“खगम” सत्यजित रे की हॉरर कहानी

 कुछ मिनटों से मेरी ओर ओर अपलक ताक रहे हैं। मैं हैरत में आकर देखता हूँ, उनकी पलकें एक बार भी नहीं झपकती हैं। इस बीच उनकी जीभ कई बार होंठों की फाँक से बाहर निकल चुकी है। उसके बाद उन्होंने फुसफुसाकर कहा, ‘बाबा बुला रहे हैं- बालकिशन! बालकिशन! बाबा बुला रहे हैं…. बालकिशन … … Read more

“खगम” सत्यजीत रे की हाॅरर कहानी

 हम पेट्रोमैक्स की रोशनी में बैठकर डिनर ले रहे थे । कुल मिलाकर अभी अण्डे को दाँत से काटा ही होगा कि चौकीदार लछमन सिंह ने आकर पूछा, ‘आप लोग इमली बाबा के दर्शन नहीं करेंगे?”                                        … Read more

हिंदी के सभी रस सरल उदाहरण सहित

 रस की परिभाषा – रस शाब्दिक अर्थ है – आनंद । काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहते हैं । संस्कृत में कहा गया है कि “रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्” अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है ।                       … Read more

जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘छोटा जादूगर’

 कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। हँसी और विनोद का कलनाद मैं गूँज रहा था। खड़ा था। उस छोटे फुहारे के पास एक लड़का चुपचाप शराब पीनेवालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुर्ते के ऊपर से एक मोटी-सी सत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते … Read more

कुमार विश्वास की कविता “साल मुबारक”कुमार विश्वास की कविता “साल मुबारक”

  बाँटने वाले उस ठरकी बूढ़े ने                                     दिन लपेट कर भेज दिए हैं                                              नए कैलेंडर की चादर … Read more

रविन्द्रनाथ टैगोर की कहानी “पोस्टमास्टर “

 अपनी नौकरी के शुरुआती दौर में ही पोस्टमास्टर को उलापुर गांव आना पड़ा था । जो अन्य भारतीय गांवों की भांति ही था । एक नील-कोठी नजदीक ही थी । जिसके मालिक ने बड़ी कोशिश-सिफारिशें करके, यह नया पोस्ट ऑफिस खुलवाया था। गांव के पोस्टमास्टर कलकत्ता के रहने वाले थे । जल से निकलकर सूखे … Read more

कथा बिंदु” ओ हेनरी की रोचक कहानी

 अखबार के लिए जिन विशेष लेखों को मैं प्रस्तुत करता था उन्हें रेखांकित करते कुछ मामूली से चित्र मैं यदा-कदा बनाया करता था और व्यावहारिक रूप से, मैं कला विभाग में परिचित हो गया था। इस प्रकार मेरी क्ले के साथ जान-पहचान हुई। क्ले प्रोफ़ेशन से संबंधित कोई मशीनी कार्य करता था । वह लांगरी … Read more

हिमालय के पथिक”जयशंकर प्रसाद की रचना

 ‘गिरी-पथ में हिम वर्षा हो रही है, इस समय तुम कैसे यहाँ पहुंचे? किस प्रबल आकर्षण से तुम खिंच आये?’ खिड़की खोलकर एक व्यक्ति ने पूछा। अमल-धवल चन्द्रिका तुषार से घनीभूत हो रही थी। जहाँ तक दृष्टि जाती है, गगनचुम्बी, शैल-शिखर, जिन पर बर्फ का मोटा लिहाफ पड़ा था। ठिठुरकर सो रहे थे। ऐसे ही … Read more

मोची और शैतान- चेखव।

 क्रिसमस का दिन था, सांझ ढल चुकी थी । मारिया भट्ठी पर बहुत देर से खर्राटे भर रही थी। लैम्प का सारा कैरोसिन जल चुका था, पर फ्योदर नीलोव अभी तक बैठा काम कर रहा था। उसका बहुत मन कर रहा था कि काम बन्द कर दे और बाहर जाये, पर दो हफ़्ते पहले कलाकोलनी … Read more

निदा फाजली की गजल “खुदा”

 देखा गया हूँ मैं कभी सोचा गया मैं।                                  अपनी नज़र में आप तमाशा रहा हूँ मैं                              मुझसे मुझे निकाल के पत्थर बना दिया      … Read more