हिमालय के पथिक”जयशंकर प्रसाद की रचना
‘गिरी-पथ में हिम वर्षा हो रही है, इस समय तुम कैसे यहाँ पहुंचे? किस प्रबल आकर्षण से तुम खिंच आये?’ खिड़की खोलकर एक व्यक्ति ने पूछा। अमल-धवल चन्द्रिका तुषार से घनीभूत हो रही थी। जहाँ तक दृष्टि जाती है, गगनचुम्बी, शैल-शिखर, जिन पर बर्फ का मोटा लिहाफ पड़ा था। ठिठुरकर सो रहे थे। ऐसे ही … Read more