‘सरकारी साहब’ को लिखा हुआ अधूरा खत।

 ये माना आपकी सरकार है साहब …. पर चैन से जीने का हमें भी अधिकार हैं साहब ,

👉 hindusthan hi to hai.

👉 वंश नहीं चलता कान्हा।

आप गाएं तरह-तरह के झूठे गीत तो वाहवाही …. हम जो दो सच्चे बोल कहें तो हंगामा …. ये तो बड़ा अत्याचार है साहब ,,

अन्दर वालों से पूछते हैं बाहर की खबर तो सब अच्छा दिखता है, बाहर वालों से पूछिए हालत कितनी बेकार है साहब ,,

हाँ,हक हैं आपको बर्बाद कर दें, बन्द करवा दें आपकी बुराई करता ,झूठा ये अखबार है साहब ,,

तरह-तरह के खयाल, तरह-तरह की बातें ,तरह-तरह के वादें ….कोई लिखने तो बैठें…. बडा दिलचस्प आपका किरदार है साहब ,,

ये तो पेट है जो बगावत कर रहा है , वरना दिल आपका ही वफादार हैं साहब ,,

किसकी हिम्मत कि आपके खिलाफ कुछ कह दे! हर किसी को अपनी जान से प्यार है साहब ,

किसने कहा कि मैंने आपकी कमियां उजागर की, अरे! झूठा ये समाचार है साहब।             ✍🏻 Me

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