औरत के हर कपड़े से मर्द को ऐतराज क्यों हैं?

 कुछ वक्त पहले प्रोग्रेसिव सोच के कुछ समझदार एवं जागरूक लोगों को इस बात पर बड़ा ऐतराज था कि भारत जैसे विकासवादी देश में महिलाओं पर बुरका या हिजाब थोपना बिलकुल भी सही नहीं हैं। आज जब दूसरे देश चाँद पर पहुँच रहें हैं उस वक्त हम महिलाओं को बुर्के में कैद रखने की कोशिश … Read more

मन्नू भंडारी की रचना- नशा, अंतिम भाग।

 “माँ, मेरा बटुआ रख लेना जरा,” बटुआ थमाकर, धोती कन्धे पर डालकर किशनू नहाने चला गया। आनन्दी का मन हुआ था, कह दे; मेरे पास बटुआ मत रख किशन, नहीं तो… पर उससे कुछ भी नहीं कहा गया था। किशनू घर से अभी निकला भी नहीं था कि शंकर सामने खड़ा था : “निकाल रुपए … Read more

मन्नू भंडारी की रचना- नशा

 “सत्यानाश हो उस हरामी के पिल्ले का, जिसने ऐसी जानलेवा चीज़ बनाई!”…खाली बोतल को हिला हिलाकर शंकर इस तरह ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहा था जिससे कि रसोई में काम करती हुई उसकी पत्नी सुन ले | “घर का घर तबाह हो जाए, आदमी की जिन्दगी तबाह हो जाए; पर यह जालिम तरस नहीं खाती! कैसा … Read more

आकाश से पथराव – दुष्यन्त कुमार की कविता

 रोज़ जब रात को बारह का गजर होता है,                       यातनाओं के अँधेरे में सफ़र होता है।  कोई रहने की जगह है मेरे सपनों के लिए,                         वो घरौंदा सही, मिट्टी का भी घर होता है।  … Read more

राजनीति का बेशर्म रंग

 शाहरुख़ खान और दीपिका पादुकोण की “पठान ” मूवी 25 जनवरी को रिलीज होने वाली हैं जिसका मुझे बहुत ही बेसब्री से इंतजार हैं क्योंकि हर चीज़ ही हमें कुछ ना कुछ नया सिखाती है लेकिन इस मूवी से हमें बहुत कुछ अच्छा जानने को और अच्छा सीखने को मिलेगा।ऐसा इसलिए कि सिर्फ इसके एक … Read more

बेचारा भला आदमी

 मैंने सुना है कि दुकानदार ने भले आदमी के रूप में मेरा उदाहरण दिया। मैं उदाहरण बनने से बहुत डरता हूँ। मार्क ट्वेन ने कहा है कि लोग जिस चीज से सबसे अधिक चिढ़ते हैं वह है- अच्छा उदाहरण। अच्छा उदाहरण एक बार बन जाने पर आदमी अच्छाई का गुलाम बन जाता है। मेरे एक … Read more

सर्दी

कुहरे की झीनी चादर में यौवन रूप छिपाये  चौपालों पर  मुस्कानों की आग उड़ाती जाये  गाजर तोड़े मूली नोचे  पके टमाटर खाये  गोदी में इक भेड़ का बच्चा  आँचल में  सेब कुछ धूप सखी की अँगुली पकड़े इधर-उधर मँडराये । -निदा फाजली

दूसरा आदमी- मानव कौल

 मैं खाना बनाने की तैयारी करने लगा। पीछे से माँ ज़िद करने लगीं ‘नहीं, खाना मैं बनाऊँगी’। इस युद्ध में जीत माँ की ही होनी थी पर मैं ज़िद करके टमाटर, प्याज़, हरी मिर्च काटने लगा।  “आप इतनी दूर से सफ़र करके आई हो । खाना आप ही बनाना, मैं बस तैयारी कर देता हूँ।’ … Read more

लहू-लुहान नजारों का जिक्र आया तो….

 कहीं पे धूप की चादर बिछाके बैठ गए,                             कहीं  पे शाम सिरहाने लगाके बैठ गए।  जले जो रेत में तलुवे तो हमने ये देखा,                                  बहुत से … Read more

Love is Love,not Jihad.

 श्रद्धा वॉकर मर्डर केस के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडिओ खूब वायरल हुआ था जिसमें एक महिला रिपोर्टर एक महानुभाव से पूछती हैं कि “आप को क्या लगता हैं हिन्दू लड़की को मुस्लिम लड़के से प्यार….” इससे पहले सवाल भी पूरा हो जाता वो धर्मप्रिय सज्जन जोरों-जोरों से “नहीं होना चाहिए, नहीं होना चाहिए … Read more