अरे कैसे न गलती करे इन्सान ही तो है ,
ये एशो-आराम, ये रुतबा जाएगा कैसे नहीं … मेहमान ही तो है ,,
हाँ जानते हैं मुंह से उल्टा-सीधा निकल जाता है यार !
फिसल जाती है जबान ही तो है ,
कब-तक बढ़ती महंगाई पर आह न भरोगे ? कब तक जिंदादिल बनोगे ? निकलेगी तो है ही जान ही तो है ,
बेकार की चींजे कोई घर में रखता है भला !
बेच लेने दो “कुछ पुराना सामान” ही तो है ,
किसके लिए सच बोलोगे ,जनता बहरी है जनाब … कोई फायदा नहीं उल्टे जाओगे जेल ….. देशद्रोह के आरोप में , इनमें तुम्हारा नुकसान ही तो है,
बस देश के लिए बना रहें हैं नये-नये प्रावधान इसमें आम आदमी थोड़ा सा परेशान ही तो है,
सुनो ,हम दुनिया खरीदना चाहते हैं इसमें अगर बिकता है तो बिक जाने दो, हिन्दुस्तान ही तो है । ✍🏻 me
Awesome
Superb
अति सुन्दर
ख़ूब… really you have a better writting skill….best of luck👍