको कि मैनें मारा होता तो अपनी बिल्डिंग की बजाय कहीं जंगल में फेंक देता या जला देता कहीं और छिपा देता ।
तुम जिस लिहाज़ से ये सब बोल रहे हो उससे तो लगता है कि तुम बहुत बड़े क्रिमनल माइंड हो और…. इससे पहले कि लक्ष्य अपनी बात ख़त्म कर पाता आदित्य ने उसका कॉलर पकड़ लिया। बदले में तुरंत ही लक्ष्य ने भी उसकी गर्दन दबोच ली। ये क्या कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ रहे हो , होश में आओ दोनों। मेरे घर को अखाडा न बनाओ। ओजू उन दोनों को अलग करती हुई उनके बीच में खड़ी हो गयी।
क्या हो रहा हैं यहाँ पर इतना शोर क्यों कर रहें हो सुबह-सुबह? जीनों से नीचे आती हुई ओजू की माँ ने माहौल जानने की कोशिश की।
कुछ नहीं आंटी इसमे मेरी बाइक की चाभी ले ली हैं अब देने से मना कर रहा है बोल रहा है हफ्ते भर बाद मेरी बाइक लौटाएगा तब तक मैं क्या करूंगा।
लक्ष्य बेटा जब थोड़े वक्त के लिए बाइक ली थी तो अब चाभी वापस कर दो बेवजह झगड़ा बढ़ा रहे हो दोनों।
जी आंटी जी वापस किये देता हूँ अभी, आप जाकर आराम करिये अब झगड़ेंगे नहीं। लक्ष्य की बात का भरोसा करके वो फिर से अपने कमरे में चलीं गयीं।
तुम दोंनो प्लीज इस तरह मत लड़ो यार ! हो सकता है उसे किसी और ने मारा हो और बेवजह तुम लोग एक-दूसरे पर शक कर रहें हो ?
वो तो पता चल जाना ही है पुलिस ने जाँच शुरु भी कर दी है इंटरनेशनल मामला है इतना आसान थोड़े कुछ ही दिनों में कातिल हमारे सामने आ ही जाएगा । ये कहते हुए आदित्य लक्ष्य को ही घूरता रहा ।
और सुना है कि अमेरिका की पुलिस मुर्दे से भी सच उगलवा लेती है फिर शेसी का कातिल तो जिंदा है । उसे पकड़ कर क्या-क्या करेंगे ये तो भगवान भी नहीं बता सकता ! बहुत टॉर्चर करके मारेंगे उसे है न आदित्य, तुम्हें तो सब मालूम ही होगा । लक्ष्य ने इस निगाह से उसे देखा कि आदित्य खुद में ही सकपका गया कहीं इसे कुछ मालूम तो नहीं हो गया । लेकिन फिर भी उसने पूरे विश्वास के साथ कहा ,” हाँ हाँ मालूम क्यों नहीं मैं वहां इतने सालों रहा हूँ अब उसे भी पता चल जायेगा जिसने शेसी को मारा है की वहाँ की पुलिस कैसी है? न उठते बनेगा उसे न बैठते , मौत भी मांगेगा तो मिलेगी नहीं ।
तुम तो ऐसे बोल रहें हो जैसे जेल से होकर ही निकले हो ? लक्ष्य की नजरों में अब भी कोई परिवर्तन नहीं था, मगर आदित्य के माथे से पसीना निकल आया था ये बात ओजू ने भी नोटिस की। अच्छा ओजू मैं चलता हूँ ध्यान रखना अपना और सावधान रहना कहीं वो खूनी तुम्हारे पास ही न खड़ा हो और तुम्हें पता भी न चले ! पुलिस आये तो घबराना नहीं जो मालूम है जितना मालूम है सब बता देना , कॉल डिटेल भी निकलवाये तुम्हारी भी शायद। बहुत शुक्रिया इतनी मेहरबानी करने के लिए लेकिन जब तक मैं इनके पास हूँ तुम्हें फ़िक्र करने की कोई जरूरत नहीं । उसी बात की ही तो फ़िक्र है । कहता हुआ आदित्य वहाँ से निकल गया।
शेसी की लाश को दूसरे ही दिन उसके पिता लेकर अमेरिका लेकर चले गएँ थें। दोनो देशों की पुलिस और मीडिया एक-एक सुबूत के लिए दिन रात एक कर रही थी। पोस्टमार्टम में जो रिपोर्ट सामने आयी थी उसे जानने के बाद तो हर कोई उस दरिंदे को जल्द से जल्द ढूंढ़कर फांसी देने के लिए आंदोलन करने पर उतर आया। शेसी को बहुत बुरी तरह मारा गया था। उसका मुँह इतनी तेज दबाया गया था कि उसका जबड़ा क्रैक हो गया था, उसे फर्श पर पटका गया था जिससे उसके सिर पर भारी चोट आयी थी मुँह दबाने की वजह से वो साँस भी नहीं ले पायी थी जिससे दिमाग़ तक ऑक्सीजन नहीं पहुँचा और इस स्थिति में उसे ब्रेन हैमरेज हो गया। बावजूद इसके कातिल ने उसकी गर्दन भी दबायी और उसके बाद चाकू से उसके पेट पर तब तक वार करता रहा जब तक कि उसे इत्मीनान न हो गया कि वो मर चुकी है।
इन सब के बावजूद भी न उसके बदन पर कातिल की उँगलियों के निशान ही मिले और न किसी अन्य तरह का सुबूत ही। एक्सपर्ट्स मान रहें थें कि ये सोची-समझी साजिश के तहत किया गया है और जिसने भी वो किया है उसकी मानसिक स्थिति जरूर कुछ गड़बड़ है। पुलिस की सारी जाँच अब उस चाकू को ढूंढ़ने पर ही टिक गयी थी लेकिन अभी तक वो भी नहीं मिली थी। शहर के सारे क्लब , पब शॉपिंग मॉल जहाँ- जहाँ भी शेसी गयी थी और जिन-जिन लोगों से मिली थी उन सबकी पड़ताल करने के बाद पुलिस की नजर आदित्य पर ही टेढ़ी थी। जितनी पूछताछ उससे की गयी जितना उसपर नजर रखी गयी उतनी सिर्फ एक कातिल पर ही मेहरबानी होती है। ओजू सहित उसके पूरे परिवार को पता चल गया था कि ड्रग के एक केस में उसे पुलिस अरेस्ट कर चुकी है और वो कुछ वक्त तक रिहैब में भी रहा था। शायद ये बात तब कि है जब ओजू के पापा की मौत हुई थी। अभी तक ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला था कि आदित्य को गिरफ्तार कर लिया जाये। अगर आदित्य कोई छोटा मोटा आदमी होता तो पुलिस उसे उठा भी लेती लेकिन वो एक डॉक्टर था और उसके पापा की भी अच्छी पहुंच थी । इसीलिए पुलिस बस पूछताछ करके, उसकी जासूसी करवा के और उसका फोन ही टेप करवा पा रही थी।
एक महीने से दो महीने हो गये चर्चा धीमी पड़ने लगी , पुलिस कुछ सुस्त हो चली क्योंकि उसे अभी तक कोई ठोस सुबूत हाथ ही न लगा। आदित्य फिर से जीने की कोशिश करने लगा और इस बार उसे ओजू का साथ मिला, लेकिन सिर्फ साथ भरोसा नहीं । ओजू ने माफ़ कर दिया उसे ये जानने के बाद कि वो उसके पापा के अंतिम दर्शन के लिए क्यों नहीं आया। उसे अहसास हो गया था की बाहर की जहरीली हवा से शायद ही कुछ लोग बच पाएं! आदित्य ने उस समाज में रोब डालने के लिए दोस्तों के बहकावे में ड्रग लेना तो शुरु कर दिया लेकिन इसके साइड इफेक्ट को न झेल सका । उसके पैसों के लिए उसके दोस्तों ने उसे नशे में फंसाया और उस नशे ने पुलिस के चंगुल में। आदित्य ने भले ही अब वो आदत छोड़ दी हो लेकिन क्या पता अब भी उसका असर बाकी हो । हाइपर होने के बाद आदित्य ने कुछ कर करा दिया हो, शायद उसकी मेन्टल सिचुएशन अब भी स्टेबल न हो ।
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